CG News: छत्तीसगढ़ के पर्यटन मंत्री राजेश अग्रवाल ने बड़ा बयान दिया है कि रामगढ़ पहाड़ को हो रहे नुकसान का जायजा लेने के लिए एक्सपर्ट की टीम जांच करेगी. इसके लिए मुख्यमंत्री ने टीम गठित करना शुरू कर दिया है और माना जा रहा है कि कुछ दिनों के बाद रामगढ़ पहाड़ को हो रहे नुकसान का जायजा लेने के लिए विशेषज्ञ की टीम रामगढ़ पहुंचेगी.
TS सिंहदेव ने मुख्यमंत्री को लिखा था पत्र
रामगढ़ पहाड़ को लेकर राजनीति रुकने का नाम नहीं ले रहा है सबसे पहले छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री TS सिंह देव ने गैर राजनीतिक मंच से कहा था कि पहाड़ खतरे में लगातार ब्लास्टिंग की वजह से पहाड़ में दरार आ रहा है, वहीं अब परसा केते एक्सटेंशन कोल माइंस खुलने वाला है. जिसकी वजह से और अधिक नुकसान पहाड़ को होने की आशंका जताई जा रही है. इसके बाद TS बाबा ने मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा था.
जांच टीम ने कहा- ब्लास्टिंग से कोई नुकसान नहीं
मुख्यमंत्री को पत्र लिखने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने एक जांच समिति का गठन किया था, जांच टीम ने कहा था कि ब्लास्टिंग से कोई नुकसान नहीं हो रहा है. भाजपा के अध्ययन दल के बाद कांग्रेस जिला अध्यक्ष बाल कृष्ण पाठक की टीम भी रामगढ़ पहाड़ पहुंची. बालकृष्ण पाठक ने कहा है कि पहाड़ का अस्तित्व अब खतरे में है और मंदिर तक जाने का रास्ता बंद हो सकता है क्योंकि सीढ़ियों में पत्थर टूट कर गिर रहें हैं और धार्मिक स्थल खतरे में हैं.
साजिश के तहत पहाड़ के नीचे मंदिर बनवाया जा रहा है
कांग्रेस जिला अध्यक्ष बाल कृष्ण पाठक ने कहा कि नवरात्रि पर लोग वहां जाएं और भगवान राम का दर्शन कर लें क्योंकि पहाड़ तक जाने का रास्ता बंद हो सकता है. सीढी में बड़े पत्थर गिर रहें हैं, इससे बड़ा हादसा हो सकता है. साजिश के तहत पहाड़ के नीचे मंदिर बनवाया जा रहा है ताकि ज़ब प्राचीन मंदिर तक जाने का रास्ता बंद हों जाए तो लोग नए मंदिर में पूजा करें.
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भाजपा विधायकों ने कोल खदान का विरोध किया था
कांग्रेस नेता शफी अहमद ने कहा कि 2021 में सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था कि नया खदान न खोला जाए, जिसमे भाजपा के विधायकों ने भी विधानसभा में प्रस्ताव का समर्थन किया था लेकिन ज़ब भाजपा की सरकार बनी उसके बाद पेड़ो की कटाई शुरू हो गई. अब खदान क्रमांक 12 को बंद किया जाए. इस पर 1500 आपत्ति आई है. इस पर ध्यान दिया जाए, भारत सरकार को इसके लिए राज्य सरकार को लिखे.
रामगढ़ पहाड़ प्राचीन पहाड़ है और धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत है. भगवान श्री राम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास के दौरान अपना महत्वपूर्ण पर इसी पहाड़ में गुजारा था.
