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बहुत चर्चा है: कहां है रामगोपाल का अकाउंटेंट? यूथ पार्लियामेंट में “राहुल गांधी” विजेता… खड़गे जाएंगे, बदलेगी कांग्रेस… खुलने वाली है आदिवासी MLA की किस्मत

Bhut Charcha Hai

बहुत चर्चा है

Bahut Charcha Hai: कांग्रेस सरकार में हुए घोटाले को लेकर एक बात तो साफ है कि कुछ नेता जेल में है और कुछ नेता बेल पर है, लेकिन चर्चा इस बात को लेकर है कि आखिर कांग्रेस के कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल कहां है और उससे भी ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर है कि उनका अकाउंटेंट इस समय कहां है. ED और EOW की कार्रवाई तो चल रही है, लेकिन कांग्रेस ने अपनी संपत्तियों की जांच के लिए एक टीम भेजी है. सुकमा के कांग्रेस कार्यालय में शराब घोटाले का पैसा लगने की बात सामने आ रही है, तो कांग्रेस ने पिछले 5 साल में जितने भी कार्यालय बने हैं, सबकी जांच करने का फैसला किया है. यह जांच कैसे होगी, उसके लिए सबसे पहले कोषाध्यक्ष और उनके अकाउंटेंट की तलाश कांग्रेस केंद्रीय संगठन ने की. पता चला छत्तीसगढ़ में दोनों गायब हैं. मतलब ED और EOW के बाद अब कांग्रेस भी अपने कोषाध्यक्ष और उनके अकाउंटेंट की तलाश कर रही है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अंदर खाने ऐसी चर्चा है कि दिल्ली दरबार की टीम जब वापस अपनी रिपोर्ट सौंपेगी तो बताएगी कि 5 साल की सरकार में क्या-क्या हुआ और किस तरीके से हुआ. आखिर जांच एजेंसियां इन नेताओं के पीछे क्यों है?

आदिवासी MLA की किस्मत खुलने वाली है

भाजपा के एक आदिवासी विधायक की किस्मत खुलने वाली है. विधायक जी बस्तर से आते हैं. संगठन का बहुत प्रेम मिल रहा है. केंद्रीय संगठन में इन दिनों उनकी पूछ परख अचानक बढ़ गई है. विधायक जी को क्या मिलने वाला है यह तो अभी साफ नहीं हो पाया है, लेकिन जिस तरीके से दिल्ली दरबार के लगातार उनके पास फोन आ रहे हैं, बताया जा रहा है कि या तो वह मंत्री मंडल में शामिल हो सकते हैं या फिर प्रदेश संगठन में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. विधायक ने कांग्रेस की परंपरागत सीट पर जीत दर्ज की है. विधायक जी तेज तर्रार है और मुकरता से अपनी बात रखते हैं. ऐसे में उनको बस्तर की आवाज बनाने की तैयारी में केंद्रीय संगठन लगा हुआ है.

यूथ पार्लियामेंट में “राहुल गांधी” विजेता

राजधानी में हुई यूथ पार्लियामेंट के चर्चे दिल्ली दरबार तक हैं. बड़े-बड़े भाजपा नेता शामिल हुए, लेकिन जिन युवाओं के लिए यह यूथ पार्लियामेंट आयोजित की गई थी, उसके प्रदेश अध्यक्ष को ही नहीं बुलाया गया। राजधानी को पोस्टर से पाट दिया गया, लेकिन बेचारे आदिवासी, गरीब प्रदेश अध्यक्ष की फोटो तक नहीं लगाई गई. इससे ज्यादा चर्चा तो इस बात को लेकर है कि आपातकाल की चर्चा में विजेता नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का किरदार निभाने वाला व्यक्ति बन गया. अब दिल्ली दरबार से पूछा जा रहा है कि वह जज कौन थे, जिन्होंने आपातकाल को सही ठहरने वाले नेता को विजेता बना दिया. बेचारे नेता, जज और आयोजक तीनों परेशान है और इस बीच युवाओं के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चर्चा तेज है.

खड़गे जाएंगे, बदलेगी कांग्रेस

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे किसान, न्याय संविधान यात्रा में शामिल होने तो आ रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ी चर्चा इस बात को लेकर है कि खड़गे PAC की बैठक में मैं शामिल होंगे. आखिर खड़गे को इस बैठक में शामिल होने की जरूरत क्यों पड़ी. इसके पीछे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का तर्क है कि कांग्रेस के सभी गुटों से सीधा संवाद करके खड़के जब दिल्ली पहुंचेंगे तो हो सकता है, नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा हो जाए. नए अध्यक्ष की घोषणा से पहले दीपक बैज का यह आखिरी शक्ति प्रदर्शन होगा. अगर वह इसमें सफल होते हैं तो दीपक के नेतृत्व में नई प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा हो जाएगी या फिर उनके लिए केंद्रीय संगठन में कोई गुंजाइश बनाई जा सकती है और अगर वह फेल होते हैं तो उनके भविष्य पर फिलहाल असमंजस के बादल छा जाएंगे. पीसीसी चीफ ने तो पूरी ताकत लगाई है, अपनी कुर्सी बचाने के लिए. उनके समर्थकों ने भी मैदानी स्तर पर काम किया है, लेकिन सोमवार को जब राष्ट्रीय अध्यक्ष राजधानी में होंगे और उनके सामने कार्यकर्ता नजर आएंगे, तभी दीपक बैज की दाल गल पाएगी.

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