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बहुत चर्चा है: भाजपा का विभीषण कौन…? DGP पर किसका अड़ंगा…विभाग से नाखुश मंत्री…शराब घोटाले में फंसे अफसर को कौन बचा रहा?

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बहुत चर्चा है

Bahut Charcha Hai: सरकार ने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए पहली बार 14वें मंत्री को शपथ दिलाई. शपथ के बाद से ही कांग्रेस लगातार विरोध कर रही है. कांग्रेस इसे असंवैधानिक बता रही है. सरकार के इस फैसले के विरोध में कुछ लोग कोर्ट पहुंचे हैं. राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि आखिर यह कोर्ट जाने वाले व्यक्ति कौन है. उनका किस पार्टी से संबंध है और भाजपा का वह कौन सा नेता है, जो इन्हें बैकअप दे रहा है. चर्चा है कि मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज कुछ वरिष्ठ नेताओं ने सरकार के खिलाफ एक व्यक्ति को कोर्ट तक पहुंचाने में मदद की है. कोर्ट पहुंचने वाला व्यक्ति का संबंध कांग्रेस के एक बड़े नेता के साथ तो है ही, भाजपा के भी एक कद्दावर नेता के बंगले पर उसे देखा जाता है. भाजपा के नेताओं को भी पता चल गया है कि यह विभीषण कौन है, लेकिन अभी कार्रवाई करने में हाथ पीछे किए हुए हैं. बताया जा रहा है कि आने वाला सप्ताह उस नेता के लिए मुश्किलों भरा हो सकता है.

DGP पर किसका अड़ंगा

छत्तीसगढ़ में प्रभारी डीजीपी के रूप में अरुण देव गौतम कम कर रहे हैं. प्रदेश को स्थाई डीजीपी के लिए केंद्र सरकार से फाइनल लेटर आ गया है. पत्र आने के बाद भी अब तक डीजीपी की स्थाई नियुक्ति नहीं हो पाई है. अब चर्चा है कि आखिर डीजीपी के नाम पर अड़ंगा कौन लगा रहा है. मंत्रिमंडल विस्तार हो गया है. तमाम राजनीतिक गतिविधियां सुचारू रूप से चल रही है, फिर वह कौन खास व्यक्ति है, जिसके कारण प्रभारी डीजीपी को पूर्णकालिक डीजीपी नहीं बनाया जा रहा है. इसके पीछे एक सीनियर आईपीएस और उनकी लॉबी का नाम आ रहा है. बताया जा रहा है कि यह लॉबी पूर्णकालिक डीजीपी की घोषणा होने में लगातार ब्रेकर बन रही है. सरकार भी उस लॉबी को नाखुश नहीं करना चाहती है. यह लॉबी अभी इतनी ताकतवर है कि दिल्ली दरबार में भी काफी अहम दखल रखती है. ऐसे में इस लॉबी को नाखुश करके न सिर्फ दिल्ली दरबार बल्कि प्रदेश की पुलिस प्रणाली को भी छेड़ने की कोशिश कोई करना नहीं चाहता है. अंत में सवाल यही है कि आखिर कब तक प्रभारी डीजीपी से ही काम चलाया जाएगा.

विभाग से नाखुश मंत्री

सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार किया. तीन नए मंत्री बनाए, लेकिन विभागों के बंटवारे में कुछ मंत्रियों के विभाग में अदला-बदली की गई. अब एक मंत्री अपने नए विभाग से नाखुश बताई जा रहे हैं. उनको उम्मीद थी कि कुछ मलाईदार विभाग आएगा, लेकिन उनसे मलाईदार विभाग वापस ले लिया गया. चर्चा है मंत्री जी ने इसकी शिकायत दिल्ली दरबार में की है, लेकिन सब जानते हैं, अब तो फैसला हो चुका है और शिकायत का असर कुछ होने वाला नहीं है. ऐसे में मंत्री जी मुंह लटकाए जो विभाग मिला है, उसी में काम करने में जुट गए हैं. संगठन के एक नेता ने मंत्री जी को सलाह दी कि अभी जो मिल रहा है, उसमें ही खुश रहिए. क्या पता दिसंबर में होने वाले बदलाव में सारे विभाग ना चले जाएं.

शराब घोटाले में फंसे अफसर को कौन बचा रहा?

शराब घोटाले में बड़े-बड़े अफसर फंसे, लेकिन कोर्ट से उनको राहत मिल गई. राजनीतिक हलके में चर्चा है कि आखिर इन शराब घोटाले में फंसे अफसर को कौन बचा रहा है? इन अफसरों से क्या डील हुई है? कौन ताकतवर नेता और अफसर इन अधिकारियों को बचाने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए हैं? यह चर्चा इसलिए है कि शराब घोटाले में बंद राजनेताओं और कारोबारी को राहत नहीं मिल रही है, लेकिन अफसर बिना गिरफ्तारी के ही जमानत लाने में सफल हो गए. चर्चा है कि एक सीनियर आईपीएस और एक पूर्व मंत्री की जोड़ी इन अफसरों को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है.

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