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Raipur: भारतमाला परियोजना घोटाला केस में खुली एक और परत, 2 कर्मचारी समेत 6 और गिरफ्तार

Ambikapur News

फाइल इमेज

Raipur: भारतमाला परियोजना घोटाले की परतें लगातार खुलती जा रही हैं. इस हाई प्रोफाइल मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) की टीम ने जल संसाधन विभाग के दो कर्मचारियों सहित छह और लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें दो लोकसेवक- गोपाल राम वर्मा और नरेंद्र कुमार नायक के नाम प्रमुख हैं.

EOW का बड़ा एक्शन

EOW ने जिन 6 लोगों को गिरफ्तार किया है उन सभी पर भूमि अधिग्रहण और बटांकन की प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ियां करने का आरोप है. EOW के अनुसार जल संसाधन विभाग के गिरफ्तार कर्मचारियों ने भूमि अधिग्रहण की गलत रिपोर्टें पेश की थीं, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा.

भूमी अधिग्रहण और बटांकन की प्रक्रिया में गड़बड़ी

वहीं, गिरफ्तार किए गए अन्य चार आरोपियों ने विभागीय अधिकारियों के साथ मिलकर बटांकन प्रक्रिया में जानबूझकर छेड़छाड़ की थी. सभी आरोपियों को EOW की विशेष अदालत में पेश किया गया.

न्यायिक रिमांड पर भेजा

अदालत ने जल संसाधन विभाग के दो कर्मचारियों को न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है, जबकि चार अन्य को 18 जुलाई तक पुलिस कस्टडी में रखा जाएगा.

इससे पहले भी चार अन्य लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है. अब तक कुल गिरफ्तारियों की संख्या 10 हो चुकी है, जिससे यह साफ है कि भारतमाला परियोजना घोटाले में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं. इस मामले में आगे और भी बड़ी गिरफ्तारियां हो सकती हैं. EOW द्वारा जांच तेज कर दी गई है.

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भारत माला प्रोजेक्ट में 300 करोड़ का घोटाला

रायपुर से विशाखापट्टनम के बीच बन रहे एक्सप्रेस वे को रसूखदार और अधिकारियों ने मोटी कमाई और भ्रष्टाचार का एक्सप्रेस वे बना दिया. भारत सरकार की भारत माला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम के बीच एक्सप्रेस वे बनाया जाना है. छत्तीसगढ़ से विशाखापट्टनम की दूरी करीब 546 किलोमीटर है. कॉरिडोर बन जाने से यह दूरी घटकर 463 किमी हो जाएगी. यानी रायपुर से विशाखापट्टनम की दूरी 83 किमी कम हो जाएगी. लेकिन इसी एक्सप्रेस वे के लिए जमीनों का अधिग्रहण करने में कुछ सरकारी अधिकारियों ने 326 करोड़ का घोटाला कर दिया.

जानिए कैसे हुआ ‘मुआवजे का महाघोटाला’

रायपुर के अभनपुर ब्लॉक में इस घोटाले को अंजाम दिया गया है. जानकारी के मुताबिक एकड़ के जमीनों को 500 से 1 हजार वर्ग मीटर में काटा गया. वहीं, 32 प्लॉट को काटकर 142 प्लॉट बनाया गया. 32 प्लॉट का मुआवजा 35 करोड़ बन रहा था, लेकिन छोटे टुकड़े काटने के बाद ये मुआवजा 326 करोड़ हो गया और भुगतान 248 करोड़ रुपए का हो गया. इसमें 78 करोड़ का क्लेम बाकी था, जिसके बाद भंडाफोड़ हुआ. इसमें छोटे उरला, बड़े उरला, नायक बांधा गांव के किसानों की जमीन में गोल माल हुआ है.

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