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50 दिनों तक अलग-अलग नंबर से कॉल, फिर अकाउंट में पैसे ट्रांसफर… कंबोडिया में पैसे पहुंचने के बाद भारत में ऐसे वैध हो रही काली कमाई

प्रतीकात्मक चित्र

Raipur News: रायपुर में एक महिला के साथ 2.83 करोड़ की साइबर ठगी के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. विधानसभा सफायर ग्रीन कॉलोनी की रहने वाली सोनिया हंसपाल को डिजिटल अरेस्ट कर आरोपियों ने 2.83 करोड़ रुपए की ठगी के मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. इन आरोपियों ने पूछताछ के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. आरोपियों ने बताया कि वह लोग कैसे लोगों को अपने जाल में फंसाते थे और फिर ठगी का पैसा कहां भेजते थे और कैसे वह ब्लैकमनी वैध बन जाता था.

50 दिनों तक अलग-अलग नंबरों से कॉल

पूछताछ के दौरान खुलासा हुआ कि सोनिया हंसपाल को दिल्ली पुलिस के नाम से दुबई से वाट्सएप पर वीडियो कॉल आया था. आरोपियों ने 50 दिनों तक अलग-अलग नंबरों से कॉल किया. सोनिया से केरल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, चंडीगढ़ और दिल्ली के अलग-अलग बैंक अकाउंट में पैसे जमा कराए गए. इसके बाद यह पूरा पैसा उत्तर प्रदेश के एक अकाउंट में जमा हुआ.

ऐसे वैध हो रही थी अवैध कमाई

रायुपर डीएसपी क्राइम संजय सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले का रहने वाला आनंद सिंह इस पूरे रैकेट को चला रहा था. उसने BA की पढ़ाई की है और हार्डवेयर दुकान के साथ पंजाब नेशनल बैंक का ग्राहक सेवा केंद्र चलाता है. इससे पहले वह एक सेंटर लोगों का पासपोर्ट और वीजा बनाने का काम करता था. इस दौरान वह ठगी करने वाले गिरोह के संपर्क में आया और बाद में खुद अपना गिरोह बना लिया.

लोगों को भेजा दुबई

आनंद सिंह ने अपना गिरोह बनाने के बाद 15 से ज्यादा लोगों को दुबई भेजा. उन लोगों को हर महने 40 हजार रुपए वेतन और रहने-खाने का खर्च देता था. पूछताछ में खुलासा हुआ कि आनंद के संपर्क कंबोडिया में रहने वाले कुछ लोगों से भी हैं. वह साइबर ठगी करने के बाद पूरा पैसा कंबोडिया भेजता था और वहां से अलग-अलग कारोबार के नाम पर वापस पैसा भारत आता था. इसके अलावा आनंद की कई फेक कंपनियां भी हैं, जो विदेश में भी सेवा देती हैं.

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दुबई भेजे जाते थे यहां से सिम कार्ड

जांच में खुलासा हुआ कि आनंद सिंह का साथी आकाश साहू सिम कार्ड की व्यवस्था करता है. वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का रहने वाला है. वह निजी टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बनकर गांव-गांव घूमता है और झोपड़ियों में रहने वाले या बेघर लोगों के नाम पर सिम कार्ड खरीदता है. इन सिम कार्डों को दुबई भेजा जाता है, जहां से लोगों को फोन कर ठगा जाता है. आकाश को इस काम के लिए 2 लाख रुपए मिले हैं.

वहीं, नवीन मिश्रा और अनूप मिश्रा फर्जी कंपनियां रजिस्टर कर करंट अकाउंट खोलते हैं, जिनमें ठगी का पैसा जमा होता है. दोनों को इस काम के लिए 90 लाख रुपए मिले हैं. शेर बहादुर दुबई भेजने के लिए लोगों की व्यवस्था करता है और ठगी का पैसा निकालकर आनंद को सौंपता है. उसे 10 लाख रुपए मिले हैं.

बैंक कर्मचारियों पर भी शक

पुलिस को संदेह है कि बैंक का कोई कर्मचारी ठगों से मिला हुआ है, जो लोगों के मोबाइल नंबर लीक कर रहा है. ठग खास तौर पर उन उम्रदराज या अकेले लोगों को निशाना बनाते हैं, जिनके खातों में बड़ी रकम जमा है. यह जांच का विषय है कि चुनिंदा लोगों की जानकारी ठगों तक कैसे पहुंच रही है.

भारत सरकार की चिट्ठी के बाद कंबोडिया में कार्रवाई

देश में होने वाली साइबर ठगी का ज्यादातर पैसा कंबोडिया, वियतनाम जैसे देशों में जा रहा है. भारत सरकार ने पांच दिन पहले ठगी से जुड़ी कंपनियों और लोगों की जानकारी कंबोडिया सरकार को भेजी थी. चार दिन पहले वहां छापेमारी में 3075 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें 105 भारतीय नागरिक शामिल हैं. रायपुर पुलिस अब कंपनियों की जानकारी जुटाकर भारत सरकार को कार्रवाई के लिए पत्र लिखेगी.

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