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हथियार बनाने की 4 फैक्ट्री, नक्सिलयों का ट्रेनिंग कैंप और 21 दिन में 31 नक्सली ढेर, पढ़ें एंटी नक्सल ऑपरेशन की कहानी

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21 दिन में 31 नक्सली ढेर

Bijapur: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद के अंत की जो डेडलाइन तय की है, उसे पूरा करते हुए छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने बड़ी सफलता हासिल की है. छत्तीसगढ़-तेलंगाना के बार्डर पर बीजापुर में 21 दिनों तक चले एंटी नक्सल ऑपरेशन में जवानों ने 31 नक्सली ढेर किए. साथ ही हथियार बनाने की 4 फैक्ट्री और नक्सलियों के ट्रेनिंग कैंप को भी तबाह किया. इसके अलावा भारी मात्रा में हथियार भी बरामद किए. 14 मई को CRPF के डीजी जीपी सिंह, छत्तीसगढ़ DG अरुण देव गौतम और बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऑपरेशन की पूरी जानकारी दी.

नक्सलियों का गढ़ ध्वस्त

माओवादियों का सबसे मजबूत सशस्त्र संगठन पीएलजीए बटालियन, सीआरसी कंपनी, और तेलंगाना स्टेट कमेटी का गढ़ सुकमा और बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में था. इन क्षेत्रों में सुरक्षा बलों ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कई नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए और खुफिया जानकारी आधारित अभियान चलाए. इससे माओवादी दबाव में आए और उन्होंने यूनिफाइड कमांड का गठन कर बीजापुर (छत्तीसगढ़) और मुलुगू (तेलंगाना) की सीमा पर स्थित करेगुट्टालू पहाड़ी पर शरण ली, जिसे वे अभेद्य मानते थे.

नक्सलियों के आखिरी ठिकाने पर कसा शिकंजा

करेगुट्टालू पहाड़ी, जो लगभग 60 KM लंबी और 5-20 KM चौड़ी है. वह एक एक अत्यंत दुर्गम क्षेत्र है. पिछले ढाई सालों में नक्सलियों ने यहां अपना बेस तैयार किया था, जिसमें 300-350 सशस्त्र कैडर, पीएलजीए बटालियन की टेक्निकल यूनिट, और अन्य महत्वपूर्ण संगठन शामिल थे.

अब तक का सबसे बड़ा अभियान

21 अप्रैल 2025 से छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने एक व्यापक संयुक्त अभियान शुरू किया, जो अब तक का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान है. इस अभियान का उद्देश्य नक्सलियों की सशस्त्र क्षमता को नष्ट करना, उनके हथियारबंद दस्तों को समाप्त करना और दुर्गम क्षेत्रों से उन्हें खदेड़ना था.

21 मुठभेड़ों में 31 नक्सली ढेर, भारी मात्रा में हथियार बरामद

21 अप्रैल से 11 मई 2025 तक चले अभियान में 21 मुठभेड़ों में 16 महिला नक्सलियों सहित 31 नक्सलियों के शव और 35 हथियार बरामद किए गए. प्रारंभिक जांच से पता चला कि मारे गए माओवादी प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) संगठन की पीएलजीए बटालियन नंबर 01, तेलंगाना स्टेट कमेटी, और दंडकारण्य विशेष जोनल कमेटी से संबंधित थे. इस दौरान 216 माओवादी ठिकाने और बंकर नष्ट किए गए, जिनमें 450 आईईडी, 818 बीजीएल शेल, 899 बंडल कॉर्डेक्स, डेटोनेटर, और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद हुई.

हथियार बनाने की 4 फैक्ट्री

सुरक्षा बलों ने माओवादियों की चार तकनीकी इकाइयों को नष्ट किया, जो बीजीएल शेल, देसी हथियार, और आईईडी बनाने में उपयोग हो रही थीं. इन ठिकानों से चार लेथ मशीनें भी बरामद कर नष्ट की गईं. साथ ही, राशन, दवाइयां, और दैनिक उपयोग की सामग्री भी जब्त की गई.

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सुरक्षा बलों का अदम्य साहस

इस अभियान के दौरान कठिन परिस्थितियों में सुरक्षा बलों ने असाधारण साहस दिखाया। 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान और डिहाइड्रेशन जैसी चुनौतियों के बावजूद जवानों ने अभियान को अंजाम दिया. इस दौरान विभिन्न आईईडी विस्फोटों में कोबरा, एसटीएफ, और डीआरजी के 18 जवान घायल हुए, जो अब खतरे से बाहर हैं और उनका इलाज चल रहा है.

2025 में नक्सलियों को बड़ा झटका

साल 2024 की सफलता को आगे बढ़ाते हुए 2025 में पिछले चार महीनों में 174 हार्डकोर माओवादियों के शव बरामद किए गए हैं. इस अभियान ने माओवादियों की सशस्त्र इकाइयों को छोटे-छोटे दस्तों में विभाजित कर दिया है. सुरक्षा बलों की पकड़ बीजापुर, नारायणपुर के माड़ क्षेत्र और नेशनल पार्क जैसे क्षेत्रों में मजबूत हुई है.

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आगे की रणनीति

सुरक्षा बल माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में आम लोगों का विश्वास जीतने, क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने और नक्सलियों के समूल उन्मूलन के लिए आक्रामक कार्रवाई जारी रखेंगे. यह अभियान नक्सली के खिलाफ एक निर्णायक कदम साबित हो रहा है, जिसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे.

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