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कैसे शराब घोटाले में फंसे पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य? 2100 करोड़ से ज्यादा की हेराफेरी के आरोप

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पूर्व CM भूपेश बघेल और बेटे चैतन्य बघेल

CG News: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले (CG Liquor Scam) में ED की जांच की आंच छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के बेटे चैतन्य बघेल (Chaitanya Baghel) तक पहुंच गई है. सोमवार को सुबह-सुबह ED की टीम ने इस मामले में चैतन्य के खिलाफ शिकंजा कसते हुए छापा मारा. सोमवार सुबह ED के अधिकारी दुर्ग जिले के भिलाई स्थित भूपेश बघेल के आवास पहुंचे.

ED ने मारा छापा

सोमवार सुबह-सुबह ED की टीम पूर्व CM भूपेश बघेल के भिलाई स्थित आवास पर पहुंची. इस कार्रवाई को लेकर ED की ओर से जानकारी दी गई कि PMLA के तहत सर्चिंग की गई है. यह सर्चिंग पूर्व CM भूपेश बघेल के आवास परिसर से संबंधित है, जिसमें उनके बेटे चैतन्य बघेल का आवास और चैतन्य के करीबी सहयोगी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ ​​पप्पू बंसल का आवास भी शामिल है. ED ने जांच के दौरान पाया कि चैतन्य बघेल भी शराब घोटाले से उत्पन्न अपराध की आय के प्राप्तकर्ता हैं, जिसमें अपराध की कुल आय लगभग 2161 करोड़ रुपए है, जिसे विभिन्न योजनाओं के माध्यम से निकाला गया है.

क्या करते हैं चैतन्य बघेल?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल बेहद सादगी पूर्ण जीवन जीते हैं. MBA की पढ़ाई पूरी कर चुके चैतन्य कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. साथ ही रियल स्टेट का कारोबार भी करते हैं.

कैसे फंस गए चैतन्य बघेल?

पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के खिलाफ इस एक्शन के बाद अब वह भी शराब घोटाला केस में फंसते नजर आ रहे हैं. इस घोटाला मामले में पहले ही प्रदेश के पूर्व आबकारी मंत्री और वर्तमान में कोंटा के विधायक कवासी लखमा को गिरफ्तार कर चुकी है. वहीं, रायपुर के पूर्व मेयर ऐजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर, पूर्व IAS अधिकारी अनिल टूटेजा और आबकारी विभाग के पूर्व MD एपी त्रिपाठी के खिलाफ एक्शन ले चुकी है.

माना जा रहा है कि शराब घोटाले में जुड़े रकम को चैतन्य बघेल और उनके करीबियों की संपत्ति में इंवेस्ट किया गया है.

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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला

छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस की सरकार थी यानी साल 2018 से 2023 के बीच प्रदेश में करीब 2000 करोड़ रुपए काे शरब घोटाला हुआ. तब कवासी लखमा प्रदेश में आबकारी मंत्री थे. आरोप है कि तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को इस घोटाले की जानकारी थी. घोटाला के दौरान कमीशन का एक बड़ा हिस्सा पूर्व मंत्री कवासी लखमा के पास भी जाता था. ED ने इस घोटाले में पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को मास्टरमाइंड बताया.

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