CG News: छत्तीसगढ़ में लगातार ‘लाल आतंक’ के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन से नक्सली घबराने लगे हैं. नक्सलियों ने 5वीं बार प्रेस नोट जारी कर शांति वार्ता की अपील की है. इस बार नक्सलियों के केंद्रीय प्रवक्ता अभय ने प्रेस नोट जारी करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात करने की बात कही है.
नक्सलियों का प्रेस नोट जारी
शांतिवार्ता को लेकर नक्सलियों के केंद्रीय प्रवक्ता अभय का एक और लेटर सामने आया है. नक्सलियों के प्रवक्ता अभय ने शांतिवार्ता के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अपना पक्ष सामने रखने की बात कही है. नक्सली प्रवक्ता ने कहा- ‘युद्धविराम के लिए हमारी केंद्रीय कमेटी के सदस्य एक साथ बैठ नहीं पा रहे हैं. लगातार चल रहे ऑपरेशन के चलते केंद्रीय कमेटी सदस्यों का मिलना संभव नहीं हो पा रहा है.’
नक्सलियों की अपील
नक्सलियों की ओर से जारी प्रेस नोट में लिखा गया- ‘आदरणीय मोदी जी की सरकार इसके लिए तैयार है या नहीं, स्पष्ट करें! ऑपरेशन कगार पर रोक लगाने एवं जन समस्याओं का स्थायी समाधान के लिए शांति वार्ता करने सरकार तैयार हो, इसके लिए प्रयास करें! देशवासियों, जनवादीप्रेमियों एवं अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी व जनवादी शक्तियों से हमारी पार्टी की अपील. हमारी पार्टी की केंद्रीय कमेटी की तरफ से मैंने 25 अप्रैल को दूसरा प्रेस बयान जारी कर केंद्र व राज्य सरकारों से यह अपील किया था कि जन समस्याओं का स्थायी समाधान के लिए समयसीमा के साथ युद्ध विराम की घोषणा कर शांति वार्ता चलाएं. इस पर तेलंगाना राज्य सरकार ने तुरंत सकारात्मक प्रतिक्रिया देना सराहनीय है. लेकिन केंद्र व छत्तीसगढ़ सरकार से जो प्रतिक्रिया आयी वह चिंताजनक है. उसमें केंद्रीय गृह मंत्रालय के राज्य मंत्री बंडि संजय जी और छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री-राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा जी ने यह घोषणा की कि युद्ध विराम करने का सवाल ही नहीं उठता और हथियार छोड़ने के बगैर माओवादियों से शांति वार्ता करना संभव नहीं है.’
अमित शाह की प्रतिक्रिया की मांग
पत्र में आगे लिखा- ‘विजय शर्मा जी ने बार-बार यह घोषणा की कि बिना शर्त शांति वार्ता करने के लिए सरकार तैयार हैं, पर अब इसके विपरीत युद्ध विराम करने के बगैर ही माओवादियों को हथियार छोड़ने का शर्त लगाए हैं. दरअसल, हमारी पार्टी के नेतृत्व में क्रांतिकारी आंदोलन तेलंगाना व छत्तीसगढ़ तक ही सीमित नहीं है. देशभर में लगभग 16 राज्यों में हमारी पार्टी कार्यरत हैं. इसलिए शांति वार्ता के मामले में केंद्रीय गृह मंत्री आदरणीय अमित शाह की प्रतिक्रिया आना चाहिए. उनकी प्रतिक्रिया से ही स्पष्टता आयेगी.’
केंद्र से शांति वार्ता की अपील
हमारी पार्टी 2002 से ही शांति वार्ता के प्रति अपना रुख स्पष्ट करती आ रही है. 2004 में जनता एवं जनवादीप्रेमियों की मांग को लेकर अविभक्त आंध्रप्रदेश में तत्कालीन कांग्रेस की राज्य सरकार ने हमारी पार्टी के साथ वार्ता की पर उस वार्ता को उसने अंतिम छोर तक नहीं चलायी, बीच में एकतरफा ही वार्ता से पीछे हट गयी. उस समय यह मामला आंध्र प्रदेश राज्य तक ही सीमित रहा था. लेकिन 2010 में देश के नागरिक समाज एवं जनवादीप्रेमियों की अपील को लेकर हमारी पार्टी की केंद्रीय कमेटी की तरफ से केंद्र सरकार से शांति वार्ता चलाने के लिए गंभीर प्रयास किए गए. लेकिन शांति वार्ता के लिए प्रयासरत हमारी पार्टी के प्रवक्ता कामरेड आजाद को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने षडयंत्र के साथ पकड़ कर हत्या की. इसी दौरान पश्चिम बंगाल में केंद्र व राज्य सरकारें हमारी पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य कामरेड रामजी (मल्लोझला कोटेष्वरलू) की हत्या कीं. शांति वार्ता की प्रक्रिया को कुचल दीं. तबसे लेकर अभी तक शांति वार्ता के मामले में हमारी पार्टी का रुख में कोई बदलाव नहीं है. हमारी पार्टी हमेशा शांति वार्ता के लिए तत्पर है. लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से कभी ऐसे पहल नहीं किया गया, यह चिंताजनक है.
