Vistaar NEWS

मैनपाट में धर्मांतरण का खेल! बीमारी ठीक होने, शादी में अलमारी, बर्तन और गिफ्ट देने का झांसा देकर करा रहे कन्वर्जन

CG News

मैनपाट में धर्मांतर का खेल

CG News: छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट में इन दिनों जागरूकता और शिक्षा के अभाव में लोग धर्मांतरण करने के लिए विवश हैं, लोग यहां छोटी-छोटी बीमारियों और आर्थिक तंगी के कारण धर्म परिवर्तन कर रहे हैं. मैनपाट की बड़ी मां कुनिया और नर्मदापुर गांव में ऐसे सैकड़ों परिवार हैं. जिन्होंने पिछले कुछ सालों के भीतर अपना धर्म बदल लिया है लोगों का कहना है कि उन्होंने अपनी बीमारियों को दूर करने के लिए कई जगहों पर इलाज कराया इलाज में उनकी जमीन जायदाद और यहां तक की मवेशी तक बिक गया लेकिन जब बीमारियां ठीक नहीं हुई तब उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म मानना शुरू कर दिया। विस्तार न्यूज़ ने गांव में पहुंचकर लोगों से बातचीत की तो पता चला किस तरीके से अवैध धर्मांतरण मैनपाट को अपने आगोश में ले रहा है.

टाइफाइड ठिक हुआ तो शांति ने बदल लिया धर्म

मैनपाट का नर्मदापुर ग्राम पंचायत और इसका एक मोहल्ला है हरिजनपारा, यहां कुछ परिवारों ने अपना धर्म परिवर्तन किया है ऐसी जानकारी विस्तार न्यूज़ की टीम को लगी तो विस्तार न्यूज़ इस गांव में पहुंच गया यहां हमें मिली शांति रवि, उन्होंने बताया कि उन्हें पीलिया हो गया था टाइफाइड जैसी गंभीर बीमारियों ने जकड़ लिया था कई अलग-अलग जगह पर जाकर उन्होंने अपना इलाज कराया लेकिन इसके बाद भी कोई असर नहीं हुआ उन्होंने यहां तक की झाड़ फूक भी कराया पर उसका भी असर दिखाई नहीं दिया और जमीन जायजाद, बकरी मवेशी सब बिक गए तो उन्होंने चंगाई सभा में जाना शुरू किया और अब वह ईसाई धर्म को मानती है तब से कुछ हद तक उनका स्वास्थ्य ठीक है ईसाई धर्म को मानने की वजह से उन्होंने कलाई में चूड़ी पहनना और माथे में सिंदूर लगाना तक छोड़ दिया है यहां तक की माथे में वह बिंदी तक नहीं लगा रही है.

बीमार लोग बदल रहे हैं अपना धर्म

जनपद सदस्य बिरन रवि भी हमें मिले, उन्होंने बताया कि लोगों को जब कोई तकलीफ होता है तो उन्हें इस बात की उम्मीद बढ़ जाती है कि वह चंगाई सभा में जाएंगे और वहां झाड़ फूंक करेंगे तो उनकी तबीयत ठीक हो जाएगी और यही वजह है कि हमारे इलाके में कई परिवारों ने अपना धर्म बदल लिया है.

शादी में गिफ्ट देकर दे रहे झांसा

नर्मदापुर में ही रहने वाले सनुक साय जो छोटा सा किराना दुकान चलाते हैं, उनका कहना है कि उन्हें भी कुछ लोगों ने हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म मानने के लिए प्रेरित किया लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी उनका कहना है कि ईसाई धर्म मानने के लिए प्रेरित करने वाले लोग झांसा देते हैं कि उनके धर्म को मानने पर बीमारियां ठीक हो जाएगी यहां तक की शादी विवाह में भी सहयोग करने की भी बात करते हैं, शादी में गिफ्ट के तौर पर थाली, अलमारी देते हैं और यही वजह है कि लोग अपना धर्म बदल रहे हैं.

चंगाई सभा में गए, लेकिन झांसे में नहीं फंसे गंगा राम

विस्तार न्यूज़ की टीम नर्मदापुर के बाद बरिमा गांव पहुंची. यहां हमें गंगा मांझी मिले. गंगा मांझी ग्राम पंचायत में पंच के पद पर निर्वाचित हैं. उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले हुए भी चंगाई सभा में जाते थे उन्हें भी लोगों ने ईसाई धर्म मानने के लिए प्रेरित किया था लेकिन उनका कहना है कि उन्होंने ईसाई धर्म को स्वीकार नहीं किया और उनके घर के बाजू में है स्थित एक मकान में पिछले कई सालों से चंगाई सभा का आयोजन हर रविवार के दिन किया जाता है.

ये भी पढ़े- Bilaspur: गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में चुनाव बना समस्या, जिला प्रशासन ने 3 साल से आईटी बिल्डिंग में किया कब्जा

भाई पागल था इसलिए मायके वालों ने भी बदला धर्म

चंगाई सभा का आयोजन जिस घर में किया जाता है वहां पर हमें सुहानी मांझी नाम की एक महिला मिली। उन्होंने बताया कि उनके घर में 8 सालों से ईसाई समुदाय के द्वारा चंगाई सभा का आयोजन किया जा रहा है और यह इसलिए क्योंकि उनके घर में पहले लोग बीमारी से बेहद परेशान रहते थे आर्थिक रूप से वे संपन्न नहीं हो पा रहे थे इसकी वजह से उनके घर में चंगाई सभा हो रहा है और यही वजह है कि वे अब ईसाई धर्म को मान रहे हैं उनका कहना है कि पहले उन्हें शैतान परेशान करते थे इससे उनका पूरा परिवार परेशान रहता था उन्होंने यह भी बताया कि उनका भाई मानसिक रूप से बीमार हो गया था या यूं कहे पागल जैसा हरकत करता था. इस पर उसने अपने मायके वालों को भी ईसाई धर्म मानने के लिए कहा और मायके के लोग भी चंगाई सभा में आने लगे और फिर उन्होंने ईसाई धर्म मनाना शुरू किया तो अब उसका भाई कुछ हद तक ठीक है.

मेन स्ट्रीम का चर्च नहीं करा रहा धर्मांतरण

इस मामले में ईसाई समुदाय के सरगुजा धर्म प्रान्त के विकर जनरल विलियम उर्रे का कहना है कि मेन स्ट्रीम का चर्च धर्मांतरण नहीं कर रहा है कुछ लोग हैं जो अपने स्वार्थ के लिए इस तरह का काम कर रहे हैं जो गलत है वही बीमारियों और दूसरे हो जहां से धर्म बदलने गलत है क्योंकि चंगाई सभा में जाने से बीमारियां ठीक नहीं होती है इसके लिए अस्पताल जाने की जरूरत है.

सरना पूजा करते हैं यहां आदिवासी, खुद को नहीं मानते हैं हिन्दू

सरगुजा के मैनपाट को पर्यटन के लिहाज से बेहद खास माना जाता है लेकिन यहां के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा और जागरूकता के साथ आर्थिक तंगी सबसे बड़ी गंभीर समस्या है। यहां के लोग इन्ही वजह से अपना धर्म तक बदल दे रहे हैं। माझी जनजाति के लोग यूं तो कागजों में अपना धर्म हिंदू धर्म बताते हैं लेकिन धीरे-धीरे अब इस जनजाति के सैकड़ो परिवार धर्मांतरण के शिकार हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ इस समुदाय के कुछ लोगों का यह भी कहना है कि वह हिंदू धर्म नहीं मानते हैं उनका धर्म प्रकृति की पूजा करना है और वह सरना पूजा करते हैं.

Exit mobile version