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क्या आप नकली पनीर खा रहे है? रायपुर में घटिया ऑयल, फैट के डल्ले से गंदगी में बन रहा पनीर, तस्वीरें देख उड़ जाएंगे होश

CG News

रायपुर में नकली पनीर का भंडाफोड़

CG News: छत्तीसगढ़ में बड़ी मात्रा में नकली पनीर बनाया जा रहा है. वहीं रायपुर में कई नकली पनीर बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ है. जहां तेल, फैट और पाउडर से बन रहा था नकली पनीर फैक्ट्री में नकली पनीर बनाने के लिए सस्ता और घटिया क्वालिटी का पाम ऑयल, फैट के डल्ले, और दूध पाउडर का उपयोग किया जा रहा था.

जरा सोचिए 30 रुपए में पनीर मोमोज, 50 रुपए में भरपेट पनीर की सब्जी, पनीर पकोड़ा 25–30 रुपए में आपको इतना सस्ता कैसे मिल रहा है, जबकि बाजार दूध की कीमत 60 से 65 रुपए है. और रिसर्च कहता है कि 5 लीटर दूध में 1 किलो पनीर तैयार होता है.. और छत्तीसगढ़ में प्रति दिन बस 4.5 से 5 लाख लीटर दूध का संग्रह हो पता है जबकि पनीर की डिमांड 1 लाख किलो से ज्यादा की है.

छत्तीसगढ़ में रोज 4.5 से 5 लाख लीटर दूध का होता है संग्रह

जब राज्य में इतना दूध ही नहीं हो रहा है. तो सोचिए पनीर कहा से आ रहा होगा.. यही वजह से जितना पनीर का उत्पादन होता है उससे दुगना पनीर दूसरे राज्यों से आता है और इसी पनीर पर शक है.. कि यह पनीर असली है या फिर नकली.

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रायपुर में घटिया ऑयल, गंदगी में बन रहा नकली पनीर

वहीं पिछले 6 महीनों में नकली पनीर को लेकर खाद्य विभाग ने कार्यवाही की है. जिसके तहत 8 हजार किलो नकली पनीर को नष्ट किया गया.

नकली पनीर और असली पनीर का फर्क

असली पनीर दूध को फाड़कर बनाया जाता है. जिसे तैयार करने में प्रति किलो 250–300 से ज्यादा का खर्चा आता है. बाजार में पनीर का भाव 400 रुपए किलो है.. मुनाफा कम है. इसलिए व्यापारी डेयरी एनालॉग्स बना रहे. छत्तीसगढ़ में 15 से ज्यादा व्यापारी डेयरी एनालॉग्स है. जिन्हें पनीर बनाने का लाइसेंस है. एनालॉग्स को तैयार करने में मात्र 100 से 150 रुपए का खर्चे आता है.. मुनाफा ज्यादा है.

क्या है केंद्रीय खाद्य विभाग के नियम

पनीर और डेयरी एनालॉग्स दोनों को FSSAI लाइसेंस देता है.

पनीर: FSSAI पनीर के लिए मानक निर्धारित करता है, जिसमें दूध की गुणवत्ता, वसा की मात्रा, और स्वच्छता शामिल है. पनीर को दूध से बनाया जाना चाहिए और उसमें कम से कम 50% दूध वसा होनी चाहिए.

डेयरी एनालॉग्स: ये उत्पाद दूध या डेयरी उत्पादों की नकल करते हैं. और एनालॉग्स पनीर इन सब वेजिटेबल ऑयल, पल्मोनरी आयल, सोयाबीन ऑयल, केमिकल, सिंथेटिक कलर से बनाया जाता है..

स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे अज्ञात स्त्रोत से आने वाले डेयरी उत्पादों का सेवन न करें. लेकिन केंद्रीय खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने  मिलावटखोरों को जेल भेजने का प्रावधान ही खत्म कर दिया है. खाने-पीने की चीजों में पिछले तीन साल के दौरान धीरे-धीरे लेकिन महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं. उन्हीं संशोधन में मिलावटखोरों को जेल भेजने का प्रावधान खत्म कर और सजा को जुर्माने में तब्दील किया गया. हालांकि, जेल भेजने का नियम बदलने के साथ जुर्माने की रकम में बढ़ोतरी की गई. लेकिन ये बढ़ोतरी भी दो लाख से बढ़ाकर अधिकतम 10 लाख तक ही की गई है. मिलावटखोरों को एक तरफ जहां जेल भेजने का प्रावधान खत्म किया गया, वहीं खाने पीने की ऐसी चीजों पर कानूनी मुहर लगा दी जो अब तक मिलावटी की श्रेणी में आती थीं.

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