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कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर चला एंटी नक्सल ऑपरेशन क्यों है सबसे अलग, पुलिस ने जारी की डॉक्यूमेंट्री

Karregutta Hill (representative image)

कर्रेगुट्टा की पहाड़ी (सांकेतिक तस्वीर)

CG News: बीजापुर के कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर पिछले 21 दिन से अब तक का सबसे बड़ा एंटी नक्सल ऑपरेशन चल रहा था. ऑपरेशन में बड़ी सफलता हाथ लगी और जवानों ने 31 माओवादियों को मार गिराया. भले ही ऐसा लगे की 31 का आंकड़ा तो कम है, क्योंकि हमने पहले भी बड़े-बड़े आंकड़े देखे हैं. लेकिन ऑपरेशन इसलिए इतना बड़ा और सफल है क्योंकि यही वह जगह है जिसे माओवादी अपना सबसे सुरक्षित ठिकाना समझते थे. ऐसा माना जाता था कि यहां जवान नहीं पहुंच सकते हैं.

उनकी यह सोच बहुत हद तक सही भी थी क्योंकि यह पहाड़ी बहुत ही दुर्गम है और 60 किलोमीटर लंबी है और तीन तरफ से अलग-अलग राज्य से लगी हुई है. सबसे बड़ी बात ये है कि इस पूरी पहाड़ी के चारों तरफ सैकड़ों आईईडी प्लांट किए हुए थे यानी कि कदम-कदम पर खतरा था. यही कारण था कि जवानों को इसे फतह करने में 21 दिन लग गए और अब जब लगभग 20 हजार जवानों ने लगातार 21 दिन ऑपरेशन चलाया, तब 31 माओवादियों को मारने मे सफल हुए हैं. इसमें 18 जवान भी घायल हुए.

सबसे बड़ा एंटी नक्सल ऑपरेशन

यह ऑपरेशन अब तक का सबसे बड़ा एंटी नक्सल ऑपरेशन था. जिसके बारे में डीजीपी अरुण देव गौतम और सीआरपीएफ के डीजी जीपी सिंह ने बताया कि 21 दिन तक चले इस ऑपरेशन के दौरान 21 बार मुठभेड़ हुई. जिसमें जवानों ने 31 नक्सलियों को मार गिराया. इनमें 16 महिला और 15 पुरुष हैं. मारे गए इन नक्सलियों पर 1 करोड़ 72 लाख रुपये से ज्यादा का इनाम घोषित था. डीजीपी अरुण देव ने बताया कि यह अभियान इसलिए जरूरी था, क्योंकि नक्सलियों को लगता था कि इस इलाके में फोर्स नहीं आ सकती है. ऐसे में ऑपरेशन में शामिल लगभग 20 हजार जवानों ने 450 से ज्यादा आईईडी को नष्ट करते हुए नक्सलियों के पहाड़ पर कब्जा किया और उनके भ्रम को तोड़ दिया.

जब यह ऑपरेशन चल रहा था इसी बीच नक्सलियों के केंद्रीय प्रवक्ता अभय ने शांति वार्ता और युद्ध विराम के लिए पर्चा जारी किया. हाल के दिनों में नक्सलियों की ओर से इस आशय का यह पांचवा पर्चा है. जिसमें उन्होंने कहा कि हमने केंद्र व राज्य सरकारों से अपील की है कि युद्ध विराम की घोषणा कर शांति वार्ता शुरू की जाए. ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि नक्सली युद्ध विराम और शांति वार्ता की बात कर रहे हैं यह अपने आप में एक बड़ी सफलता है.

बड़ी मात्रा में हथियार बरामद किए गए

इस पूरे ऑपरेशन के दौरान जवानों को भारी मात्रा में हथियार प्राप्त हुए हैं. इनमें नक्सलियों के पास से इंसास, बीजीएल, मेगा स्नाइपर, एसएलआर जैसे हथियारों का बड़ा जखीरा मिला. ठिकानों में तलाशी के दौरान 450 नग आईईडी, 818 बीजीएल सेल, 899 बंडल कारडेक्स, डेटोनेटर व भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद हुई. इसके साथ ही जवानों ने नक्सलियों की चार तकनीकी इकाइयों को भी नष्ट किया गया. जिसका उपयोग बीजीएल सेल, देसी हथियार,आईडी और अन्य हथियारों के निर्माण के लिए किया जाता था.

पुलिस ने जारी की डॉक्यूमेंट्री

सुरक्षाबलों ने इस ऑपरेशन को कैसे पूरा किया? इसे पुलिस ने एक डॉक्यूमेंट्री के जरिए बताया. जिसमें पहाड़ की लोकेशन और जवानों ने कैसे संघर्ष कर कर्रेगुट्टा पहाड़ फतह किया, वह सब दिखाया गया है. डीजीपी गौतम ने कहा कि जवानों के अदम्य साहस का नतीजा है कि नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना अब फोर्स के कब्जे में है. जवानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर पहाड़ को फतह किया. इस पूरे इलाके में 250 से ज्यादा छोटी बड़ी बंकरनुमा गुफाएं भी मौजूद हैं, जो नक्सलियों के छिपने का ठिकाना बनती थीं. यह पूरा ऑपरेशन इलाके को नक्सली मुक्त बनाने के लिए चलाया गया था.

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उन्होंने यह भी बताया की पहाड़ी के चारों तरफ 450 से ज्यादा आईइडी निष्क्रिय किए गए और कई आईईडी को मौके पर ही नष्ट किया गया. ऑपरेशन के दौरान जवानों ने पहाड़ पर नक्सलियों के हथियार बनाने की फैक्ट्री को भी तबाह किया. इसी पहाड़ पर नक्सली देशी हथियार बना रहे थे. नक्सलियों ने इलाज के लिए एक छोटा सा हॉस्पिटल भी बना कर रखा था. डीजीपी गौतम ने यह भी बताया कि नक्सलियों ने पहाड़ पर 12,000 किलो से ज्यादा राशन छिपा रखा था. इस राशन के जरिए नक्सली यहां 2 साल आराम से गुजार सकते थे.

पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी सराहा

इससे यह साफ है कि यह जगह माओवादियों का सबसे सुरक्षित माने जाने वाला ठिकाना था, जिसे अब जवानों ने ध्वस्त कर दिया है. इतने बड़े ऑपरेशन में सफलता मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि नक्सलवाद को समाप्त करने की दिशा में अभियान आगे बढ़ रहा है. इससे प्रभावित क्षेत्रों में शांति की स्थापना के साथ उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ने हम प्रतिबद्ध हैं. इस सफलता के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कर्रेगुट्टा बड़े नक्सली संगठनों का यूनिफाइड हेड क्वार्टर था. जहां लाल आतंक का राज था अब वहां तिरंगा लहरा रहा है. देश मार्च 2026 तक नक्सली मुक्त हो जाएगा. इस ऑपरेशन के बाद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, ‘लाल आतंक के विरुद्ध चल रही इस निर्णायक लड़ाई में जवानों ने बहादुरी से नक्सलियों का सामना किया है, वह दिन दूर नहीं जब छत्तीसगढ़ नक्सली मुक्त होगा.’

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