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रायपुर में जमीन अधिग्रहण के नाम पर 300 करोड़ रु. की हेराफेरी, SDM-तहसीलदार भी शामिल

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जमीन घोटाला

CG News: रायपुर से विशाखापट्टनम के बीच बन रहे एक्सप्रेस वे को रसूखदार और अधिकारियों ने मोटी कमाई और भ्रष्टाचार का एक्सप्रेस वे बना दिया है. दूरी कम करने के लिए बनाया जा रहा प्रोजेक्ट अब अभनपुर के पास घोटाले का प्रोजेक्ट बन गया है. जहां मुआवजे की राशि 35 करोड़ देना था. लेकिन अब जमीनों के अधिग्रहण में हेर फेर के कारण 326 करोड़ देना पड़ रहा है. इस पूरे खेल के मुख्य किरदार तत्कालीन SDM, तहसीलदार और कुछ रसूखदार है.

एक्सप्रेस वे बनाने 300 करोड़ से ज्यादा का जमीन घोटाला

जमीन मुआवजे के नाम पर अधिकारी और व्यापारियों ने ग्रामीणों के साथ खेल किया. भारत सरकार की भारत माला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम के बीच एक्सप्रेस वे बनाया जाना है. छत्तीसगढ़ से विशाखापट्टनम की दूरी करीब 546 किलोमीटर है. कॉरिडोर बन जाने से यह दूरी घटकर 463 किमी हो जाएगी. यानी रायपुर से विशाखापट्टनम की दूरी 83 किमी कम हो जाएगी. लेकिन इसी एक्सप्रेस वे के लिए जमीनों का अधिग्रहण करने में कुछ सरकारी अधिकारियों ने 326 करोड़ का घोटाला कर दिया.

जानिए कैसे हुआ “मुआवजे का महाघोटाला”

बता दें कि रायपुर के अभनपुर ब्लॉक में इस घोटाले को अंजाम दिया गया. जिसमें एकड़ के जमीनों को 500 से 1 हजार वर्ग मीटर में काटा गया. वहीं 32 प्लॉट को काटकर 142 प्लॉट बनाया गया. 32 प्लॉट का मुआवजा 35 करोड़ बन रहा था.. लेकिन छोटे टुकड़े काटने के बाद ये मुआवजा 326 करोड़ हो गया और भुगतान 248 करोड़ रुपए का हो गया है. जिसमें 78 करोड़ का क्लेम बाकी था, जिसके बाद भंडाफोड़ हुआ. इसमें छोटे उरला, बड़े उरला, नायक बांधा गांव के किसानों की जमीन में गोल माल हुआ है.

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अधिकारियों और व्यापारियों के घोटाले में पीस छोटे किसान गए. क्योंकि किसानों के जमीनों का छोटे छोटे हिस्सों लोभ और प्रलोभन देकर काट दिया गया.. वही, मुआवजे की पूरी राशि भी उनको नहीं मिल पा रही है. विस्तार न्यूज़ को कई ऐसे किसान भी मिले जिनका रकबा तो पूरा था. लेकिन यह पूरे गोल माल के खेल में उनकी जमीन तो अधिग्रहित कर ली गई लेकिन मुआवजे की राशि नहीं मिली.

SDM, तहसीलदार समेत रसूखदार शामिल

दरअसल इस मुआवजे में से 248 करोड़ रुपए बांट भी दिए गए.. हैरानी की बात ये भी है कि सूचना के प्रकाशन के बाद जमीन का डायवर्सन या बंटान का काम प्रतिबंधित हो जाता है। अब आपको बताते हैं कि इसमें आखिर किसकी भूमिका है. इसमें दो एसडीएम और एक तहसीलदार पर सवाल भी उठे हैं और आरोप भी लगे है. आपको भाजपा के नेता चंद्रशेखर साहू को भी सुनवा देते है. वो घोटाले को बारीकी बता रहे है.

जब मुआवजे के बचे हुए 78 करोड़ का क्लेम मांगा गया. तो एनएचआई के अधिकारियों की शक की सुई घूम गई. रायपुर कलेक्टर से इसकी जांच कराने को कहा सालों तक यह जांच पेडिंग पड़ी रही. जब इस जांच पर केंद्र सरकार ने दबाव बनाया तो राजस्व सचिव को यह जांच रिपोर्ट भेज दी गई है. अब अधिकारी कह रहे जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है.

इस पूरे प्रकरण में तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार के अलावा व्यापारी घोटाले में संग्लिप्त बताए जा रहे हैं. हालांकि, शासन के पास रिपोर्ट पहुंच गई है. अब देखना होगा कि कब तक शासन घोटालेबाजों को  के सलाखों के पीछे भेजती है. और निर्दोष भोले भाले किसानों को उनका हक दिलाती है.

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