CG News: छत्तीसगढ़ कोयला और DMF घोटाला केस में लंबे समय से जेल में बंद निलंबित IAS रानू साहू, समीर विश्नोई और सौम्या चौरसिया समेत कुल 6 आरोपी जेल से रिहा हो गए हैं. सभी लंबे समय से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद थे. सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद 31 मई को सभी आरोपियों को जेल से रिहा किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम जमानत
कोयला और DMF घोटाला केस में सुप्रीम कोर्ट ने 6 आरोपियों को अंतरिम जमानत दी थी. ऐसे में 31 मई को रायपुर सेंट्रल जेल से निलंबित IAS रानू साहू, समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया, रजनीकांत तिवारी, वीरेंद्र जायसवाल और संदीप नायक जेल से रिहा हो गए हैं. वहीं, कोयला घोटाला मामले में सूर्यकांत तिवारी और निखिल चंद्राकर को भी सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है, लेकिन दोनों DMF घोटाले में जेल में बंद रहेंगे.
क्या है DMF घोटाला?
EOW के आरोपों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 2021-22 और 2022-23 के वित्तीय वर्ष के दौरान जिला खनिज संस्थान (DMF) में करीब 75 करोड़ का स्कैम हुआ है. कोराब में DMF ट्रस्ट के तहत टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में दिया गया है. वहीं, प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है.
EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है. इस केस में यह तथ्य निकल कर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गईं है. टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया.
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ED की जांच से पता चला कि ठेकेदारों ने अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं को भारी मात्रा में कमीशन का भुगतान किया है, जो कि कांट्रैक्ट का 25% से 40% तक था. रिश्वत के लिए दी गई रकम की एंट्री विक्रेताओं ने आवासीय (अकोमोडेशन) के रूप में की थी.
DMF घोटाले में आरोपी
- निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू
- मुख्यमंत्री कार्यालय में तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया
- आदिवासी विकास विभाग की तत्कालीन सहायक आयुक्त माया वारियर
- तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर और डीएमएफ (कोरबा) के नोडल अधिकारी भरोसा राम ठाकुर
- तीन तत्कालीन जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) मुनेश्वर सिंह राज, वीरेंद्र राठौर और राधेश्याम मिर्झा
- व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी और बिचौलिया मनोज द्विवेदी
जानिए क्या है छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला
छत्तीसगढ़ में कथित 500 करोड़ रुपए के कोयला घोटाला मामले में लेवी वसूली का मामला ED की रेड में सामने आया था. कोयला परिवहन के दौरान कोयला व्यापारियों से वसूली करने के लिए ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर दिया गया था. खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर बिश्नोई ने इसके लिए 15 जुलाई 2020 को आदेश जारी किया था. इसके लिए सिंडिकेट बनाकर वसूली की जाती थी. पूरे मामले का मास्टरमाइंड किंगपिन कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया है, जो व्यापारियों से 25 रुपये प्रति टन के हिसाब से अवैध रकम सूर्यकांत के कर्मचारियों के पास जमा करता था. जिसके बाद खनिज विभाग पीट पास और परिवहन पास जारी किया करता था.
