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बहुत चर्चा है: मंत्रिमंडल विस्तार में किसकी चली…? बोध घाट में कुछ बड़ा होने वाला है…भाजपाइयों का भूपेश प्रेम…विभाग बदलने का साइड इफेक्ट…महिला अफसर और ठेकेदार मित्र

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बहुत चर्चा है

Bahut Charcha Hai: छत्तीसगढ़ में तीन नए मंत्री बनने के बाद यह चर्चा है कि इस पूरे विस्तार में आखिरकार किसकी चली? क्या अकेले मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पूरा मंत्रिमंडल तय किया या फिर प्रदेश और देश के बड़े नेताओं का भी कुछ रोल है. भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की माने तो मंत्रिमंडल विस्तार की पटकथा मैनपाट में ही लिख दी गई थी. मैनपाट में विधायकों के प्रशिक्षण से पहले राजेश अग्रवाल का नाम कहीं नहीं था, लेकिन ऐसी चर्चा है कि केंद्रीय संगठन ने मैनपाट में प्रशिक्षण ही इसलिए रखा कि राजेश अग्रवाल को लेकर सहमति बन पाए. इसके पीछे दो तर्क था. राजेश अग्रवाल कांग्रेस से भाजपा में आए थे और सरगुजा से सामान्य वर्ग का प्रतिनिधित्व लंबे समय से बीजेपी की राजनीति में नहीं हो पा रहा था. पिछली 15 साल की सरकार में सामान्य वर्ग का सरगुजा से कोई भी मंत्री नहीं बन पाया. ऐसे में बीजेपी एक नया दांव खेलते हुए सरगुजा के सामान्य वर्ग के वोटरों को भी एक संदेश देना चाहती थी. इससे पहले आदिवासी और ओबीसी वर्ग से मंत्री बनने के बाद वोटरों को संदेश पहुंच गया था. भाजपा नेताओं की माने तो 2028 के चुनाव में सरगुजा की 14 की 14 सीटों को वापस लाने का यह बड़ा प्लान है. अगर इस काम में बीजेपी सफल हो जाती है, तो सत्ता के लिए 30% सफलता तय हो जाती है. मैनपाट में ही मंत्रियों के नाम तय हो गए थे. जिस पर सत्ता और संगठन के लोगों की सहमति हो गई थी. हालांकि कुछ लोग नाराज थे, लेकिन वह भी अब इस निर्णय के साथ चलते नजर आ रहे हैं.

बोध घाट में कुछ बड़ा होने वाला है

मंत्रिमंडल विस्तार के बाद जिस तरीके से जल संसाधन विभाग मुख्यमंत्री के पास गया है. उसके बाद से चर्चा है कि बोध घाट परियोजना में कुछ बड़ा होने वाला है. भाजपा की केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों बोध घाट परियोजना को चालू करने के पूरे मूड में है. केंद्र सरकार भारी भरकम राशि इस प्रोजेक्ट के लिए देने जा रही है. ऐसी चर्चा है कि बोध घाट में बिजली पैदा करने के साथ-साथ खेती के सिंचाई का रकबा भी बढ़ाने की तैयारी है. कांग्रेस सरकार में जब बुद्धघाट परियोजना को शुरू करने की बात कही गई. तब भाजपा के स्थानीय नेताओं ने जमकर विरोध किया. उसे विरोध का असर अब तक दिख रहा था. ऐसे में मुख्यमंत्री के पास से विभाग आने के बाद भाजपा नेता भी सरकार के कम से कदम मिलाते नजर आएंगे और परियोजना की सफलता की गारंटी मिलती जाएगी.

भाजपाइयों का भूपेश प्रेम

इन दिनों भाजपा नेताओं का भूपेश बघेल से प्रेम बढ़ता नजर आ रहा है. सोशल मीडिया पर भूपेश बघेल की तारीफ करते हुए भाजपा नेता पोस्ट कर रहे हैं. भाजपा नेता भूपेश बघेल को जुझारू, संघर्षशील और अपनों के साथ खड़े होने वाला बता रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि यह सब पोस्ट उन्हीं नेताओं के आ रहे हैं, जो फिलहाल संगठन और सरकार से नाराज चल रहे हैं. प्रदेश संगठन में सीधे अपनी बात न रखकर सोशल मीडिया के माध्यम से दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. इन नेताओं की नाराजगी प्रदेश संगठन विस्तार से लेकर मंत्रिमंडल में हुए बदलाव तक है. भाजपा के अनुशासन के आगे यह नेता खुलकर तो कुछ नहीं कह पा रहे हैं लेकिन भूपेश बघेल की तारीफ करके संगठन पर अप्रत्यक्ष रूप से दबाव बनाने की कोशिश जरूर कर रहे हैं, हालांकि इसकी पूरी रिपोर्ट प्रदेश संगठन और राष्ट्रीय संगठन को भेज दी गई है और यह माना जा रहा है कि आने वाले समय में इन नेताओं पर कुछ न कुछ कार्रवाई जरूर होगी.

विभाग बदलने का साइड इफेक्ट

एक मंत्री का विभाग बदलने के बाद तुरंत साइड इफेक्ट नजर आने लगा. विभाग बदलने के अगले दिन ही बंगले पर खेल होता नजर आया. एक ठेकेदार मंत्री के ओएसडी के पास पहुंचे और बोले भैया भुगतान नहीं हुआ है, एडवांस वापस कर दीजिए. ओएसडी ठहरे पुराने खिलाड़ी, बोले – चिंता मत करो पूरा भुगतान होगा. कहीं फाइल अटकेगी तो मैं बैठा हूं ना, लेकिन ठेकेदार को अब भरोसा नहीं रह गया है. बताते हैं ठेकेदार मंत्री जी से मिलना चाह रहे हैं, लेकिन मंत्री जी प्रवास पर हैं. इसलिए मुलाकात नहीं हो पा रही है. अब देखना है, जिस दिन मंत्री जी मिलेंगे उस दिन क्या खेल होता है.

महिला अफसर और ठेकेदार मित्र

युवाओं से जुड़े एक विभाग में एक महिला अफसर की इन दिनों चर्चा है. महिला अफसर के विभाग में करोड़ों रुपए खरीदी के लिए हैं. इन खरीदारियों में मोटा कमीशन होता है. अफसर ने अपने करीबी को ठेकेदार बनाकर जेम पोर्टल में इनपैनल कराया और लाखों रुपए की खरीदी कर दी. चर्चा यह है कि साहिबान ने 100 रुपए की चीज 10,000 में खरीदी है. यह ठीक वैसे ही खरीदी है जैसे 32000 का एक जग. अब देखते हैं यह मामला सार्वजनिक होने के बाद विभागीय मंत्री क्या कुछ कार्रवाई कर पाते हैं या महिला अफसर के रसूख के आगे वह भी ठंडा पड़ जाएंगे.

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