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छत्तीसगढ़ के 5 जिलों में यलो अलर्ट, बस्तर-दंतेवाड़ा में गिरेगी बिजली, 11 जून से प्रदेश भर में गरज-चमक के साथ पड़ेंगी बौछारें

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मौसम अपडेट

CG Weather Update: छत्तीसगढ़ में आज यानि 10 जून के बाद बारिश की गतिविधियों में तेजी आएगी. प्रदेश में अभी एक से दो दिन तक मौसम ड्राई रहेगा. इसके बाद गरज-चमक के साथ प्रदेश भर में बारिश होगी, लेकिन इससे पहले प्रदेश का औसत तापमान एक से दो डिग्री और बढ़ सकता है. मौसम विभाग की माने तो आज और कल मध्य छत्तीसगढ़ में टेम्प्रेचर 41-43 डिग्री तक पहुंच सकता है.

दरअसल, मानसून को आगे बढ़ाने वाले दोनों बड़े सिस्टम बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आने वाली हवाएं फिलहाल कमजोर पड़ गई हैं. इसका असर ये हुआ है कि मानसून नारायणपुर और कोंडागांव से आगे नहीं बढ़ पा रहा है. बस्तर में अटक गया है.

छत्तीसगढ़ के 5 जिलों में यलो अलर्ट

इस बीच मौसम विभाग ने आज बस्तर संभाग के बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, कोंडागांव और सुकमा में थंडर स्टॉर्म का यलो अलर्ट जारी किया है. यहां गरज-चमक के साथ 40-50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल सकती है. बिजली गिर सकती है. अन्य जिलों में मौसम सामान्य रहेगा। रविवार को रायपुर 42.2°C के साथ सबसे गर्म रहा.

आज का मौसम एक नजर में

पूर्वानुमानः प्रदेश के कुछ जगहों पर हल्की बारिश की संभावना. 5 जिलों में थंडर स्टॉर्म का यलो अलर्ट.

चेतावनी: कुछ जगहों पर मेघ गर्जना के तेज हवा चल सकती है। हवा की रफ्तार 40-50 किमी प्रति घंटे हो सकती है.

राजधानी का हालः बादल छाए रहेंगे। अधिकतम तापमान 42°C और न्यूनतम तापमान 29°C के आसपास रहेगा.

बस्तर में 37.6 मिलीमीटर बारिश

बारिश की स्थिति की बात करें तो रविवार को बस्तर में 37.6 MM, दंतेवाड़ा में 20.0 MM, जशपुर और गरियाबंद में 10 MM बारिश हुई है.

जून में पिछले 7 दिन में 30 फीसदी कम बारिश

पिछले माह लगातार बने सिस्टम और करीब 14 दिन पहले आए मानसून ने पूरे छत्तीसगढ़ में मई महीने में जमकर बारिश कराई। इस दौरान औसत से 373 फीसदी ज्यादा पानी गिर गया। इसके बाद से मानसून पिछले करीब 12 दिनों से ठहरा है. यह आगे ही नहीं बढ़ रहा है.

इस वजह से जून का पहला सप्ताह लगभग सूखा बीत गया. पिछले सात दिनों में हुई बारिश औसत से 30 फीसदी कम है. और बारिश की गतिविधि बढ़ेगी. आज की बात करें तो तापमान में एक से दो डिग्री की बढ़ोतरी होगी.

मौसम वैज्ञानिक डॉ गायत्री वीणा ने दी जानकारी

22 मई से 28 मई के बीच 53.51 मिमी बारिश

छत्तीसगढ़ में 22 मई से 28 मई के बीच 53.51 मिलीमीटर औसत बारिश हो चुकी है. प्रदेश में मानसून में औसतन 1200 मिलीमीटर पानी बरसता है. पिछले साल 1276.3 MM पानी गिरा था.

सप्ताह भर में थम गया मानसून

पिछले सात दिन में बारिश की रफ्तार लगातार फ्लेक्चुएट होती रही है. जहां रविवार 1 जून को 33 जगहों पर बारिश हुई. सोमवार को सिर्फ तीन जगहों और मंगलवार को केवल एक ही जगह पर बारिश हुई. वहीं 4 जून बुधवार और 5 जून गुरुवार को कहीं भी बारिश नहीं हुई.

शुक्रवार यानी 6 जून को पांच जिलों में बारिश हुई. वहीं शनिवार को सिर्फ एक और रविवार यानी 8 जून को चार जिलों में न्यूनतम 10 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई.

गरज-चमक, बिजली और ओले के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

  1. गड़गड़ाहट सुनने के बाद घर के अंदर जाए या सुरक्षित पक्के आश्रय में रहें
  2. अगर कोई आश्रय उपलब्ध नहीं है तो तुरंत उखडू बैठ जाएं
  3. पेड़ों के नीचे न ठहरें
  4. बिजली लाइन से दूर रहें
  5. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग न करें

शहरों में ऐसा रहा तापमान

रायपुर 42.2 डिग्री 28.9 डिग्री

बिलासपुर 41.5 डिग्री 28.6 डिग्री

अंबिकापुर 38.0 डिग्री 24.8 डिग्री

जगदलपुर 37.0 डिग्री 23.9 डिग्री

दुर्ग 38.5 डिग्री 25.6 डिग्री

पेंड्रारोड 40.2 डिग्री 25.0 डिग्री

पहले पहुंचा मानसून लंबा रह सकता है

मानसून के केरल पहुंचने की सामान्य तारीख 1 जून है। इस साल 8 दिन पहले यानी 24 मई को ही केरल पहुंच गया। मानसून के लौटने की सामान्य तारीख 15 अक्टूबर है। अगर इस साल अपने नियम समय पर ही लौटता है तो मानसून की अवधि 145 दिन रहेगी। इस बीच मानसून ब्रेक की स्थिति ना हो तो जल्दी आने का फायदा मिलता सकता है।

बारिश के साथ बिजली कड़के तो क्या करें?

खुले आसमान के नीचे न रहें

तुरंत किसी घर या बिल्डिंग में शेल्टर लें

टीन या धातु के शेड वाले घरों से दूरी बनाएं

सफर के दौरान वाहन के शीशे चढ़ाकर रखें

खुली छत वाले वाहन में सवारी न करें

बारिश के समय कभी भी पेड़ के नीचे खड़े न हों

खेतों और तालाब से भी दूरी बनाकर रखें

मोबाइल टॉवर, बिजली के खंबों से दूरी बनाएं

घर के खिड़कियां-दरवाजे बंद रखें

बरामदे या छत जैसी खुली जगह पर न जाएं

नल के बहते पानी का इस्तेमाल न करें

घर में बिजली से संचालित एप्लायंसेज से दूर रहें

टेलीफोन का इस्तेमाल बिल्कुल न करें

धातु से बने पाइप, शॉवर, पानी की टंकी से दूर रहें

नंगे पैर न रहें। रबर की चप्पलों का इस्तेमाल करें

सोर्स: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)

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