Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के गांव-गांव और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्राइवेट इंटरनेट पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार की भारतनेट परियोजना के तहत टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (TPL) को ठेका दिया गया था. लेकिन इस प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला सामने आया है. जहां बिना बिल जांच के टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (टीपीएल) को 400 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया.
बिना बिल जांचे ही टाटा को दे दिए 400 करोड़
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक भारतनेट घोटाले में एक और खुलासा हुआ है, जहां टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (TPL) को 400 करोड़ रुपए का भुगतान बिना बिल जांच के कर दिया गया. वहीं अब इन बिल से जुड़ी फाइलें चिप्स में मिल ही नहीं रही हैं. यहां तक कि अनुमोदन की कॉपी भी नहीं है. केवल चेक मिल रहे हैं, जो तत्कालीन CEO समीर विश्नोई के हस्ताक्षर के हैं. ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि समीर ने टाटा को बिना किसी जांच के ही इतना बड़ा भुगतान कर दिया.
समीर विश्नोई से जुड़े तार
बता दें कि ईडी ने अक्टूबर 2022 में समीर विश्वनोई को कोयला घोटाले में गिरफ्तार किया. इसके बाद ED करीब एक हजार फाइलें भी अपने साथ ले गई. 2025 में जब टाटा की जांच शुरू हुई तो ये फाइलें भी खोजी गईं.कर्मचारियों ने बताया कि शायद ईडी इन फाइलों को साथ ले गई है. ED से जब पता किया गया तो वहां भी इससे जुड़ी फाइलें नहीं मिली. ऐसे में चिप्स के अफसरों को कहना है कि शायद टाटा को इतने रुपए का भुगतान बिना किसी जांच पड़ताल के ही दे दिया गया.
जानें पूरा मामला
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक भारतनेट प्रोजेक्ट के लिए टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (TPL) को ठेका दिया गया है. इस ठेके तहत प्रदेश के 5,987 पंचायतों में फाइबर लगाना था. इस कॉन्ट्रेक्ट के तहत चिप्स ने टाटा को सितंबर 2023 तक करीब 1600 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया. यह भुगतान तब किया गया जब टाटा ने दावा किया था कि 5540 पंचायतों तक फाइबर पहुंचा दिया गया है. इसके बाद साल 2024 में जब चिप्स ने इसकी जांच की तो करीब 200 से भी कम पंचायतों में इंटरनेट चालू पाया गया.
जमीन में दबे रह गए 1600 करोड़
भारतनेट परियोजना के तहत 1600 करोड़ जमीन में दबे रह जाने के आरोप हैं. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक 10 दिन में बस्तर से लेकर सरगुजा तक करीब 50 पंचायतों में इंटरनेट की व्यवस्था हर जगह ठप मिली. वहां राउटर बंद थे. भारतनेट परियोजना के तहत लगाए गए फाइबर की जगह वहां प्राइवेट कंपनियों से इंटरनेट लिया जाना पाया गया.
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क्या है भारतनेट प्रोजेक्ट?
केंद्र सरकार ने देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए भारतनेट प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. इस योजना का उद्देश्य गांव में प्राइवेट इंटरनेट नहीं पहुंचाना है. इस योजना के तहत ग्राम पंचायतों को नोडल सेंटर बनाया गया है और हर पंचायत तक फाइबर से कनेक्शन पहुंचाए गए है. इसके जरिए मोबाइल ऑपरेटरों, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी), केबल टीवी ऑपरेटरों, सामग्री प्रदाताओं जैसे एक्सेस प्रदाताओं को ग्रामीण और दूरस्थ भारत में ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा और ई-गवर्नेंस जैसी विभिन्न सेवाओं को लॉन्च करने में सक्षम बनाया जा रहा है.
