राजधानी रायपुर के एक विधायक को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर कैंपेन चल रहा है. पोस्टर बनाए गए हैं, जिसमें लिखा गया हमारा विधायक लाल जमीन दलाल. विधायक जी काफी सीनियर है. लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन विधायक बनने से पहले जमीन खरीदने और बेचने का काम करते थे और अब उनके पास पावर आया है. उसे पावर का सदुपयोग करने की जगह विधायक जी दुरुपयोग कर रहे हैं. बताया जा रहा है अपने क्षेत्र की कई जमीनों पर उनकी खुद की नजर है. इसकी शिकायत प्रदेश संगठन के बड़े पदाधिकारी से भी की गई है, क्योंकि जमीन का मामला है और विधायक जी पूरी तरह एक्सपोज हो जाएंगे, तो पार्टी की किरकिरी होगी. वैसे भी जहां से विधायक बने हैं, उस सीट पर भले ही हार जीत का अंतर बहुत लंबा हो लेकिन इस बार जातिगत समीकरण के कारण ही भाजपा जीत पाई है. विधायक जी के समाज के लोग ही नाराज हैं, ऐसे में संगठन कोई बड़ा फैसला ले सकता है.
मंत्री जी पटवारी नहीं रखवा पा रहे
छत्तीसगढ़ के एक मंत्री ऐसे हैं, जो अपने क्षेत्र में एक तहसीलदार की नियुक्ति नहीं कर पा रहे हैं. एक पटवारी उनके पास आया और बोला कि मेरा ट्रांसफर करवा दीजिए तो जब उन्होंने चिट्ठी लिखी तो भाव ही नहीं मिला. हालत यह है कि मंत्री जी लाव लस्कर लेकर तो घूमते हैं, लेकिन ना तो उनको उनके जिले में कोई पूछ रहा है ना प्रदेश में पूछ रहा है. चुनाव से पहले मंत्री जी भाजपा के एक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष थे. अध्यक्ष रहने के दौरान उन्होंने लंबी चौड़ी टीम बनाई, लेकिन किसी का काम नहीं कर पा रहे हैं तो उनके साथ वाले भी भाग गए हैं. उनके साथ वाले भाग गए तो अब उनका दुख सुनने के लिए सर्किट हाउस में जो दो-चार लोग पहुंचते हैं वही उनके दर्द को बांट रहे हैं. सामाजिक समीकरण में मंत्री जी बहुत ताकतवर हैं, लेकिन उन्ही के समाज के एक और मंत्री पैरलर चल रहे हैं, जो एक दूसरे को काटते नजर आ रहे हैं.
10 परसेंट दो, काम लो
छत्तीसगढ़ के ताकतवर मंत्री के विभाग को लेकर चर्चा है कि 10% कमीशन दो और काम लो. कमीशन देने के लिए एक सिस्टम बनाया गया है. कमीशन दो, नमन करो और आगे बढ़ो. पूरा विभाग ऑटो पायलट मोड पर चल रहा है. मंत्री जी के पास कुछ और प्रमुख विभाग भी हैं, जिसमें वह लगातार सुर्खियां बटोर रहे हैं. बताते हैं कि मंत्री जी का पूरा ध्यान इस विभाग पर है. उनकी पूरी पॉलिटिक्स भी उस विभाग के इर्द-गिर्द ही टिकी है. दिल्ली दरबार से लेकर छत्तीसगढ़ तक मंत्री जी को वाहवाही भी मिल रही है, लेकिन जिस विभाग में कमीशन का खेल चल रहा है, उसकी तरफ किसी का ध्यान ही नहीं है. गांव गरीब से जुड़ा यह विभाग इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. भाजपा की सरकार बनवाने में भी इस विभाग का महत्वपूर्ण रोल रहा है. ऐसे में अगर कमीशन का खेल चालू रहा तो सरकार की गांव-गांव किरकिरी होना तय है.
मंत्री जी के चेले परेशान हैं
सत्ता आने के बाद मंत्री जी के बंगले को लक्ष्मी पुत्र चेले अपने कब्जे में लेने की कोशिश करते हैं. डेढ़ साल तक निगम मंडल में नियुक्ति नहीं हुई, तो मंत्री जी के चेले की खूब चली. बंदरबांट किया और जमकर मलाई काटी, लेकिन अब निगम मंडल में नियुक्ति होने के बाद एक सीधे-साधे मंत्री जी के दो चेले तनाव में हैं.
एक महाराज है, और दूसरे सबके पालनहार हैं. कारण यह है कि मंत्री जी के विभाग के निगम मंडल में ऐसे ऐसे दिग्गजों को अध्यक्ष बना दिया गया है, जिनके सामने मंत्री जी स्वयं नतमस्तक रहते हैं. एक भाईसाहब से तो सवाल जवाब ही नहीं कर सकते, दूसरे वाले संगठन के खासे प्रिय हैं. और तो और मंत्री जी के विभाग में ऐसे सख्त अफसर को तैनात कर दिया गया है, जो इन चेलों की एक नहीं चलने देते.
निगम मंडल की जिनको कमान दी गई है, उसमें एक बड़े वाले भाई साहब हैं. दूसरे संगठन के बड़े करीबी हैं और तीसरे वाले पुराने साहब के क्षेत्र से आते हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि चेले अब कहां परि-श्रम करें. सत्ता के गलियारे में चर्चा इस बात की है कि लक्ष्मीपुत्र चेले का रोल डेढ़ साल में ही सिस्टम बनने के साथ खत्म होता नजर आने लगा है.
