Kondagaon (नीरज उपाध्याय, केशकाल): लंबे समय से उपेक्षित भोंगापाल गांव की तस्वीर अब बदलने वाली है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भोंगापाल पहुंचकर करोड़ों रुपए के विकास कार्यों की सौगात दी. CM विष्णु देव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह केशकाल के प्राचीन पुरातात्विक स्थल भोंगापाल में आयोजित बौद्ध महोत्सव में शामिल हुए. इस दौरान CM विष्णु देव साय ने 94 करोड़ की सौगात भी दी.
भोंगापाल के इतिहास में पहली बार पहुंचे CM
लंबे समय से उपेक्षा का दंश झेल रहे भोंगापाल गांव के इतिहास पहली बार कोई मुख्यमंत्री यहां पहुंचे. इस दौरान बस्तर के पारंपरिक मांदरी नृत्य से उनका स्वागत किया गया. इसके बाद CM साय और अन्य जनप्रतिनिधियों ने छठी शताब्दी की भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा का दर्शन किया और 10 मिनट की साधना के साथ प्रदेश की समृद्धि व खुशहाली की कामना की.
CM साय ने दी 94 करोड़ की सौगात
मुख्यमंत्री साय ने कोंडागांव जिले के लिए 94 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का भूमिपूजन और लोकार्पण किया. साथ ही, केशकाल विधायक नीलकंठ टेकाम की मांग पर बुद्ध शांति पार्क के लिए 1 करोड़ रुपये और बुद्ध महोत्सव के लिए 25 लाख रुपये देने की घोषणा की.
CM साय ने की बड़ी घोषणा
जनता को संबोधित करते हुए सीएम साय ने कहा कि भोंगापाल में ग्रामीणों ने उनका आत्मीय स्वागत किया. उन्होंने भगवान बुद्ध की प्रतिमा का दर्शन कर सौभाग्य प्राप्त किया और लगभग 100 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का शुभारंभ किया. उन्होंने पलना नदी और परोदा नदी पर उच्चस्तरीय पुलिया, बुद्ध महोत्सव के लिए 25 लाख रुपये, भोंगापाल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 1 करोड़ रुपए और सांस्कृतिक दलों को बढ़ावा देने के लिए 1 करोड़ रुपए देने की घोषणा की.
नक्सलवाद पर कड़ा संदेश
नक्सलवाद पर कड़ा संदेश देते हुए सीएम ने कहा कि उनकी सरकार के डेढ़ साल में प्रदेश का विकास तेजी से हो रहा है. बस्तर की सबसे बड़ी समस्या नक्सलवाद अब अंतिम सांसें ले रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और उनकी सरकार ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने का संकल्प लिया है.
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि भोंगापाल, कोंडागांव, बस्तर और पूरा छत्तीसगढ़ बदलाव की राह पर है. यहां शांति और विकास की यात्रा शुरू हो चुकी है. उन्होंने भगवान बुद्ध को शांति, करुणा और प्रेम का प्रतीक बताते हुए कहा कि छठी शताब्दी की बुद्ध प्रतिमा को देखकर मन को अद्भुत शांति मिली. नक्सलियों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि बंदूक से कुछ हासिल नहीं होगा. बस्तर के बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पुल और बिजली चाहिए ताकि वे डॉक्टर, इंजीनियर, कलेक्टर, विधायक या सांसद बन सकें. उन्होंने नक्सलियों से आत्मसमर्पण कर तिरंगे को अपनाने और छत्तीसगढ़ की मुख्यधारा में शामिल होने का आह्वान किया.
