Vinod Kumar Shukla: मशहूर साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का लंबी बीमारी के बाद 88 साल की उम्र में मंगलवार को निधन हो गया. विनोद कुमार शुक्ल काफी समय से रायपुर एम्स में भर्ती थे. आज रायपुर के मारवाड़ी शमशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया.
पंचतत्व में विलीन हुए विनोद कुमार शुक्ल, CM साय ने दिया कंधा
उनके निधन की खबर के बाद सीएम विष्णु देव साय, मशहूर कवि कुमार विश्वास सहित कई लोग पहुंचे हैं. शैलेंद्र नगर स्थित उनके निवास से अंतिम यात्रा निकली है. सीएम साय ने विनोद शुक्ल के पार्थिव देह को कंधा दिया. उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे. वहीं रायपुर के मारवाड़ी शमशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया. जहां विनोद कुमार शुक्ल पंचतत्व में विलीन हो गए.
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
विनोद कुमार शुक्ल को देश के सर्वोच्च ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था. दरअसल वे करीब महीने भर से बीमार चल रहे थे. उनका इलाज रायपुर के एम्स में चल रहा था. मंगलवार 23 दिसंबर को उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर सुनते ही छत्तीसगढ़ में शोक की लहर दौड़ गई. बुधवार को उनके निवास से अंतिम यात्रा निकली. इससे पहले उन्हें गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया. मशहूर कवि कुमार विश्वास ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी.
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— Vistaar News (@VistaarNews) December 24, 2025
लोगों के लिए प्रेरणादायक विनोद कुमार शुक्ल का जीवन
विनोद कुमार शुक्ल का जीवन सफर हमेशा ही लोगों को प्रेरित करने वाला रहा. विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को राजनांदगांव में हुआ था. उन्होंने जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा ली. शुक्ल ने कई कविताओं, कहानी और उपन्यास की रचनाएं की हैं. लगभग जयहिन्द, सब कुछ होना बचा रहेगा, अतिरिक्त नहीं, कविता से लम्बी कविता,कभी के बाद अभी, नौकर की क़मीज़, दीवार में एक खिड़की रहती थी उनकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं.
उनकी रचना ‘नौकर की कमीज’ उपन्यास पर फ़िल्म भी बनी है. शुक्ल कई साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित हुए. 1994 से 1996 तक निराला सृजनपीठ में अतिथि साहित्यकार रहे. 1996 में कृषि-विस्तार प्राध्यापक पद से रिटायर हुए. इसी वर्ष 2024 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया था.
