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Exclusive: अगले 7 महीने में हो जाएगा नक्सलवाद का The END! डिप्टी CM विजय शर्मा ने बताया पूरा प्लान

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डिप्टी CM विजय शर्मा से खास बातचीत

Naxalism: छत्तीसगढ़ के डिप्टी CM और गृह मंत्री विजय शर्मा ने विस्तार न्यूज के साथ खास बातचीत की. उन्होंने स्टेट ब्यूरो हेड मृगेंद्र पांडेय के साथ नक्सलवाद के मुद्दे, तय डेडलाइन से पहले खात्मे की प्लानिंग समेत तमाम सवालों पर एक्सक्लूजिव बातचीत की. पढ़ें पूरा इंटरव्यू-

सवाल: मोदी जी का संकल्प है. अमित शाह जी का संकल्प है और आपका भी संकल्प है. मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करना है. क्या तैयारी है?

जवाब: मूलतः ना यह संकल्प आप कहें तो यह बस्तर की जनता का है. बस्तर की जनता के मनोभाव के आधार पर यह बात कही गई है और कही इसलिए गई है कि आखिर सबके मन में यह था पुलिस और नक्सलियों के बीच में तो ये चलता ही रहता है. द्वंद समाप्त नहीं होगा. लोगों का मन ऐसा था तो जब यह स्पष्टता आई कि इस तारीख तक सशस्त्र नक्सलवाद को हम छत्तीसगढ़ से समाप्त कर देंगे तो लोगों के मन में बड़ा भरोसा आ गया है. PM नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी का बड़ा संकल्प है. हमारे CM विष्णु देव साय जी का मार्गदर्शन है और काम बस्तर में अच्छे से चल रहा है.

सवाल: आप जब गृह मंत्री नहीं थे तब भी यहां नक्सली घटनाएं होती थी, नक्सली वारदात होती थी. लोगों की मौत होती थी, जवानों की मौत होती थी. तब कैसा लगता था और आज आप गृह मंत्री हैं. कुछ बदलाव आया है. उसको देखते हुए आपके मन में क्या फीलिंग आती है?

जवाब: दो बातें हैं. जब आप किसी विषय से जुड़ जाते हैं तब आपके भाव बदलते हैं. अनुभव बदलता है. आपके दुख और सुख के कारण बदल जाते हैं. मैं पहले भी सुनता था. वो समाचार होता था मेरे लिए, लेकिन अब यह घटनाएं या तो मेरी खुशी के या मेरी दुख के कारण बनते हैं और बस्तर में नक्सलिज्म के संदर्भ में कुछ भी एक घटना होती है तो घंटों उस पर मन वहीं लगे रहता है. ऑपरेशंस हो या दूसरे डेवलपमेंटल काम यहां पर हो या कोई भी विषय हो. और लगातार मन में यह रहता है कि बस्तर में शांति होना चाहिए. मैंने देखा है. गांव-गांव जाकर देखा है. स्कूल नहीं, अस्पताल नहीं, आंगनबाड़ी, बिजली, सड़क, मोबाइल के टावर, उन्नत किस्म के बीज, सिंचाई की व्यवस्थाएं कुछ नहीं. 25 साल का लड़का वो टीवी नहीं देखे होता है. हम लोग रायपुर लेकर जाते हैं. वो टीवी नहीं देखा रहता है. ऐसी जिंदगी कैसे हो सकती है भाई? जंगल होना ही चाहिए. यह बहुत अच्छी बात है. लेकिन इसके साथ-साथ वह सब भी तो होना चाहिए जीवन में. आप कब तक ऐसे रखेंगे सबको? और क्यों नक्सली चाहते हैं इनको ऐसे ही रखना. सड़क नहीं बनने देना चाहते. खोद देते हैं. स्कूल नहीं बनने देना चाहते. 200 स्कूल ब्लास्ट कर दिए. आखिर ये कब तक है?

सवाल: आप लगातार बस्तर में घूम रहे हैं. नक्सलियों से डर नहीं लगता आपको? क्योंकि नक्सली ऐसा माना जाता है बड़े खूंखार हैं. हमने इससे पहले मैं अपने पत्रकारिता करियर का बताऊं तो चार गृह मंत्री देखा. चारों गृह मंत्रियों के बस्तर आने का रिकॉर्ड और आपके बस्तर आने का रिकॉर्ड लगभग लगभग आपका ज्यादा ही हो गया होगा, चारों का मिलाकर. डर नहीं लगता नक्सलियों से?

जवाब: नहीं डर का मामला नहीं है. काफी सुरक्षा भी होती है और उसके साथ-साथ अब स्थितियां बहुत बदल भी गई हैं. इन डेढ़ वर्षों में दो वर्षों में जितना काम बस्तर में हुआ है, नक्सलिज्म के समापन के लिए जितना काम हुआ है, बहुत स्थितियां सुधर गई हैं यहां पे. एक और भाव मन में है कि करना ही है. जीवन में काम करने का अवसर भी बड़े दिनों बाद मिला है और अगर मिला है तो काम कर लिया जाए. मैं बहुत स्पष्टता से यह मानता हूं कि मूल हृदय की संतुष्टि कहीं और नहीं कुछ काम करने में है. कुछ कर लेने में है. और अगर इस काम इस बड़े अभियान में मैं थोड़ा भी सहभागी बन पा रहा हूं तो ये मेरे लिए बड़ी प्रसन्नता का विषय है.

सवाल: गृह मंत्री बनने के बाद नक्सलियों का फोन नहीं आया कि हम शांति वार्ता करना चाहते हैं. फोन तो नहीं आया. मारना पीटना कम करिए.

जवाब: फोन तो नहीं आया और चिट्ठियां आई है उनकी लेकिन चिट्ठियां आती हैं पता नहीं होता है कहां से आ रही हैं किसको कहा जाए. इनके तरफ से कुछ लोग और छटपटाते हैं. वो जिन जिनको कोई लेनदेन नहीं है. बस्तर से वो कहीं दूर बैठकर कहते हैं कि सरकारों को क्या करना चाहिए उनकी बात सुनी नहीं जा सकती इनसे तो किसी भी क्षण बात के लिए तैयार है अब भी तैयार है और चर्चा का विषय यही है आप पुनर्वास करें आप मुख्यधारा में आए इसलिए इन सारे ही लोगों से कोशिश तो हमेशा हम लोगों ने की है लेकिन फोन आ गया ऐसा नहीं हुआ.

सवाल: हमारे बगल में एक तस्वीर है आप देखिए बीजापुर जिले में शांति स्थापना के लिए जिन लोगों ने अपने जीवन को न्योछावर किया है जी आपकी क्या कोशिश रहेगी कि जो मार्च 2026 का जो टारगेट है. इस सूची में और नाम ना बढ़े.

जवाब: जितने लोग शहीद हुए उन शहीदों के परिवार वालों से मैंने अनेक मुलाकातें की. उनके मन में एक भावना थी कि हमारे गांव में हमारे घर में इन लोगों की मूर्ति लगे. नई सरकार बनने के बाद पंचायत विभाग का राशि इसमें ट्रांसफर करके और 555 ऐसे स्थानों पर मूर्तियां लगाने का काम हम कर रहे हैं. 40 लग चुके हैं और पहली बार हो रहा है. अगली किसी भी कोई भी नाम इसमें आगे ना जुड़े जिसकी मूर्ति बनवानी पड़े. मैं ईश्वर से रोज प्रार्थना करता हूं.

सवाल: एक धारणा बन गई है कि बस्तर में बस्तर को लोग नक्सलवाद के रूप में ही देखते हैं. आपका संकल्प है कि 2026 में इसे खत्म कर देंगे. बस्तर में नक्सलवाद खत्म हो जाएगा. उसके बाद बीजेपी सरकार की क्या रणनीति है? आप लोग क्या सोचते हैं? केंद्र सरकार का क्या विज़न है कि बस्तर को कैसा होना चाहिए? किस तरीके का होना चाहिए?

जवाब: बस्तर में बहुत दूर तक कैंप लगे हुए हैं. मैं स्पष्ट ये देखता हूं, यह मानता हूं कि इन कैंपों में आने वाले समय में लघु वनुपजों के संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन के केंद्र होंगे. लघु वनुपज जीवन का हिस्सा है बस्तर में और इन लघु वनुपजों के आधार पर यहां पर आर्थिक उन्नति लाई जा सकती है. कोई और आधार कोई और काम करने की आवश्यकता नहीं. ये बहुत है. इस आधार पर किया जा सकता है. इस पर बहुत काम हम अभी भी कर रहे हैं. आने वाले समय में बस्तर के लोग खुद भी करेंगे. बस्तर से नक्सलिज्म के समापन के उपरांत ही एक बड़ा फ्रंट यहां से फ्री होगा. प्रदेश भर में वह फ्रंट लगेगा और प्रदेश भर में शांति व्यवस्था और अधिक कायम होगी. बस्तर में अह मुझे बहुत स्पष्टता से यह लगता है कि यहां के बच्चे पढ़ के आगे बढ़ेंगे और बस्तर अपना संभालेंगे. किसी बाहर के व्यक्ति की कोई आवश्यकता इसमें है नहीं. हम लोग तो बस थोड़े समय के लिए यहां काम करने के लिए हैं. मैं स्तर का विशेष रूप से आपसे कहूं कि जीवन जीने का ढंग ही अलग है. आप और मैं वैयक्तिक जीवन जीते हैं. यहां के लोग सामूहिक जीवन जीते हैं. व्यक्तिक जीवन नहीं होता और इसलिए सहकारिता यहां बहुत अच्छे से लागू हो सकती है. सहकार सहकारिता पर हम यहां काम कर रहे हैं. बस्तर के लोगों के लिए मैं आपसे कहूं के आपने देखा होगा कि पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच बड़ी लड़ाई चलती है. इन सब का रास्ता है सहकारिता. उसके लिए दुनिया में सबसे कोई योग्य स्थान और लोग होंगे तो वह बस्तर है और बस्तर के लोग हैं. इस पर भी काम कर रहे हैं. इसमें महिला स्वसहायता समूहों के माध्यम से लघु व अनुपचों पर काम करना, उनके प्रसंस्करणों पर काम करना, यहां पे हर एक गांव का अपना एक उत्पाद बनाना, इसकी उन्नति के मार्ग प्रशस्त करना, इनके आय अधिक से अधिक हो इसकी सुनिश्चित करना. इस पर हम लोग पूरी कोशिश कर रहे हैं. पूरी जान लगा रहे हैं.

सवाल: विपक्षी पार्टियां जो हैं खासतौर पर कांग्रेस ये कहती है कि जो बस्तर को नक्सलियों से खत्म कराने के पीछे एक एजेंडा है. केंद्र सरकार का राज्य सरकार का वो माइनिंग सेक्टर जो बहुत बड़ा माइनिंग है उस पर फोकस करना चाहते हैं. आदिवासियों के लिए ये बात नहीं करना चाहते. माइनिंग पर इनका ज्यादा ध्यान है.

जवाब: माइनिंग तो हो ही रहा है. एनएमडीसी काम कर ही रहा है ना? जी एनएमडीसी तो काम कर रहा है. नहीं नहीं और दूसरे लोग भी कर रहे हैं. हम वह कोई मामला तो नया कोई विषय हो तो कोई कहे इस पर और इसमें एक विशेषता से आपसे एक बात कहूं क्या इसका आड़ लेकर वो लोग नक्सलिज्म को बचाना चाहते हैं? क्या उस नक्सलिज्म को यह बचाना चाहते हैं जो 13 साल के बच्चे की हत्या करता है? उस नक्सलिज्म को बचाना चाहते हैं जो स्कूल के यूनिफार्म में रहे बच्चे की हत्या करता है. क्या यह नक्सलिज्म को बचाना चाहते हैं जिन जिन्होंने जो अभी अनवरत शिक्षा दूतों की हत्या कर रहे हैं? उन नक्सलियों को बचाना चाहते हैं जो मणिकों, एराबोर, चिंगाबरम ऐसे कितने ही घटनाएं हैं जिसमें दर्जनों स्थानीय आदिवासियों की हत्या करने का आरोप जिन नक्सलियों पर है उनको भी बचाना चाहते हैं. स्पष्ट करें भाई कहना क्या चाहते हैं?

सवाल: आपकी ऑन द रिकॉर्ड और ऑफ द रिकॉर्ड ऑन द रिकॉर्ड तो कम ही बात होती होगी. ऑफ द रिकॉर्ड कांग्रेस के नेताओं से बात होती होगी जो ऑपरेशन चला रहे हैं आप लोग उससे खुश हैं वो लोग?

जवाब: एक दो कांग्रेस के नेताओं से तो मेरी बात हुई. मैंने उस उनसे पूछा कि अगर आपकी ये बात मैं रिकॉर्ड करके सोशल मीडिया पे डालूं तो आपको कोई परेशानी तो नहीं? उन्होंने कहा नहीं है कोई परेशानी? तो मैंने डाला भी. उन्होंने कहा कि अच्छा हो रहा है काम. संतुष्टि है मन में. भाई 370 कश्मीर में खत्म होगा तो भारत के व्यक्ति को प्रसन्नता होगी ही होगी. पार्टी नहीं देखता है कोई. नक्सलिज्म खत्म होगा तो भारत के आदमी को प्रसन्नता होगी ही होगी. उसमें कोई पार्टी नहीं देखता है. भाजपा की सरकार में हो रहा है. कांग्रेस की सरकार में ऐसा नहीं है भाई. कांग्रेस की सरकार भी की होती तो उसकी प्रसन्नता प्रशंसा जरूर होती. लेकिन नेतृत्व ऐसा था जिसने उस समय इसको बहुत गंभीरता से लिया नहीं.

सवाल: आपने ये तो बता दिया नक्सलवाद खत्म होगा तो बस्तर में क्या होगा? लेकिन बस्तर का युवा भी जानना चाहता है. वो भी पूछता रहता है. फिर सरकार जो है आपने बहुत सारी चीजें गिनाई. सहकारिता है या तमाम चीजें गिनाई. लेकिन युवा जो मेन रूप जो बोल रहे हैं कि आने वाला भविष्य भी है और आने वाले बस्तर को संभालने वाला भी है. उसको लेकर आपका कोई आपकी सरकार का कोई विज़न है?

जवाब: यहां पर हमारे पांच पुनर्वास केंद्र चल रहे हैं. इन पुनर्वास केंद्रों में वह सारे लोग हैं, जो अभी मुख्यधारा में आए हुए हैं. सैकड़ों की संख्या में मुख्यधारा में आए हैं तो उनका हम स्किल डेवलपमेंट करा रहे हैं. जो उनको पुनर्वास के संदर्भित विषय देना वो कर ही रहेंगे ही. स्किल डेवलप सब युवा हैं. उनका हम स्किल डेवलपमेंट करा रहे हैं. ये सोचते हैं कि अपने पैर पर खड़े हो. बस्तर से जुड़ी हुई चीजों के लिए उनका स्किल डेवलपमेंट है. ऐसे ही बस्तर के और भी नौजवान मैं आपसे बोल रहा हूं ऐसे लोगों से मैं मिला हूं जो 25 साल की उम्र में टीवी नहीं देखे होते हैं. हम इस परिस्थिति को बदलना है ना और बदलते हुए जब यहां के बच्चे और पढ़कर आगे बढ़ जाएंगे तो वो अपना बस्तर संभालेंगे. उसको किसी से कोई लेनदेन नहीं होगा. वर्तमान में जो स्थिति है बस्तर की बहुत से पढ़े लिखे बच्चे हैं. बहुत सारे बहुत से अच्छे नौजवान जोशीले अधिकारी हैं यहां पर वह भी बस्तर के आधार स्तंभ है. मैं बस्तर के नौजवानों से बिल्कुल विनम्रता पूर्वक आग्रह करता हूं कि मुख्यधारा में रहें. लोकतंत्र को मजबूत करें. बस्तर सरकार यह सब कुछ आपका है. छत्तीसगढ़ आपका है. भारत आपका है. यह विचारधारा स्पष्टता के साथ आप काम करें और इनके लिए यही मन में मेरे है कि सारी ही सुविधाएं इनको मिले. ये तो ओलंपिक में मेडल जीत कर ले आएंगे. ना सिर्फ तीरंदाजी कई चीजें हैं. मलखम की एक बड़ी विधा यहां पर है. तीरंदाजी की विधा है. अन्य जो अभी हम लोगों ने बस्तर ओलंपिक कराया था जो फिर से अब नवंबर में होगा. अभी अगस्त है. सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में फिर होगा. तो हम लोगों ने जब ये कराया था तो मैंने देखा कि कितनी खेल प्रतिभा है यहां पर. तो ये जरूर हो जाना चाहिए.

सवाल: आपके कार्यकाल में एक गांव बहुत चर्चित रहा- पूवर्ती, हिडमा का गांव. अगर हिडमा यहां मिला तो उसको पकड़ेंगे या एनकाउंटर करेंगे?

जवाब: एनकाउंटर तो किसी का नहीं किया जाता है. किसी का भी नहीं किया जाता है. पहले गोली चलाई गई अगर कोई तो ही जवाबी कार्रवाई की जाती है. अन्यथा एनकाउंटर का विषय ही नहीं है. बात सिर्फ इतनी है कि जो भी पुनर्वास चाहते हैं उनके लिए मार्ग खुला हुआ है. इसमें कोई संशय नहीं है. पूवर्ती गांव में तो मैं गया हूं. हिडमा के माताजी का स्वास्थ्य परीक्षण भी वहां हुआ है. वहां पर टीवी लगवाए हैं. वहां पर बोर हुआ है. वहां पर सोलर पैनल लगा है. वहां अब इलेक्ट्रिसिटी जा रही है. वहां मोबाइल के टावर आ गए हैं. पूवर्ती बदल गया है. अब वो पूवर्ती नहीं रहा है. ऐसे बहुत सारे गांव और हैं, जो बदल गए हैं उनका स्वागत है.

सवाल: अभी बड़े पैमाने पर कई नक्सली बचे हैं. सुकमा और बीजापुर जो मेन कोर एरिया माना जा रहा है. अबूझमाड़ का वो सब बॉर्डर एरिया है. आपसे भी बात हो रही थी तो आपने बोला कि सब बॉर्डर एरिया है. तो उन बॉर्डर एरिया के लिए क्या आप लोगों की कोई स्पेशल रणनीति है कि इधर से उधर ना भागें या रुकें?

जवाब: हां, स्पेशल टास्क फोर्स का गठन है. गठन दोनों जिलों प्रदेशों के बीच चर्चा करके करते हैं. इस स्पेशल टास्क फोर्स में अगर कोई ऐसा है, जो इधर से उधर क्रॉस करते हैं तो उस पर कार्रवाई करती है. हमारे पास जानकारी चाहे किसी प्रदेश की हो. हमारे प्रदेश की हो या बाहर की हो, जो भी जानकारी आती है उस पर भी कार्रवाई होती है. इसका काउंट भी होता है. कौन इधर गया है, कौन उधर गया इसका काउंट भी होता है. तो जानकारी पूरी रहती है. इसमें कोई किसी ने बॉर्डर चेंज कर लिया तो अपने आप को होशियार ना समझे. जानकारी पूरी है.

सवाल: बस्तर बदल जाएगा. तमाम प्रयास आप लोगों ने किया और बस्तर को लेकर जो इंटरनेशनल लेवल पर जो माइंडसेट बना है उसमें अभी फिलहाल जो पिछले 5 साल पहले देखें तो उसमें कोई कमी नहीं आई है. उस माइंडसेट को तोड़ने के लिए क्या कोई स्ट्रैटजी है आप लोगों की?

जवाब: आने वाले ने वर्षों में ही जैसे कि पिछली बार केंद्रीय गृह मंत्री जी ने कहा था कि बस्तर पंडुम को और विशालता के साथ अगली बार करेंगे. वो इसीलिए कहा था कि बस्तर के प्रति अगर कोई सोच किसी के मन में गलत है कि वहां पर सिर्फ पहुंचते ही कोई गोली मारने वाला है. यह सब सोच बदल जानी चाहिए. तो इन विभिन्न माध्यमों से इस सोच को भी बदला जाएगा और आने वाले समय में बस्तर तो पर्यटन का स्वर्ग होगा. बस्तर तो लघु वनउपजों का खदान होगा. बस्तर तो नए अभियानों का प्रतिमान गढ़ने वाला है. बस्तर तो यहां के नौजवानों यहां के विशेष जनजाति और विशेष यहां की माताएं बहनें मैं गजब मानता हूं उनको. गजब का पराक्रम है. गजब का कार्यक्षमता है उनकी. वो सब इतिहास रचेंग. उसमें कोई संशय नहीं है मन में. जनता का आशीर्वाद और जवानों के पराक्रम से ही सब कुछ संभव है. तो सब कुछ उन्हीं का है. अभी उसमें क्या है? नियत समय में सब ठीक होगा. इसमें संशय नहीं है.

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