CG News: अंबिकापुर में यूरिया खाद की कालाबाजारी लगातार जारी है. किसानों को 266 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से बिकने वाले यूरिया को 800 से 1000 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से खरीदना पड़ रहा है.
किसानों काे नहीं मिल रही यूरिया खाद
अंबिकापुर में यूरिया के बड़े कारोबारी ट्रकों के माध्यम से यूरिया सीधे कंपनियों के प्लांट से मंगा रहे हैं और इसके बाद उसे किसानों को बेचने के बजाय माफिया को बेच दे रहे हैं. इसकी शिकायत कृषि विभाग के डायरेक्टर को मिलने के बाद उन्होंने कृषि विभाग के उपसंचालक सहित दूसरे अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई है और तत्काल कार्रवाई कर रिपोर्ट मांगी है.
इस साल अच्छी बारिश होने के कारण किसानों ने धान की जमकर खेती की है और रोपाई के बाद अब खेतों में यूरिया डालने की जरूरत पड़ रही है. लेकिन किसानों को धान की फसल में डालने के लिए यूरिया नहीं मिल पा रहा है. किसान यूरिया के लिए दुकानों में भटक रहे हैं.
800 में बिक रही 266 की यूरिया खाद
दूसरी तरफ अंबिकापुर शहर और इसके आसपास संचालित बड़े खाद दुकानदार यूरिया कंपनियों के प्लांट से सीधे यूरिया की आपूर्ति ट्रक के माध्यम से कर रहे हैं. इसके बाद जैसे ही ट्रक अंबिकापुर पहुंच रहा है. पहले से ही खाद व्यापारी इसकी जानकारी माफिया को दे दे रहे हैं और 266 रुपए की बोरी माफिया को 500 से 600 रुपये के हिसाब से बेच रहे हैं. इसके बाद माफिया यूरिया की बोरी गांव में ले जाकर 800 से हजार रुपए प्रति बोरी के हिसाब से बेच रहे हैं.
कालाबाजारी रोकने के लिए गठित हुई जिला स्तरीय टीम
कृषि विभाग ने खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए जिला स्तरीय टीम बनाकर रखी है. लेकिन टीम के द्वारा भी अब तक किसी बड़े खाद माफिया के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है. अब तक किसी भी माफिया को जेल नहीं भेजा गया है और न ही किसी माफिया के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है. इतना ही नहीं कुछ दिनों के लिए दुकानों को सील किया जाता है. उसके बाद फिर से दुकान सेटिंग के बाद खोल दिए जाते हैं. वही सबसे अधिक कृषि विभाग के अधिकारियों के द्वारा जांच के नाम पर नोटिस जारी किया जाता है और फिर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.
पॉस मशीन से हो रही कालाबाजारी
पॉस मशीन के माध्यम से व्यापारियों के द्वारा बेचे गए खाद और उन्हें सप्लाई किए गए खाद का मिलान तक नहीं किया जा रहा है. वहीं कई ऐसे व्यापारी है जिन्होंने गैर किसानों से अंगूठा लगवाकर उनके नाम पर कई-कई बोरियां यूरिया बेच दिया है. किसान जब यूरिया खरीदने के लिए दुकान पहुंचता है और वह अगर दो बोरी यूरिया मांगता है तो उसे पॉस मशीन में अंगूठा लगाकर 8 से 10 बोरी यूरिया बिक्री करना बता दिया जाता है और फिर उन्हें निर्धारित फॉर्मेट में बिल तक नहीं दिया जा रहा है. इसके बाद वास्तविक रूप से बेचे गए यूरिया के बाद अवैध तरीके से बचने वाले यूरिया के स्टॉक को माफिया को बेच दिया जा रहा है.
कृषि विभाग के डायरेक्टर ने दी कार्यवाही की चेतावनी
छत्तीसगढ़ कृषि विभाग के डायरेक्टर राहुल देव ने कृषि विभाग के उपसंचालक को निर्देश दिया है कि खाद के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए, क्योंकि लगातार खाद की कालाबाजारी की शिकायत सामने आ रही है. उन्होंने सख्त राज्य में चेतावनी दी है कि खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो फिर बड़ा एक्शन जिम्मेदारों के खिलाफ होगा. उन्होंने वर्चुअल माध्यम से मीटिंग लेकर यह निर्देश दिया है. उन्होंने कहा है कि यूरिया खाद की कालाबाजारी की लगातार खबर सामने आ रही है, उन्होंने अफसरों से कहा है कि कितने लाइसेंस सस्पेंड किए हैं, कितने FIR किए हैं, कार्यवाही शून्य दिख रहा है, ये क्या हो रहा है, उप संचालक और फर्टिलाइजर इंस्पेक्टर क्या कर रहे हैं, सभी फील्ड में जाइये और माफिया पर कार्यवाही करें वरना कार्यवाही होंगी.
यूरिया की कालाबाजारी से लेाग हो रहे परेशान
सरगुजा जिले के बड़े दमाली गांव से पहुंचे विजय कुमार नामक किसान ने बताया कि वह यूरिया के लिए कई दिनों से भटक रहा है. वह दुकानों में जाता है लेकिन उसे यूरिया नहीं मिल रहा है इसके कारण वह खरसिया नाका स्थित एक दुकान से 750 रुपए बोरी के हिसाब से यूरिया लिया है, बिल भी नहीं दिया गया और न अंगूठा लगवाया गया. अब वह फ़सल में यूरिया डालेगा.
रघुनाथपुर से पहुंचे शंकर सिंह ने बताया कि उसने 5 हेक्टेयर में धान की खेती की है लेकिन आप टॉप ड्रेसिंग के लिए यूरिया की जरूरत है और यूरिया नहीं मिलने के कारण वह यूरिया का छिड़काव फसल में नहीं कर पा रहा है जिसके कारण उत्पादन बहुत कम होने की उम्मीद है.
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असोला निवासी वीरेंद्र ने बताया कि यूरिया के लिए वह पिछले कई दिनों से भटक रहा था उसके बाद अब जाकर उसने दुकान से 900 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से यूरिया खरीदा है, उसने बताया की खेती करते समय डीएपी खाद भी नहीं मिल रहा था उस समय भी उन्हें 18 सौ रुपए प्रति बोरी के हिसाब से डीएपी खाद खरीदना पड़ा था.
