Vistaar NEWS

CG News: माइनिंग प्रभावित परसा क्षेत्र में नहीं खुला अस्पताल, तीन साल पहले 125 बेड का हॉस्पिटल खोलने का हुआ था वादा

symbolic picture

सांकेतिक तस्‍वीर

CG News: राजस्थान के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने एक साल पहले सरगुजा में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरवीयूएनएल) के परसा ईस्ट केटे बासन ब्लॉक का दौरा किया था. तब उन्होंने अंबिकापुर जैसी आधुनिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए पीईकेबी ब्लॉक के पास 25-बेड का आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल स्थापित करने की योजना की घोषणा की थी. इसके अलावा एक कोल माइंस कंपनी ने भी प्रभावित क्षेत्र में 100 बेड का आधुनिक अस्पताल खोलने की घोषणा की थी. तब कहा गया था कि प्रभावित क्षेत्र के लोगों को अब स्थानीय स्तर पर ही सभी प्रकार की चिकित्सा उपलब्ध हो सकेगी, लेकिन अब तक अस्पताल का निर्माण शुरू ही नहीं हो सका है.

अब तक नहीं हुआ जमीन का आवंटन

कंपनी के एक अधिकारी ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया कि उन्हें प्रशासन की तरफ से अस्पताल खोलने के लिए अब तक जमीन का आवंटन नहीं हुआ है. इसी वजह से अस्पताल निर्माण भी शुरू नहीं हुआ है. ऐसे में समझा जा सकता है कि कोल कंपनियां कोयला खनन के लिए जमीन लेने के लिए प्रशासन के सामने कई बार मीटिंग करती हैं और उन्हें तुरंत जमीन मिल जाती है. प्रशासनिक अधिकारी भी उन्हें जमीन दिलाने में पूरी मदद करते हैं. लेकिन अस्पताल संचालित करने के लिए जमीन नहीं मिलना और इसके लिए पहल नहीं करना दुर्भाग्य की बात है.

क्षेत्र के लोग इलाज के लिए जाते है बड़े शहर

कोल माइंस कंपनी द्वारा लगातार सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत चिकित्सा क्षेत्र में काम करने का दावा किया जाता है. लेकिन इसके बावजूद इस क्षेत्र के लोग इलाज कराने के लिए अंबिकापुर, रायपुर और बिलासपुर जाने के लिए मजबूर हैं, जहां उन्हें अत्यधिक रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं. यही वजह है कि जब कोयला खनन करने वाली कंपनियों के वादे पूरे नहीं होते, तब स्थानीय स्तर पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ता है और कंपनियों को विरोध झेलना पड़ता है. लेकिन इसके बावजूद कंपनी के अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं.

ये भी पढे़ं- गरियाबंद में 1 करोड़ के इनामी समेत 10 नक्सली ढेर, CM साय बोले- ‘नक्सलमुक्त भारत’ का संकल्प होगा साकार

आने वाले दिनों में कोल माइंस का यहां पर एक्सटेंशन भी होना है और तब परसा-साल्ही क्षेत्र में फिर विरोध देखने को मिल सकता है. बता दें कि एसईसीएल की अमेरा माइंस के विस्तार में भी यही समस्याएं सामने आ रही हैं. यहां भी कोयला खनन कर रहे एसईसीएल ने अब तक न तो अस्पताल खोला है और न ही कॉलेज. यही वजह है कि लोग यहां धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं.

Exit mobile version