CG News: कभी नक्सली आतंक की गूंज से दहकता बड़ेसट्टी पंचायत, जहां राष्ट्रीय पर्व के मौके पर तिरंगे की जगह काला झंडा फहराना परंपरा बन चुकी थी. अब यह आजादी के जश्न के रंग में रंगने को तैयार है. इस स्वतंत्रता दिवस पर गांव-गांव में पहली बार तिरंगा लहराएगा. यह वही इलाका है, जिसे बस्तर के सबसे खतरनाक नक्सली गढ़ों में गिना जाता था.
सुकमा जिला मुख्यालय से 38 किमी दूर बड़ेसट्टी में नक्सलियों ने अपनी रणनीति के तहत यहां सबसे पहले शिक्षा व्यवस्था पर वार किया. गांव के स्कूल भवनों को उड़ा दिया गया. छात्रावास तोड़ दिए गए और बच्चों को पढ़ाई से दूर रखने के लिए डर का माहौल बनाया गया. सरकारी ढांचे को कमजोर करने के लिए पंचायत भवन, स्वास्थ्य केंद्र और विकास कार्यो को लगातार निशाना बनाया गया. ग्रामीणों पर नक्सल सभाओं में शामिल होने और उनका समर्थन करने का दबाव डाला जाता था.
विकास की राह पर बढ़ रहा गांव
बड़ेसट्टी में संचालित 50 सीटर बालक छात्रावास के अधीक्षक भीमा मड़कामी बताते हैं कि इलाके में बदलाव देखने को मिल रहा है. सुकमा जिला मुख्यालय से बड़ेसट्टी तक पहुंचना मुश्किल था. सड़क की हालत ऐसी थी कि मुश्किल से बाइक सफर पूरा हो पाता था. आज बड़ेसट्टी के साथ अंदरूनी इलाकों तक सड़क बन चुकी है.
सेल्समैन मुकेश कुमार ने बताया कि बड़ेसट्टी में विपरीत हालातों के कारण राशन दुकान सालों से जर्जर भवन में संचालित था. यहां तक राशन पहुंचना भी किसी जंग लड़ने से कम नहीं था. दो से तीन दिन राशन पहुंचाने में लग जाते थे. आज गांव में पक्का राशन दुकान बन गया है. अब दूर दराज से आने वाले ग्रामीण को राशन आसानी से मिल रहा है.
अंतिम 11 नक्सलियों ने किया था सरेंडर
इस साल अप्रैल में हालात अचानक बदल गए. बचे हुए अंतिम 11 नक्सलियों ने जिला पुलिस और सीआरपीएफ के सामने हथियार डाल दिए. इसके बाद बड़ेसट्टी को प्रदेश का पहला ‘नक्सल मुक्त पंचायत’ घोषित कर दिया गया. नक्सली मुक्त होते ही प्रशासन ने गांव में तेजी से विकास कार्य शुरू किए. राज्य सरकार ने ‘इलवद पंचायत योजना’ के तहत बड़ेसट्टी को नक्सल मुक्त घोषित करते हुए 1 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज दिया. महज चार महीने में गांव की सूरत बदल गई. पक्की सड़क बन चुकी है, नए छात्रावास भवन और स्कूल का निर्माण हो रहा है, पंचायत भवन का पुनर्निर्माण किया गया है और बिजली-पानी की सुविधाएं बहाल हो चुकी हैं.
काला झंडा से तिरंगे तक का सफर
कभी स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर गांव के चौक-चौराहों पर काले झंडे लहराते थे. नक्सली इसे ‘काला दिवस’ कहते थे और तिरंगा फहराने वालों को मौत की धमकी देते थे. लेकिन इस बार माहौल पूरी तरह बदला है. ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत ग्रामीण खुद अपने घरों पर तिरंगा लगाने की तैयारी कर रहे हैं. बच्चे झंडे लेकर स्कूलों में रिहर्सल कर रहे हैं और महिलाओं के समूह आजादी के गीत गा रहे हैं.
गांव वालों के लिए राष्ट्रीय पर्व ही नहीं नक्सलियों से भी आजादी का जश्न
बड़ेसट्टी को नक्सल मुक्त बनाने में जिला एवं पुलिस प्रशासन की संयुक्त रणनीति ने अहम भूमिका निभाई. लगातार सर्च ऑपरेशन, सड़क निर्माण और सुरक्षा कैंपों की स्थापना ने नक्सलियों के दबदबे को खत्म कर दिया. गांव में पुलिस की मौजूदगी ने लोगों के मन से डर निकाल दिया. इस बार 15 अगस्त को बड़ेसट्टी पंचायत में पहली बार खुलेआम तिरंगा लहराएगा. ग्रामीण इसे सिर्फ राष्ट्रीय पर्व नहीं, बल्कि अपनी असली आजादी का दिन मान रहे हैं, क्योंकि दशकों के खौफ के बाद उन्होंने नक्सली आतंक की बेड़ियां तोड़ी हैं.
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गांव को एक करोड़ रुपये की सौगात
सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने कहा कि सुकमा जिले में बड़ेसट्टी और केरलापेंदा को नक्सल मुक्त गांव घोषित किया गया है. सरकार द्वारा इलवद पंचायत योजना के तहत बड़ेसट्टी में विकास कार्यों के लिए एक करोड़ रुपये की राशि मिली है. आने वाले दिनों में जिले के अन्य गांवों को भी मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.
