Ambikapur: अंबिकापुर नगर निगम के कमिश्नर डीएन कश्यप को बिना कारण बताए 3 करोड़ से अधिक रुपए का टेंडर निरस्त किए जाने पर लीगल नोटिस भेजा गया है. अंबिकापुर नगर निगम के कमिश्नर ने पिछले दिनों शहर में बनने वाले नाली, सड़क और नाला निर्माण के 60 से अधिक निर्माण कार्यों के लिए जारी टेंडर को निरस्त कर दिया था. ऐसा पहली बार नहीं ब्लकि तीसरी बार हुआ था. इससे ठेकेदारों को बड़ा नुकसान हुआ. वहीं, शहर में विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं. इसे लेकर कांग्रेस पार्षद शुभम जायसवाल ने अपने वकील के माध्यम से आयुक्त को कानूनी नोटिस भेजा है.
अंबिकापुर नगर निगम कमिश्नर को लीगल नोटिस
नगर निगम द्वारा निर्माण कार्यों की निविदा निरस्त किए जाने के खिलाफ वार्ड 19 के पार्षद शुभम जायसवाल ने अपने अधिवक्ता संतोष सिंह के माध्यम से नगर निगम आयुक्त को कानूनी नोटिस जारी किया है. निर्माण कार्यों के लिए बुलाई गई निविदा को निर्धारित तिथि को खोलने या तीन दिन के अंदर निविदा निरस्त करने का स्पष्ट कारण न बताने बताने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है. नोटिस में कहा गया है कि निगम ने 3 करोड़ 77 लाख के 60 कार्य की निविदा आमंत्रित की थी. निविदा की शर्तों के अनुसार निविदा फार्म बेचकर निगम ने 6 लाख 81 हजार की आय अर्जित की.
22 जुलाई को निविदा निरस्त
23 जुलाई 2025 को निविदा प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि थी. बिना किसी कारण के राजनीतिक दबाव में 22 जुलाई को निविदा निरस्त कर दिया गया. नगर निगम क्षेत्र में सीसी रोड, नाली और सड़क मरम्मत का काम जनहित में किया जाना अत्यंत आवश्यक था, जिससे नागरिकों की आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराई जा सके. निविदा खोलने की अंतिम तिथि 25 जुलाई निर्धारित है, इसलिए तय तारीख को निविदा खोलकर आगामी कार्रवाई करने नहीं करने की स्थिति में न्यायालयीन कार्रवाई करने की बात कही है.
महापौर और नेता प्रतिपक्ष का आरोप-पलटवार
सबसे बड़ी बात है कि इसे लेकर कांग्रेस के नेता और अंबिकापुर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद भी पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नगर निगम प्रशासन और महापौर पर गंभीर आरोप लगा चुके हैं. उनका कहना है कि भाजपा के लोगों को ठेका दिलाने के लिए टेंडर निरस्त किया गया है. दूसरी तरफ इस पर पलटवार करते हुए महापौर मंजूषा भगत ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा था कि बरसात का मौसम है. ऐसे में निर्माण कार्य नहीं हो पाते इस वजह से टेंडर व्यस्त किया गया है. इसके अलावा यह भी कहा गया कि पुराने SOR रेट पर टेंडर था और इसे भी टेंडर निरस्त करने का वजह बताया गया जबकि हकीकत यह है कि टेंडर जारी करने के बाद उसकी शर्तों में साफ लिखा होता है कि कार्य पूरा करने की अवधि वर्षा ऋतु को छोड़कर है. वहीं, पुराने दर पर SOR की भी यहां पर बात नहीं है क्योंकि टेंडर में SOR रेट एक जनवरी 2025 का लिखा गया है.
राजनीतिक गलियारों में चर्चा
वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक हलके में इस बात की चर्चा है कि अंबिकापुर नगर निगम में सत्ता पक्ष के कई गुट बन गए हैं और सभी गुट के लोगों को ठेका चाहिए, इसकी वजह से निर्माण कार्य समय पर नहीं हो पा रहे हैं.
हालांकि, महापौर मंजूषा भगत पहले भी कई बार पार्षद भी रह चुकी हैं और उन्हें नगर निगम का पुराना अनुभव है, लेकिन अंबिकापुर शहर में पहली बार मंजूषा भगत के रूप में कोई महिला महापौर बनी है. ऐसे में मंजूषा भगत को स्वतंत्र तरीके से काम करने देने की जरूरत है क्योंकि संगठन के कुछ नेताओं और विपक्ष के द्वारा अगर इस तरीके से नगर निगम के कार्यों में हस्तक्षेप किया जाएगा तो इसका असर शहर के विकास पर भी पड़ेगा.
