लुभम निर्मलकर (दंतेवाड़ा)
Maha Shivratri 2025: उज्जैन के महाकालेश्वर के बाद दंतेवाड़ा में स्थित है, दक्षिण मुखीशिव लिंग बस्तर में छिंदक नागवंशी राजाओं का वर्चस्व रहा है और यह शिव उपासक थे, इसलिए पूरे बस्तर में शिव परिवार की प्रतिमाएं सर्वाधिक हैं किंतु दक्षिणमुखी शिवलिंग सिर्फ एक है. यह शिवलिंग दंतेवाड़ा में मावली माता मंदिर परिसर में है. यह करीब एक हज़ार साल पुराना तथा करीब ढाई फीट लंबा है. माना जाता है कि दंतेवाडा की शासिका मासक देवी इसकी पूजा अर्चना करती थीं.
मावली माता मंदिर में है, दक्षिणमुखी दुर्लभ शिवलिंग
यहां दो गुड़ी है. एक में मां दंतेश्वरी और दूसरे में मां माणिकेश्वरी अर्थात मावली माता विराजित हैं. इस गुड़ी में ही भैरवी प्रतिमाओं के पास यह दक्षिणमुखी दुर्लभ शिवलिंग है. आमतौर पर शिवलिंग की जलहरी उत्तर दिशा की तरफ होती है किंतु इस जलहरी की दिशा दक्षिण की तरफ है और लोग बाकायदा इसकी भी पूजा अर्चना करते हैं. इस शिवलिंग निर्माण के संदर्भ में बताया जाता है कि वर्ष 1025 के आसपास प्रथम छिंदक नागवंशी नरेश नृपतिभूषण ने इसका निर्माण करवाया था.
हजार साल पुराना है इतिहास
दंतेश्वरी शक्तिपीठ के पुजारी बताते है उज्जैन के महाकालेश्वर के बाद यह दूसरा दक्षिण मुखी शिव लिंग है. वर्ष 1932 में दोनों देवी गुड़ियों का तत्कालीन बस्तर महारानी प्रफुल्ल कुमारी देवी ने जीर्णोद्धार करवाया था. उस समय भी यह शिवलिंग दक्षिणमुखी था. वर्ष 1982 में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग ने भी यहां की मूर्तियों को व्यवस्थित करते समय इस शिवलिंग को नहीं हटाया था.
