CG News: छत्तीसगढ़ राज्य ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है. जापान के टोयोटा नगर में 14 से 16 अक्टूबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय महापौर सम्मेलन 2025 में रायपुर शहर की नगर निगम महापौर मीनल चौबे राज्य का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. टोयोटा में चल रहा यह तीन दिवसीय कार्यक्रम वैश्विक मंच पर विश्व के नगरों और संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं के बीच नवाचार और शहरी विकास को नया आयाम देने के लिए आयोजित किया गया है.
इस मौके पर रायपुर नगर निगम महापौर मीनल चौबे ने शहर की स्वच्छता, हरित विकास और नागरिक भागीदारी पर कार्यक्रमों की जानकारी यहां साझा की है ताकि रायपुर की पहचान सकारात्मक तरीके से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हो सके.
कार्यक्रम में प्रतिनिधियों ने रखे अपने विचार
टोयोटा में आयोजित इस सम्मेलन के पहले दिन कई देशों से पहुंचे प्रतिनिधियों ने अपने-अपने नगरों की चुनौतियों और उनके समाधान पर अपने विचार रखे. इस कार्यक्रम में चर्चा के दौरान प्लास्टिक पुनर्चक्रण को विशेष रूप से बढ़ावा देने पर जोर दिया गया. इसके अलावा विद्यालयों में कचरे का पृथक्करण करने और इसे फिर से प्रयोग में लाने के लिए जागरूकता बढ़ाने तथा इन विषयों को शिक्षा स्तर पर शामिल करने पर विचार किया गया. कार्यक्रम में आए प्रतिनिधियों ने कहा कि अपशिष्ट पदार्थों को सही तरीके से उपयोगी उत्पाद बनाकर पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय लोगों को रोजगार में भी मदद मिल सकती है.
कम-कार्बन मास्टर प्लान हुआ प्रस्तुत
जापान के टोयोटा नगर में आयोजित इस कार्यक्रम में कम-कार्बन नगर मास्टर योजना के अंतर्गत कुछ विशेष अवधारणाएं प्रस्तुत की गईं. इसमें स्वच्छ नालियां, कम बाढ़ और ध्वनि आधारित पदार्थ चक्र का समाज पर प्रभाव जैसे कार्यक्रम शामिल हैं. इसका उद्देश्य कम-कार्बन, स्वच्छ शहर और जलवायु के प्रति लचीले नगरों का निर्माण करना भी है.
इस सम्मेलन में विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र आवास कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संगठन, संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन सहित जापान, कोरिया, मलेशिया, रवांडा, पाकिस्तान और यूनान के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं.
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मंगोलिया की राजधानी उलानबटार ने अपनी आवासीय योजनाओं की प्रस्तुति दी, जबकि मलेशिया के पेनांग नगर परिषद ने “सुरक्षित और सुदृढ़ आवास” विषय पर अपने अनुभव साझा किए. वहीं युगांडा के मसाका नगर के महापौर ने अनियोजित बस्तियों, अवसंरचना की कमी और जलवायु संकट से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला.
