Petrol Prices: छत्तीसगढ़ में पेट्रोल अब सस्ता मिलेगा. सोमवार को बजट के दौरान वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने पेट्रोल की कीमतों से एक रुपये की कमी का ऐलान किया. प्रदेश के कई इलाक़ों में पेट्रोल की क़ीमतें 100 रुपये के पार हैं. लेकिन, इस कटौती से थोड़ी राहत ज़रूर मिलेगी. वैसे इसके पहले 3 नवंबर, 2021 को भूपेश बघेल की सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमतों में 1 रुपये की कटौती की थी. तब दिल्ली में केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 5 और डीज़ल पर 10 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी घटाई थी. केंद्र सरकार के इस कदम के बाद देश की अधिकांश राज्य सरकारों ने तेल पर लगने वाले वैट को कम किया था. बीजेपी शासित राज्यों के अलावा छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार ने भी आंशिक राहत दी थी.
अनुपात के नज़रिए से देखा जाए तो छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा तेल की क़ीमतों में कटौती उस दौरान के दूसरे बीजेपी शासित राज्यों के मुक़ाबले काफ़ी कम थी. उदाहरण के लिए 2021 में जब केंद्र सरकार ने बड़े स्तर पर पेट्रोलियम पर से एक्साइज ड्यूटी घटाई थी, तब मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, असम, गोवा समेत तमाम बीजेपी शासित राज्यों ने वैट में 7 रुपये की कटौती की थी. जबकि, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ने 1 रुपये कम किए थे.
आँकड़े बताते हैं कि तेल की क़ीमतों में कटौती के मामले में बीजेपी शासित राज्य अव्वल रहे हैं. कर्नाटक और ओड़िशा को छोड़ दें तो अधिकांश रूप से ग़ैर-बीजेपी शासित राज्यों ने कंजूसी दिखाई है. जहां बीजेपी शासित राज्य केंद्र की नीतियों के साथ तालमेल बिठाकर वैट कटौती करते हैं, वहीं कांग्रेस समेत गैर-बीजेपी राज्य अक्सर केंद्र पर निर्भरता या राजस्व की कमी का हवाला देकर ऐसा करने से बचते हैं. उदाहरण के लिए 2018 से लेकर 2025 के आँकड़ों पर गौर करें तो स्थिति स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगती है.
2018: बीजेपी बनाम ग़ैर-बीजेपी शासित राज्य
2018 में केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 2.50 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी. इसके बाद कई बीजेपी शासित राज्यों ने वैट में 2.50 रुपये की अतिरिक्त कटौती की, जिससे कुल छूट 5 रुपये प्रति लीटर हुई. हालांकि, अधिकांश गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने इस कटौती का पालन नहीं किया. उदाहरण के लिए 2018 में तेल की क़ीमतों में आग लगी हुई थी. विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमलावर थे. लगातार तेल की क़ीमतों में कटौती की माँग उठ रही थी. इसी दौरान ममता बनर्जी ने 11 सितंबर, 2018 को तेल की क़ीमत में 1 रुपये की कमी का ऐलान किया. तब कोलकाता में पेट्रोल 84 रुपये प्रति लीटर और डीजल 76 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बिक रहा था. हालाँकि, ये अलग बात थी कि ममता सरकार के एक रुपये की कटौती के बाद भी पश्चिम बंगाल में तेल की क़ीमतें दूसरे राज्यों के मुक़ाबले ज़्यादा थीं. इस दौरान कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की गठबंधन की सरकार ने भी वैट में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की.
पश्चिम बंगाल में ममता सरकार के तेल की क़ीमतों में कटौती के तक़रीबन एक महीने बाद केंद्र की मोदी सरकार ने तेल की क़ीमतों में कटौती की. 4 अक्टूबर, 2018 को केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल पर एक्साइज ड्यूटी में 2.50 रुपये प्रति लीटर की कमी कर दी. साथ ही तेल कंपनियों को 1 रुपये प्रति लीटर की अतिरिक्त छूट देने को कहा. इस तरह केंद्र सरकार ने उपभोक्ताओं को लगभग 3.50 रुपये प्रति लीटर की राहत दी. इसके बाद, बीजेपी शासित 13 राज्यों (जैसे उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा आदि) ने वैट में 2.50 रुपये प्रति लीटर की अतिरिक्त कटौती की, जिससे इन राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें कुल 5 रुपये प्रति लीटर तक कम हुईं. उधर, ममता बनर्जी ने केंद्र की इस कटौती को “अपर्याप्त” और “नाटक” करार दिया. उन्होंने तर्क दिया कि 2.50 रुपये की कटौती उस समय की बढ़ती कीमतों के संदर्भ में बहुत कम थी. परिणामस्वरूप, पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र की इस पहल के बाद वैट में कोई अतिरिक्त कटौती नहीं की.
2021: बीजेपी शासित राज्यों ने दी छूट
तेल की बढ़ती क़ीमतों को कंट्रोल करने के लिए 2021 में भी केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी में कटौती की. बीजेपी शासित 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने वैट में कटौती करके जनता को पेट्रोल में 7-8 रुपये और डीज़ल में 9-10 रुपये तक की राहत दी. जबकि, कांग्रेस समेत दूसरे ग़ैर-बीजेपी शासित राज्यों में सिर्फ़ ओड़िशा को छोड़ दें तो किसी ने क़ीमतों में कटौती नहीं की. ग़ौरतलब है कि तब राजस्थान के जयपुर में पेट्रोल का भाव 111.10 रुपये प्रति लीटर था. लेकिन, वहाँ अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने क़ीमतों में कोई कमी नहीं की. महाराष्ट्र में भी महा विकास उघाड़ी ( कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी) की सरकार थी और मुंबई में पेट्रोल का भाव 109.98 रुपये थे. फिर भी क़ीमतों में कोई कमी नहीं की गई. वहीं, दिल्ली की केजरीवाल सरकार, पश्चिम बंगाल में ममता सरकार और केरल में एलडीएफ ने भी कोई कमी नहीं की. तब ग़ैर बीजेपी शासित राज्यों में सिर्फ़ नवीन पटनायक की सरकार ने पेट्रोल की क़ीमतों में 3 रुपये प्रति लीटर की कमी की थी.
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2024-25: ग़ैर-बीजेपी राज्य छूट के मामले में फिर फिसड्डी
2024 में केंद्र की मोदी सरकार ने फिर से पेट्रोल और डीजल पर 2 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी में कटौती की. बीजेपी शासित राज्यों में से कुछ ने इसे सही ढंग से समर्थन दिया. जिसमें छत्तीसगढ़ का उदाहरण सामने हैं. 2025 के बजट में छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ने अनुपात के हिसाब से 1 रुपया वैट घटाने का ऐलान किया. लेकिन, दूसरी तरफ़ ग़ैर-बीजेपी शासित राज्यों कर्नाटक, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल क़ीमतों में कमी की बजाए महंगाई की आलोचना पॉलिटिक्स का माहौल बनाए हुए हैं.
ग़ौरतलब है कि इस प्रचंड महंगाई के बीच 2024 में तो कर्नाटक में सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने उल्टा पेट्रोल और डीज़ल पर सेल्स टैक्स बढ़ा दिया. कर्नाटक की सरकार ने पेट्रोल पर 3 रुपये और डीज़ल पर 3.5 रुपये प्रति लीटर सेल्स टैक्स का इज़ाफ़ा किया. इसके चलते इस राज्य में तेल की क़ीमतें बढ़ गईं. हालाँकि, राज्य सरकार को राजस्व की दरकार थी, लिहाज़ा उसने यह कदम उठाया. उधर, तमिलनाडु ने कटौती तो कुछ नहीं की… लेकिन, केंद्र सरकार से ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने की माँग ज़रूर की.
