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छत्तीसगढ़िया और बाहरी को लेकर चल रहे घमासान के राजनीतिक मायने, किसको फायदा किसको होगा नुकसान?

Chhattisgarh

अमित बघेल और छत्तीसगढ़ महतारी

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ दिनों से छत्तीसगढ़ियावाद को लेकर लगातार राजनीति हो रही है, तो दूसरी तरफ अमित बघेल की चर्चा भी गांव से लेकर शहर तक हो रहा है. आखिर अमित बघेल छत्तीसगढ़ियावाद को लेकर इतने सुर्खियों में क्यों है, आपको यह तो पता ही है, लेकिन इसके राजनीतिक मायने क्या हैं, इसे समझने की जरूरत है. छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ की संस्कृति और यहां के रहन-सहन को बढ़ाने में भूपेश बघेल का नाम खूब आगे बढ़ा और भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री के रूप में एक पहचान मिली, फिलहाल भूपेश बघेल मुख्यमंत्री नहीं है और अब भारतीय जनता पार्टी सरकार में है, ऐसे में छत्तीसगढ़िया वाद को लेकर अगर बात करें, तो भूपेश बघेल के साथ अमित बघेल का नाम भी जुड़ रहा है. यह अलग बात है कि अमित बघेल ने विवादित बयान देकर सुर्खियां बटोरी हैं लेकिन उसे खूब हवा दिया जा रहा है.

छत्तीसगढ़िया और बाहरी पर घमासान, क्या है राजनीतिक मायने?

मतलब साफ है कि भूपेश बघेल जिस तरीके से मुख्यमंत्री रहते हुए छत्तीसगढ़ की संस्कृति और छत्तीसगढ़ महतारी की बात किया करते थे, अब जब वह मुख्यमंत्री नहीं है और ऐसे में भले ही विवादित तौर पर ही सही अमित बघेल उस जगह को भरने की कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में इसका सबसे अधिक फायदा किस राजनीतिक पार्टी को होगा. आप समझ सकते हैं लेकिन दूसरी तरफ यह भी सवाल है, कि आखिर अमित बघेल की गिरफ्तारी क्यों नहीं की जा रही है, क्या अमित बघेल का और अधिक माहौल बनने के बाद गिरफ्तारी होगी या प्रदेश के सभी शहरों में प्रदर्शन होने के बाद गिरफ्तारी की जाएगी, ताकि अमित बघेल को पुलिस गिरफ्तार करें और जेल भेजे. इसके बाद जब उन्हें जमानत मिले तब वह एक छत्तीसगढ़िया पुत्र के रूप में जोश खरोश के बीच जेल से बाहर निकलें और इसके बाद आगे लगातार छत्तीसगढ़िया और छत्तीसगढ़ की संस्कृति छत्तीसगढ़ के मान सम्मान को लेकर बात करने वालों में भूपेश बघेल से आगे निकल जाएं. यह सब आने वाले दिनों में दिखाई दे सकता है.

सवाल यह भी उठ रहा है कि इससे आखिर कांग्रेस के दूसरे गुट यानि भूपेश बघेल से नाराज रहने वाले छत्तीसगढ़ कांग्रेस के दूसरे नेताओं को कितना फायदा होगा तो सवाल यह भी उठ रहा है कि भारतीय जनता पार्टी को भूपेश बघेल के खिलाफ काम करने में कितना फायदा होगा। तीसरा सवाल यह भी है कि क्या वाकई में भूपेश बघेल द्वारा अपनी सरकार के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ की संस्कृति, रहन-सहन, खानपान व वेशभूषा को आगे बढ़ाने के लिए किए गए काम के बाद छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री की बनी छवि पर अमित बघेल भारी पड़ेंगे। इतना तो तय है कि छत्तीसगढ़िया और छत्तीसगढ़ी माटी पुत्र बनने के लिए नेताओं में और भी जोर पकड़ सकता है क्योंकि तीन साल बाद विधान सभा चुनाव है.

किसको फायदा, किसको होगा नुकसान?

उम्मीद की जानी चाहिए कि नेता इस तरह से विवादित बयान नहीं देंगे जिससे किसी भी धर्म या समाज के लोगों की आस्था पर गहरा चोट पहुंचे, सभी समाज के लोगों को भी खासकर इस मामले को जड़ तक जाकर समझने की जरूरत है ताकि छत्तीसगढ़ में शांति और सौहार्द का वातावरण बना रहे क्योंकि नेता और राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए ऐसा माहौल बनाते हैं जो गलत है लेकिन छत्तीसगढ़ में रहने वाले सभी लोगों को इसे गंभीरता से समझने की जरूरत है ताकि छत्तीसगढ़ में रहने वाले लोगों को आपस में न बांटा जा सकें.

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मेरा मानना है कि छत्तीसगढ़ में रहने वाला हर एक व्यक्ति जो छत्तीसगढ़ महतारी के बारे में सोचता है, छत्तीसगढ़िया व्यक्ति के बारे में सोचता है और दिल से सोचता है, वह छत्तीसगढ़िया है. सिर्फ छत्तीसगढ़ में सैकड़ो साल से रहने की वजह से कोई छत्तीसगढ़ का माटी पुत्र नहीं हो सकता, जब तक उस धरती और उस धरती में रहने वाले सभी लोगों के बारे में अच्छा न सोचे. ऐसा इसलिए क्योंकि छत्तीसगढ़ में कई कई सालों और दशकों से रहने वाले कई बड़े नेता और अफसर छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा में जन्म लेने के बावजूद आज उसी के कोरा में बैठकर बड़े-बड़े भ्रष्टाचार कर रहे हैं ऐसे में इन नेताओं को या अफसरों को या फिर ऐसे व्यापारियों को छत्तीसगढ़ महतारी का पुत्र कैसे कहें या फिर इन्हें छत्तीसगढ़िया कैसे कहें. कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में रहने वाले सभी लोगों को नेताओं के इस बयान बाजी को समझने की जरूरत है क्योंकि राजनीतिक दल के लोग और नेता ऐसे बयान कई बार अपने स्वार्थ के लिए भी देते हैं और जनता इमोशनल होकर उसे दिल पर ले लेती है जिससे शांति का माहौल खराब होता है.

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