Raipur: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नगर निगम ने गजब की पहल की है. रायपुर नगर निगम, छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण (CBDA) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के बीच त्रिपक्षीय MOU हुआ है. इसके तहत रायपुर में कचरे को गैस में बदलने की एक अनूठी पहल शुरू होने जा रही है. इसके लिए 100 करोड़ रुपए का इंवेस्टमेंट किया जाएगा. इससे राज्य सरकार को हर साल 1 करोड़ रुपए का GST प्राप्त होगा.
क्या है कंप्रेस्ड बायो गैस (CBG)?
CBG यानी कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) का उन्नत रूप है, जिसे गैस से चलने वाले वाहनों में उपयोग किया जा सकता है. यह पूरी तरह स्वचालित संयंत्र गीले कचरे को निस्तारित कर CBG और जैविक खाद का उत्पादन करेगा. CBG, बायोमास जैसे कृषि अपशिष्ट, गोबर, नगर निगम के ठोस कचरे आदि से अनॉक्सी प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है. इसमें 55-60% मीथेन, 40-45% कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड होता है. कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य अशुद्धियों को हटाकर, इसे संपीड़ित करने पर 90% मीथेन युक्त CBG प्राप्त होता है.
कैसा होगा यह प्रोजेक्ट
यह प्लांट रायपुर के रावाभाठा क्षेत्र में स्थापित होगा, जहां रोजाना 100 से 150 टन मिश्रित ठोस अपशिष्ट (MSW) से कंप्रेस्ड बायो गैस (CBG) का उत्पादन होगा. इस परियोजना की शुरुआत 13 मार्च 2024 को CM विष्णु देव साय और उप मुख्यमंत्री अरुण साव की मौजूदगी में हुई थी. BPCL इस संयंत्र के निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपए का निवेश करेगी. इससे निर्माण और संचालन के दौरान करीब 30,000 स्थायी रोजगार सृजित होगा. साथ ही स्थानीय लोगों को निर्माण कार्य में रोजगार के अवसर मिलेंगे.
MOU हुआ साइन
इस प्लांट के लिए MOU पर रायपुर कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह, CBDA के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुमित सरकार, BPCL (मुंबई) के हेड बायोफ्यूल्स अनिल कुमार पी और नगर निगम आयुक्त विश्वदीप ने हस्ताक्षर किया.
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हर साल 1 करोड़ रुपए का GST
इस संयंत्र से उत्पादित CBG का उपयोग शहर की बसों और अन्य वाणिज्यिक कार्यों में होगा, जिससे सरकार को हर साल 1 करोड़ रुपए का GST मिलेगा. साथ ही इस प्रक्रिया में उत्पन्न जैविक खाद से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा. यह परियोजना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम कर पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगी.
CBG के लाभ
- CBG में CNG जैसे गुण होते हैं और इसे हरित ऑटोमोटिव ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है.
- यह प्रदूषण कम करने, कच्चे तेल पर निर्भरता घटाने, और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मददगार है.
- साथ ही यह किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत प्रदान करेगा और बायोमास का उपयोग कर ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति लाएगा.
