CG News: छत्तीसगढ़ में शिक्षकों दी गई कुत्तों की जानकारी जुटाने वाली जिम्मेदार पर पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा है. उन्होंने शिक्षकों को स्कूल परिसर में दिखाई देने वाले कुत्तों की जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी सौंपने पर कड़ा विरोध जताया है. उनका कहना है कि शिक्षकों पर पहले से ही गैर-शैक्षणिक कार्यों का अत्यधिक दबाव है और अब कुत्तों की गिनती जैसे निर्देश देना न केवल शिक्षा व्यवस्था के साथ मजाक है, बल्कि शिक्षकों के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला फैसला भी है.
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यदि सरकार इतनी विस्तृत रिपोर्ट चाहती है तो शिक्षकों के लिए डॉग ट्रेनर वर्कशॉप और प्रशिक्षण शिविर अनिवार्य किए जाएं. साथ ही श्वान प्रशिक्षण और मैराथन ट्रेनिंग भी कराई. उन्होंने कहा कि यदि सरकार ऐसे प्रशिक्षण शिविर आयोजित नहीं करती तो वे स्वयं इस तरह का आयोजन करवाएंगे. उपाध्याय ने सरकार से यह निर्णय तुरंत वापस लेने और शिक्षकों को केवल शैक्षणिक कार्यों तक सीमित रखने की मांग की है.
सरकारी शिक्षकों पर बढ़ रही जिम्मेदारियां
इधर छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों पर जिम्मेदारियों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. पढ़ाई, मिड-डे मील, सर्वे, बीएलओ और अन्य सरकारी कार्यों के बाद अब शिक्षकों को स्कूलों में आवारा कुत्तों पर नजर रखने का नया निर्देश दे दिया गया है. 20 नवंबर 2025 को लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी आदेश के बाद शिक्षकों में असंतोष की स्थिति है.
आदेश में स्कूलों के प्राचार्य और प्रधान पाठक को नोडल अधिकारी बनाते हुए परिसर और आसपास के क्षेत्रों में घूमने वाले कुत्तों की गतिविधियों की मॉनिटरिंग करने, सुरक्षा उपाय लागू करने और हर कार्रवाई की रिपोर्ट पोर्टल या नोडल टीम को भेजने की जिम्मेदारी तय की गई है. इसके साथ ही निर्देश दिया गया है कि कुत्ता दिखाई देने पर तुरंत स्थानीय निकाय की डॉग कैचर टीम को सूचित किया जाए, स्कूल परिसर में कुत्तों के प्रवेश को रोका जाए और कुत्ते द्वारा काटने की स्थिति में बच्चे को तत्काल स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने कई विभागों को दी थी जिम्मेदारी
अभिभावकों का मानना है कि बच्चे सुबह और छुट्टी के समय आवारा कुत्तों के बीच से गुजरते हैं, इसलिए सुरक्षा बेहद जरूरी है, लेकिन जब डॉग कैचर टीमें मौजूद हैं तो पूरी जिम्मेदारी शिक्षकों पर डालना कितना उचित है, यह भी विचार योग्य है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा देशभर में बढ़ते आवारा कुत्तों और हमलों के मामलों पर दखल देने के बाद अलग-अलग विभागों को जिम्मेदारियां बांटी गई थीं और अब इसका सीधा असर स्कूलों पर भी दिख रहा है.
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नए निर्देशों के तहत स्कूलों में भोजन के अवशेष परिसर में जमा न होने देना, गंदगी या ऐसे स्थान न बनने देना जहां कुत्ते बैठ सकें और बच्चों को कुत्तों से संबंधित जोखिम और बचाव के बारे में जागरूक करना अनिवार्य किया गया है.
