CG News: छत्तीसगढ़ की पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में शराब घोटाला, कोयला घोटाला, महादेव सट्टा एप घोटाला, DMF घोटाला और कस्टम मिलिंग घोटाला जैसे कई बड़े मामलों के आरोप सामने आए थे. इन घोटालों के बाद ACB-EOW और ED ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए कई लोगों को गिरफ्तार किया. हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम के बीच सबसे बड़ा सवाल यही बना रहा कि आखिर इन घोटालों का ट्रायल कब शुरू होगा.
ईडी ने पेश की 29 हजार 800 पन्नों की अंतिम चार्जशीट
अब राज्य में हुए शराब घोटाले की करीब दो साल तक चली जांच के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लगभग 29 हजार 800 पन्नों की फाइनल कंप्लेंट, यानी अंतिम चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है. इस चार्जशीट में 22 गिरफ्तार अधिकारी, कारोबारी और नेता, डिस्टलरी कंपनियां, FL-10 लाइसेंस धारक सहित कुल 81 लोगों को आरोपी बनाया गया है. इन सभी पर करीब 3200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले का आरोप लगाया गया है.
अंतिम चार्जशीट में जोडे़ गए नए आरोपियों के नाम
अंतिम चार्जशीट में कई नए आरोपियों के नाम भी जोड़े गए हैं, जिनमें कई बड़े और प्रभावशाली नाम शामिल हैं. बिना गिरफ्तार किए जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें रिटायर्ड IAS के बेटे यश टुटेजा, कारोबारी लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू, दीपक दौरी, अनुराग द्विवेदी, प्रकाश शर्मा, सोहनलाल वर्मा, पीयूष बिजलानी, संजय दीवान, अमित सिंह, शराब कारोबारी नवीन केडिया, भूपेंद्र पाल सिंह भाटिया, राजेंद्र जायसवाल, आशीष सौरभ केडिया, सिद्धार्थ सिंघानिया, शराब अधिकारी जनार्दन कौरव, अनिमेष नेताम, विजय सिंह शर्मा, अरविंद कुमार पटले, प्रमोद नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, विकास गोस्वामी, इकबाल अहमद खान, नितिन खंडुजा, नवीन प्रताप सिंह तोमर, मंजूश्री कसेर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, मोहित जायसवाल, नीतू नोतानी, गरीबपाल सिंह, नोहर सिंह ठाकुर, सोनल नेताम, प्रकाश पाल, आलेख राम सिदार, आशीष कोसम, अनंत सिंह, राजेश जायसवाल, जीतूराम मंडावी, गंभीर सिंह नरुटी, देवलाल वैद्य, अश्विनी अनंत, वेदराम लहरे, लखनलाल ध्रुव, आशीष श्रीवास्तव, विकास अग्रवाल, बच्चा राज लोहिया, अतुल सिंह, मुकेश मनचंदा, मनीष मिश्रा, अभिषेक सिंह और कृष्ण श्रीवास्तव के नाम शामिल हैं.
इसके अलावा इस घोटाले में कई कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है. इनमें छत्तीसगढ़ डिस्टलरी, भाटिया वाइन मर्चेंट, वेलकम डिस्टलरी, अदीप एग्रोटेक प्रा. लि., पीटरसन बायो रिफाइनरी, ढिल्लन सिटी मॉल, टॉप सिक्योरिटी एंड फैसिलिटी मैनेजमेंट, ओम साईं बेवरेज, दिशिता वेंचर्स प्रा. लि., नेक्सजेन इंजिटेक, एजेएस एग्रोट्रेड प्रा. लि., ढेबर बिल्डकॉन, प्राइम डेवलपर्स, इंडियन बिल्डकॉन और प्रिज्म होलोग्राफी शामिल हैं.
आईएएस अधिकारियों ने दिया घोटले को अंजाम
ED के अनुसार, तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD अरुणपति त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए इस घोटाले को अंजाम दिया गया. इस पूरे घोटाले में राजनेता, आबकारी विभाग के अधिकारी, कारोबारी और कई अन्य लोग शामिल थे. घोटाले को A, B और C कैटेगरी में बांटकर अंजाम दिया गया. A कैटेगरी में डिस्टलरी संचालकों से कमीशन के जरिए घोटाला किया गया. B कैटेगरी में नकली होलोग्राम वाली शराब को सरकारी दुकानों के जरिए बिकवाया गया. वहीं C कैटेगरी में डिस्टलरी के सप्लाई एरिया को कम या ज्यादा कर अवैध वसूली की गई. इस पूरे सिस्टम के जरिए करीब 28 हजार करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले को अंजाम दिया गया, जिसकी रकम अंतिम चार्जशीट में स्पष्ट रूप से दर्ज है.
चार्जशीट के पेज 30 पर कैश हैंडलर ने स्वीकार की अपनी भूमिका
चार्जशीट के पेज नंबर 30 के पॉइंट नंबर 5.4 के अनुसार, लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल, जो शराब घोटाले में कैश हैंडलर और डिस्ट्रीब्यूटर की भूमिका निभा रहा था, उसने स्वीकार किया है कि उसने शराब के धंधे से कमाए गए भारी मात्रा में बिना हिसाब के कैश को हैंडल और डिलीवर किया. इसमें उस समय के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कहने पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन ट्रेजरर राम गोपाल अग्रवाल के साथ मिलकर की गई डिलीवरी भी शामिल है. पप्पू बंसल के मुताबिक, उसने देवेंद्र डडसेना (आरोपी नंबर 69), कृष्ण कुमार श्रीवास्तव और अन्य बिचौलियों को राजनीतिक और संगठनात्मक इस्तेमाल के लिए कैश ट्रांसफर किया.
चार्जशीट के पेज नंबर 30 के ही पॉइंट नंबर 5.5 के मुताबिक, सौम्या चौरसिया तक घोटाले का पैसा पहुंचाने के साक्ष्य भी जांच एजेंसी को मिले हैं. वहीं पेज नंबर 31 के पॉइंट नंबर 5.5 के अनुसार, अनिल टुटेजा के बेटे यश टुटेजा को भी घोटाले का पैसा मिलने के डिजिटल सबूत ED के हाथ लगे हैं.
चार्जशीट के पेज नंबर 31 के पॉइंट नंबर 5.9 में बताया गया है कि देवेंद्र डडसेना ने राम गोपाल अग्रवाल के कहने पर रायपुर स्थित राजीव भवन में कैश लेने की बात स्वीकार की है. लक्ष्मी नारायण बंसल और निखिल चंद्राकर के बयानों से यह स्पष्ट होता है कि देवेंद्र डडसेना शराब के धंधे से होने वाली अवैध कमाई को राजनीतिक डिलीवरी के लिए कलेक्शन पॉइंट के रूप में इस्तेमाल कर रहा था.
चार्जशीट के पेज नंबर 32 पर हुआ अवैध पैसे को विदेश भेजने का जिक्र
चार्जशीट के पेज नंबर 32 के पॉइंट नंबर 5.11 के मुताबिक, जांच में यह भी सामने आया है कि बच्चा राज लोहिया ने शराब घोटाले से अरुणपति त्रिपाठी द्वारा कमाए गए अवैध धन को विदेश भेजने और वहां जमा कराने में अहम भूमिका निभाई. उसने दुबई और नीदरलैंड में विदेशी कंपनियों और बैंक खातों को कंट्रोल किया और उपलब्ध कराया. डिजिटल सबूत, ईमेल और बैंक स्टेटमेंट से पता चला है कि वह कई विदेशी कंपनियों का शेयरहोल्डर और कंट्रोलर था, जिनमें अरुणपति त्रिपाठी और उसकी पत्नी के हित जुड़े हुए थे. इन्हीं कंपनियों के जरिए बड़ी मात्रा में अवैध धन जमा किया गया. रिकॉर्ड से यह भी सामने आया है कि बच्चा राज लोहिया ने विदेशी इलाकों से गैरकानूनी फंड भेजने में मदद की, जांच एजेंसी के साथ चुनिंदा जानकारी साझा की और जरूरी रिकॉर्ड छिपाए, जिससे शराब घोटाले की कमाई को भारत के बाहर छिपाने और जमा करने में सहायता मिली.
घोटाले में आबकारी विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
चार्जशीट के पेज नंबर 69 के अनुसार, इस घोटाले में आबकारी विभाग के अधिकारियों की भूमिका बेहद संदिग्ध पाई गई है. जिन अधिकारियों को सरकारी खजाने की रक्षा करनी थी, वही घोटाले के मुख्य किरदार बनकर सरकारी धन के भक्षक साबित हुए. अरुणपति त्रिपाठी के साथ मिलकर 15 जिलों के आबकारी अधिकारियों ने इस घोटाले में सहयोग किया और बदले में भारी कमीशन लिया. पेज नंबर 71 और 72 में दी गई सूची के अनुसार, इन अधिकारियों ने करीब 90 करोड़ रुपए की अवैध उगाही की.
इसके अलावा, ED ने उन चैट्स को भी रिकवर कर चार्जशीट में शामिल किया है, जिन्हें मोबाइल फोन से डिलीट कर दिया गया था. पेज नंबर 88 से यह देखा जा सकता है कि अनवर ढेबर और संजय मिश्रा के बीच करोड़ों रुपए के लेनदेन से जुड़ी चैट्स हुई थीं. इसी तरह कई अन्य अहम सबूत, डिजिटल साक्ष्य और दस्तावेज चार्जशीट के जरिए अदालत के सामने रखे गए हैं. इस तरह इस शराब घोटाले में कई चौंकाने वाले और बड़े खुलासे सामने आए हैं.
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