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Chhattisgarh के इस मंदिर में पुरी धाम की चंदन काठ से बनी मूर्तियां हैं स्थापित, जानें अद्भुत इतिहास

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लटूरिया मंदिर की अद्भुत कहानी

Jagannath Rath Yatra 2025(अजय यादव, बलौदाबाजार) : छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिला स्थित भाटापारा, जिसे धर्मनगरी के नाम से जाना जाता है वह विभिन्न धार्मिक आयोजनों का केंद्र है. यहां 106 साल पुरानी रामलीला, 90 सालों से चल रहा अखंड रामनाम सप्ताह और 122 सालों से अनवरत आयोजित होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा जैसे प्राचीन आयोजन होते हैं. भाटापारा के राम सप्ताह चौक के पास स्थित जगन्नाथ मंदिर, जिसे लटूरिया मंदिर भी कहा जाता है. यहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र महाराज और सुभद्रा देवी की मूर्तियां स्थापित हैं. हर साल आषाढ़ मास की द्वितीया को यहां रथ यात्रा निकाली जाती है. इस साल भी यह रथ यात्रा 27 जून को निकाली जाएगी.

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

हर साल आषाढ़ मास की द्वितीया को यहां से निकाली जाने वाली रथ यात्रा में भाटापारा और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के सैकड़ों लोग शामिल होते हैं. यह रथ यात्रा लटूरिया मंदिर से शुरू होकर शहर के प्रमुख चौक-चौराहों से गुजरते हुए 10-15 किलोमीटर की यात्रा पूरी करती है और वापस मंदिर में भगवान की मूर्तियों की स्थापना होती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के माध्यम से भक्तों के घर दर्शन देने पहुंचते हैं. इस वर्ष रथ यात्रा 27 जून 2025, शुक्रवार को होगी, जहां दोपहर 12 बजे महाआरती और गजामूंग व महाप्रसाद के भोग के बाद 1 बजे रथ यात्रा शुरू होगी.

लटूरिया मंदिर की अद्भुत कहानी

भाटापारा का लटूरिया मंदिर, भगवान जगन्नाथ का एकमात्र मंदिर है, जहां वर्तमान पुजारी जगदीश वैष्णव चौथी पीढ़ी से सेवा कर रहे हैं. 122 साल पहले लटूरिया महाराज ने इस मंदिर की स्थापना की थी. मंदिर में स्थापित भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की चंदन काठ की मूर्तियां उड़ीसा के पुरी, जो चार धामों में से एक है, से लटूरिया दास महाराज द्वारा 610 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर लाई गई थीं. लटूरिया महाराज के बाद भगवान दास महाराज ने मंदिर का कार्यभार संभाला. प्राचीन काल में रथ यात्रा लकड़ी के रथ पर होती थी, लेकिन अब लोहे के रथ में यह परंपरा निभाई जाती है.

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कभी कम नहीं पड़ता भंडारा

कहावत है- ‘जगन्नाथ के भात को, जगत पसारे हाथ को’ अर्थात पुरी की तरह भाटापारा के लटूरिया मंदिर में भी भंडारा प्रसाद कभी कम नहीं पड़ता. भगवान दास महाराज के बाद उनके नाती धन्ना महाराज और अब उनके पुत्र जगदीश वैष्णव पुजारी हैं. यह मंदिर अत्यंत शुभ और सिद्ध माना जाता है, जहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. लटूरिया मंदिर भाटापारा और आसपास के क्षेत्रों में भगवान जगन्नाथ के दर्शन और आशीर्वाद के लिए प्रसिद्ध है.

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