Jan Vishwas Bill: छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में जन विश्वास विधेयक भी ध्वनिमत से पारित हो गया है. सत्र के आखिरी दिन सरकार ने जन विश्वास विधेयक को सदन में पेश किया. इस विधेयक में 8 अधिनियमों के 163 प्रावधानों में संशोधन हुआ है. जन विश्वास विधेयक पारित होने के बाद अब प्रदेश में नागरिकों और कारोबारियों द्वारा छोटी-मोटी त्रुटियां होने पर आपराधिक मुकदमा नहीं होगा. उन्हें सिर्फ जुर्माना देना होगा. यह विधेयक पारित करने वाला छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य है. CM विष्णु देव साय ने इसे विकसित छत्तीसगढ़ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है.
छत्तीसगढ़ में जन विश्वास विधेयक पारित
छत्तीसगढ़ विधानसभा में जन विश्वास विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ. यह विधेयक राज्य में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा. इस ऐतिहासिक विधेयक का उद्देश्य अंग्रेजों के समय से चले आ रहे कई ऐसे कानूनों को संशोधित करना है, जो नागरिकों और कारोबारियों द्वारा की गई छोटी-मोटी त्रुटियों को भी आपराधिक कृत्य की श्रेणी में शामिल थे.
जन विश्वास विधेयक के अहम पहलू
इस विधेयक का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह आम नागरिकों और कारोबारियों द्वारा किए गए छोटे-मोटे तकनीकी उल्लंघनों को आपराधिक श्रेणी से हटाकर जुर्माने (शास्ति) के दायरे में लाता है. इससे अनावश्यक मुकदमेबाजी और अदालतों पर बोझ कम होगा. साथ ही नागरिकों को छोटी गलतियों के लिए आपराधिक मामलों का सामना नहीं करना पड़ेगा. इस विधेयक में छत्तीसगढ़ राज्य के नगरीय प्रशासन विभाग, नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम, और छत्तीसगढ़ सहकारिता सोसायटी अधिनियम से संबंधित 8 अधिनियमों के 163 प्रावधानों में बदलाव किया गया है.
आपराधिक मुकदमे के डर से मुक्ति
इस विधेयक का लक्ष्य उद्यमियों को नियामकीय सूचनाओं से संबंधित देरी के लिए आपराधिक मुकदमे के डर से मुक्ति दिलाना है. अब ऐसे मामलों में केवल प्रशासकीय जुर्माना लगेगा, जिससे व्यापार व्यवसाय में आसानी होगी। विधेयक में छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम 1915 के प्रावधान में भी संशोधन किया गया है. सार्वजनिक स्थल पर शराब के उपभोग के मामले में पहली बार सिर्फ जुर्माना और इसकी पुनरावृत्ति के मामले में जुर्माना और कारावास का प्रावधान किया गया है.
इसी तरह नगरीय प्रशासन विभाग के अधिनियम के तहत मकान मालिक द्वारा किराया वृद्धि की सूचना नहीं दिए जाने के मामले में आपराधिक मामला दर्ज किए जाने के प्रावधान को संशोधित कर अब अधिकतम 1,000 रुपए की शास्ति का प्रावधान किया गया है. इसी तरह किसी सोसायटी द्वारा वार्षिक प्रतिवेदन दाखिल करने के मामले में विलंब की स्थिति में आपराधिक कार्रवाई के प्रावधान को संशोधित कर नाममात्र के आर्थिक दंड में बदल दिया गया है. विशेषकर महिला समूहों के मामलों में इसे और भी न्यूनतम रखा गया है. यदि कोई संस्था गलती से सहकारी शब्द का उपयोग कर लेती थी, तो उसे आपराधिक मुकदमे और दंड के प्रावधान के स्थान पर अब केवल प्रशासनिक आर्थिक दंड का प्रावधान है.
विकसित छत्तीसगढ़ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
CM विष्णु देव साय ने इस विधेयक को विकसित भारत-विकसित छत्तीसगढ़ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लाए गए भारतीय न्याय संहिता की तर्ज पर छत्तीसगढ़ अब मध्य प्रदेश के बाद दूसरा राज्य बन गया है, जिसने जन विश्वास विधेयक पारित किया है. इस विधेयक का उद्देश्य राज्य में रोजगार व्यवसाय को आसान बनाने के साथ-साथ गैर अपराधिक श्रेणी के मामलों में व्यापारियों एवं आम नागरिकों न्यायालयीन मुकदमे से संरक्षित करना और एक सुगम व्यावसायिक एवं जिम्मेदारी पूर्ण वातावरण तैयार करना है. यह विधेयक दंड देने के बजाय व्यवसाय को दिशा देने और ऐसी नीति बनाने में सहायक है, जो व्यावहारिक और संवेदनशील हों.
