Harsh Hatyakand: बिहार में अंतिम चरण में 8 सीटों पर वोटिंग होनी है. तमाम राजनीतिक पार्टियां वोटरों को साधने में जोर-शोर से जुटी हुई है. देश के बड़े नेताओं का रुख इन दिनों बिहार की ओर ही है. लेकिन इस बीच बिहार में हुई एक घटना ने जनता का मूड बदल दिया है और इसका असर अंतिम चरण के वोटिंग पर पड़ सकती है. दरअसल, पटना लॉ कॉलेज में सोमवार को हॉकी स्टिक, लोहे की रॉड, ईंट और डंडों से 10 से अधिक अज्ञात लोगों ने अंतिम वर्ष के छात्र की पीट-पीटकर हत्या कर दी.
मृतक हर्ष राज बीएन कॉलेज में फंक्शनल इंग्लिश वोकेशनल कोर्स का स्नातक छात्र था. पुलिस के अनुसार, परीक्षा देकर जैसे ही वह बाहर आया, लॉ कॉलेज परिसर के ऑडिटोरियम के पास 10 से अधिक लोगों ने उस पर हमला कर दिया, जिसमें 22 वर्षीय छात्र के सिर में गंभीर चोट आई. हालांकि, मुख्य आरोपी चंदन यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है. बिहार सरकार का कहना है कि इस मामले में हम किसी को नहीं बख्शेंगे. अगर इस मामले को देखें तो मृतक छात्र और आरोपी की जाति राजनीतिक रूप से बहुत जागरूक है. ऐसे में हर्ष हत्याकांड का मामला कम से कम 3 सीटों पर अपना प्रभाव छोड़ सकता है. इसी तरह तेजस्वी का मुस्लिम आरक्षण पर बयान भी मुद्दा बन सकता है.
हर्षराज हत्याकांड पर राजनीति तय
बता दें कि छात्र नेता हर्षराज का सियासी कनेक्शन तगड़ा रहा है. हर्षराज बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के बेहद करीबी बताए जाते थे. अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी हर्ष को अपना मुंहबोला भाई मानती थी. भूमिहार जाति के हर्ष शाम्भवी चौधरी के लिए समस्तीपुर में चुनाव प्रचार के दौरान देखे गए थे. हर्षराज पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ के चुनाव की तैयारी भी कर रहे थे. पिछले साल पटना के मिलर हाई स्कूल में डांडिया नाइट का आयोजन हर्ष ने करवाया था.इस आयोजन में पटना विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्र शामिल हुए थे. इसी कार्यक्रम में पटेल और जैक्सन हॉस्टल के छात्रओं की हर्षराज के बाउंसर के साथ मारपीट हो गई थी. जिसमें एक छात्र का सिर फट गया था.
इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी चंदन यादव ने स्वीकार किया है कि मिलर हाई स्कूल में डांडिया नाइट में हुए झगड़े का बदला लेने के लिए हर्ष को मारा गया. गिरफ्तार चंदन यादव पटना कॉलेज में बीए फाइनल ईयर का छात्र है और जैक्सन हॉस्टल में रहता है. वारदात के दूसरे दिन से पटना में बवाल जारी है. पुलिस ने हालात को काबू में करने के लिए प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज भी किया था.
भूमिहार बनाम यादव!
साहब ये बिहार है. यहां हर चीज में कनेक्शन ढूंढ लिया जाता है. इस मामले में भी एक कनेक्शन सामने आया है वो है जातियों का. राज्य की राजनीति में जातियों के संघर्ष की कहानी बहुत लंबी है. बिहार में दशकों से अगड़ी जाति की कमान भूमिहारों के हाथ में रहती थी तो पिछड़ों की कमान यादव संभालते रहे हैं. हालांकि अब यह सब बहुत पुरानी बात हो चुकी है. जातिगत संघर्ष में पिछड़ों का नेतृत्व करने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के साथ अब तमाम सवर्ण विशेषकर भूमिहार भी है. और कई संसदीय सीटों पर भूमिहारों ने आरजेडी को भी वोट दिया है. हो सकता है कि हर्षराज हत्याकांड के बाद भूमिहार एक बार फिर आरजेडी से अपना नाता तोड़ लें. अंतिम चरण का मतदान एक जून को होने वाला है. चूंकि आरजेडी को यादवों की पार्टी माना जाता है इसलिए हो सकता है कि आरजेडी को भूमिहारों के बोट में मिले. इसी तरह बीजेपी को एक दो सीटों पर कुछ यादव वोट मिलने की उम्मीद थी वो भी अब संकट में पड़ सकता है.
इन तीन सीटों पर पड़ेगा असर
वैसे तो सातवें चरण में आठों सीटों पर भूमिहार और यादव वोटर्स का वोट है. जहानाबाद, बक्सर और आरा में भी भूमिहार वोटरों की संख्या अच्छी खासी है. मुख्य रूप से इन तीन सीटों पर हर्षराज हत्याकांड का असर पड़ सकता है.
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काराकाट
भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह के काराकाट लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद से यह निर्वाचन क्षेत्र न केवल और सुर्खियों में आ गया बल्कि मुकाबला भी कांटे का हो गया है. सिंह की उम्मीदवारी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पारंपरिक समीकरणों को बिगाड़ दिया है. अपनी ‘स्टार’ अपील पर भरोसा करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लेने वाले सिंह को इसकी कीमत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निष्कासन के तौर पर चुकानी पड़ी है. हालांकि, हर्षराज हत्याकांड के बाद यहां के करीब 50 हजार भूमिहार वोटरों का रुख कुशवाहा की ओर जा सकता है. उपेंद्र कुशवाहा यहां से राजग उम्मीदवार हैं.
पाटलिपुत्र
बिहार की पाटलिपुत्र लोकसभा सीट लालू यादव के लिए नाक का सवाल बन गई. अपनी बेटी मीसा भारती को जीत दिलाने के लिए लालू यादव ने पूरी ताकत झोंक दी. लेकिन हर्षराज हत्याकांड से यहां के भूमिहार वोटरों का राजद से मन मुटाव तय माना जा रहा है. एक बार फिर यहां से राम कृपाल यादव चुनाव जीत सकते हैं.
जहानाबाद
जहानाबाद वह सीट है जहां हर्षराज हत्याकांड का सबसे अधिक प्रभाव पड़ने की उम्मीद की जा रही है. दरअसल जहानाबाद से एनडीए की ओर जेडीयू चुनाव लड़ रही है. जहानाबाद में करीब 17 परसेंट भूमिहार वोटर्स हैं. इसके बावजूद नीतीश कुमार ने यहां से 2019 में ही जदयू ने अपनी सीटिंग सांसद चंदेश्वर प्रसाद को उतारा,जो चंद्रवंशी समाज से आते हैं. वहीं राजद ने भी कोई फेर बदल नहीं करते हुए पूर्व सांसद सुरेंद्र यादव को ही चुनावी में उतारा. ये वोटर्स अब जेडीयू की ओर जा सकते हैं.