अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने के बावजूद पूर्णिया लोकसभा सीट पप्पू यादव (Pappu Yadav) की मुट्ठी से फिसलती नजर आ रही है. लालू यादव की पार्टी राजद ने पूर्णिया सीट से अपनी उम्मीदवार बीमा भारती को मैदान में उतारा है. इसके जवाब में पप्पू यादव ने कहा है कि वह दुनिया छोड़ देना पसंद करेंगे लेकिन पूर्णिया के लोगों को कभी नहीं छोड़ेंगे. हालांकि,अब पप्पू यादव के स्वर बदले नजर आ रहे हैं. उन्होंने लालू यादव से अपील की है कि एक बार इस पर विचार किया जाना चाहिए. पप्पू यादव ने कहा,”पूर्णिया से दूर जाना आत्महत्या करने जैसा होगा. मैंने अपनी कमाई के पूरे 40 साल बीजेपी को रोकने में लगा दिए हैं और अब मैंने खुद को कांग्रेस के लिए समर्पित कर दिया है. अब यह करना है.फैसला कांग्रेस को करना है. मैं पूर्णिया से कभी चुनाव नहीं हारा और न ही जनता ने मुझे हराया है.”
पूर्णिया के लोग मुझे अपना मानते हैं: पप्पू यादव
पप्पू यादव ने भी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के समर्थन पर भरोसा जताते हुए कहा, “उन्हें मुझ पर भरोसा है. फैसला उनका है.” पप्पू यादव ने कहा, “लालू यादव मेरे लिए एक सम्मानित नेता हैं.” पिछले एक साल से वह ‘प्रणाम पूर्णिया आशीर्वाद यात्रा’ के बैनर तले पूर्णिया का दौरा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “पूर्णिया के लोग मुझे अपना मानते हैं. वे मुझे आशीर्वाद देना चाहते हैं.”
पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया और पूर्णिया सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई. उन्होंने बिहार को अपनी मातृभूमि बताते हुए खुद को कांग्रेस का वफादार सिपाही बना लिया. लंबे समय तक पूर्णिया का प्रतिनिधित्व करने वाले पप्पू यादव को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब आरजेडी ने बीमा भारती को पूर्णिया से उम्मीदवार बनाया. हालांकि, अब पप्पू यादव ने अपनी तुलना लालू यादव के तीसरे बेटे से की है.
पूर्णिया पर इतना जोर क्यों दे रहे हैं पप्पू यादव?
पूर्णिया लोकसभा सीट पर लगभग 18 लाख मतदाता हैं, जिनमें 9 लाख से अधिक महिला और 8 लाख से अधिक पुरुष मतदाता हैं. धार्मिक रूप से इसमें लगभग 60% हिंदू और 40% मुस्लिम मतदाता शामिल हैं. लगभग 700,000 मतदाता मुस्लिम हैं. इस सीट में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जहां कोढ़ा, बनमनखी और कसबा मुस्लिम बहुल हैं. ओबीसी और एससी/एसटी मतदाताओं का संयोजन 500,000 से अधिक है. यादव वोटों की संख्या लगभग 250,000 है, और लगभग 300,000 सवर्ण मतदाता हैं, जिनमें मुख्य रूप से राजपूत और ब्राह्मण हैं. पिछले कई सालों से पप्पू यादव का यह सीट रणक्षेत्र रहा है. पप्पू यादव अब किसी भी हाल में यह सीट नहीं छोड़ना चाहते हैं.