Nalanda University: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार के राजगीर स्थित नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का उद्घाटन किया. इस दौरान बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे. पीएम मोदी ने कहा कि नालंदा इस सत्य का उद्घोष है कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकती.
उद्घाटन के बाद ये बोले पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा, “हम सभी जानते हैं कि नालंदा कभी भारत की परंपरा और पहचान का जीवंत केंद्र हुआ करता था. शिक्षा को लेकर यही भारत की सोच रही है. शिक्षा ही हमें गढ़ती है, विचार देती है और उसे आकार देती है. प्राचीन नालंदा में बच्चों का प्रवेश उनकी पहचान, उनकी राष्ट्रीयता को देख कर नहीं होता था. हर देश, हर वर्ग के युवा हैं यहां पर. नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए परिसर में हमें उसी प्राचीन व्यवस्था को फिर से आधुनिक रूप में मजबूती देनी है और मुझे ये देख कर खुशी है कि दुनिया के कई देशों से आज यहां कई विद्यार्थी आने लगे हैं.”
“नालंदा केवल एक नाम नहीं है, नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है, नालंदा एक मूल्य है, गौरव है, गाथा है.”- पीएम मोदी #Bihar #NalandaUniversity #BJP #PMModi #VistaarNews pic.twitter.com/dUYJPERDjQ
— Vistaar News (@VistaarNews) June 19, 2024
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “मुझे तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण करने के बाद पहले 10 दिनों में ही नालंदा आने का अवसर मिला है. यह मेरा सौभाग्य तो है ही, मैं इसे भारत की विकास यात्रा के एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं. नालंदा केवल एक नाम नहीं है. नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है. नालंदा एक मूल्य है, मंत्र है, गौरव है, गाथा है. नालंदा इस सत्य का उद्घोष है कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकती.”
सीएम नीतीश ने अब्दुल कलाम को किया याद
वहीं, सीएम नीतीश कुमार ने इस अवसर पर दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को याद किया है. उन्होंने कहा कि पुराने नालंदा यूनिवर्सिटी में देश के ही नहीं दुनिया की अनेक जगह के लोग आकर पढ़ते थे लेकिन दुर्भाग्य से ये 1200 ईस्वी में नष्ट हो गया था. 2005 से हम लोगों को काम करने का मौका मिला तब से हमने बिहार के विकास का काम शुरू किया. 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम बिहार आए थे और उन्होंने अपने संबोधन में नालंदा यूनिवर्सिटी को फिर से स्थापित करने की बात की थी.
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गौरतलब है कि नालंदा यूनिवर्सिटी की स्थापना 450 ई. में गुप्त सम्राट कुमार गुप्त प्रथम ने की थी. इसे बाद में हर्षवर्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण मिला. विशेषज्ञों के अनुसार, 12वीं शताब्दी में इस्लामी आक्रमणकारियों ने नालंदा यूनिवर्सिटी को नष्ट कर दिया था.