Chhattisgarh News: सरगुजा जिले के एकलव्य आवासीय विद्यालयों की लचर व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है. एक महीन के भीतर सरगुजा जिले के दो आवासीय एकलव्य स्कूल के स्टूडेंट अपनी समस्या बताने स्कूल से पैदल ही निकल गए. इसी कड़ी में सोमवार को मैनपाट के कमलेश्वरपुर स्थित स्कूल के बच्चे भी कलेक्टर से मिलने के लिए पैदल चलने लगे और वे 17 किलोमीटर पैदल चले.
इस बीच उन्हें अफसरों ने सात जगहों पर रोककर समझाने की कोशिश की, लेकिन बच्चों का कहना था कि अफसर स्कूल परिसर में आते हैं और ज़ब वे उन्हें स्कूल की समस्या बताते हैं तो प्रभारी प्राचार्य के द्वारा डांटा जाता है. साथ ही व्यवस्था में कोई सुधार भी देखने नहीं मिलता है, आलम यह है कि अगले महीने मार्च में छात्रों की परीक्षा होने वाली है, लेकिन उन्हें अभी तक किताबें नहीं मिल सकी हैं.
कलेक्टर और विधायक ने की छात्रों से बातचीत
दरअसल कलेक्टर से मिलने के लिए निकले बच्चों को अंबिकापुर जिला मुख्यालय तक आने के लिए कुल 60 किलोमीटर चलना पड़ता, इसे देखकर मौके पर तहसीलदार, एसडीएम और दूसरे अफसर पहुंचे. विधायक राम कुमार टोप्पो ने भी बच्चों से बातचीत की, लेकिन बच्चों ने विधायक की भी बात मानने से मना कर दिया है. इसके बाद अफसरों ने बच्चों की बात कलेक्टर संदीपन राव भोस्कर से कराई. इस दौरान छात्रों ने कहा कि वे उनसे मिलकर अपनी बात रखना चाहते हैं. इसके बाद कलेक्टर ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी समस्या दूर कर ली जाएगी और संबंधित अफसरों व स्कूल के प्रभारी प्राचार्य पर कार्रवाई होगी, लेकिन स्टूडेंट यहां भी नहीं माने.
तब कलेक्टर ने कहा कि वे शाम पांच बजे उनसे मिलने आएंगे, लेकिन बच्चो ने भी कह दिया कि वे अभी जहां हैं, उनके आने तक वहीं रहेंगे क्योंकि हमेशा उनकी आवाज़ को दबाया जाता है. वहीं इसके बाद छात्रों को आवासीय विद्यालय तक वापस ले जाने के लिए अफसरों ने एक बस बुलाई.
बच्चें पहले भी कर चुके हैं शिकायत
एक सप्ताह पहले भी सकालो स्थित एकलव्य आवासीय स्कूल के बच्चे पैदल ही कलेक्टर से मिलने कलेक्ट्रेट पहुंच गए थे. तब बच्चों ने साफ पानी नहीं मिलने, प्राचार्य और हॉस्टल अधीक्षक के खिलाफ दुर्व्यवहार की शिकायत की थी.
आदिवासी बच्चों के लिए संचालित हो रहा स्कूल
बता दें कि एकलव्य आवसीय स्कूल आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए संचालित किया जाता है. जहां बच्चों के रहने से लेकर पढ़ाई तक की सुविधा होती है. तत्कालीन कलेक्टर कुंदन कुमार ने सभी हॉस्टल का जायजा लेकर दुरुस्त करने का निर्देश दिया था और अफसरों को रात में हॉस्टल में पहुंचकर बच्चों की समस्या देखने कहा था लेकिन उनके तबादला के बाद अब यह सब बंद हो गया है और हॉस्टलो से बुनियादी सुविधाओं में कमी की शिकायत आती रहती है.