Bastar: छत्तीसगढ़ के बस्तर पर बनी फिल्म बस्तर द नक्सल स्टोरी 15 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई. फिल्म में छत्तीसगढ़ की जनता और खासकर महिलाओं की तकलीफों को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की गई है. 76 CRPF जवानों की हत्या, नेताओं की मिलीभगत, नक्सल प्रभावित इलाकों में सुनियोजित षडयंत्र को बड़ी ही बेबाकी से ‘बस्तर: द नक्सल स्टोरी’ में दिखाया गया है.
फिल्म देखने के बाद लोगों ने क्या बोले लोग?
बस्तर द नक्सल स्टोरी फिल्म देखकर रायपुर की रहने वाली पूजा साहू ने बताया कि सच्ची घटना पर आधारित फिल्म बनते रहना चाहिए और बस्तर स्टोरी बहुत अच्छी मूवी है. बस्तर की घटनाओं को बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया गया है. फिल्म में काम करने वाले सभी कलाकारों ने अच्छा काम किया है. केरल स्टोरी की तरह यह भी मूवी सुपर डुपर हिट होगी.
छत्तीसगढ़ के बस्तर में हुए नक्सली घटनाओं की चर्चा देश भर में है. लोग अक्सर बस्तर को जानना और समझना चाहते हैं, लेकिन बस्तर के नाम पर एक काला धब्बा नक्सलवाद है. अब बस्तर की तस्वीर लगातार बदल रही है. लेकिन एक समय ऐसा था जब बस्तर में कभी 35 जवानों की मौत की घटना, तो कभी 76 जवानों की मौत की घटनाएं आम हो चुकी थी. उन तमाम घटनाओं को संजोकर एक फिल्म बनाई गई जिसका नाम बस्तर द नक्सल स्टोरी रखा गया.
बस्तर: द नक्सल स्टोरी में अदा शर्मा निभा रही किरदार
बस्तर: द नक्सल स्टोरी फिल्म में अभिनेत्री अदा शर्मा एसपी की भूमिका निभा रही हैं. डायरेक्टर सुदिप्तों सेन और प्रोड्यूसर विपुल अमृतलाल शाह ने बताया है कि 7 साल के घटनाक्रम पर यह फिल्म बनी है. इस फिल्म के लिए काफी रिसर्च किया गया है. फिल्म देखने के बाद नक्सल को लेकर सच्चाई पता चल सकेगी. साथ ही अभिनेत्री अदा शर्मा ने इस फिल्म को लेकर कहा है कि इस फ़िल्म को करना मेरे लिए अच्छा अनुभव था. द केरला स्टोरी से अलग इस फिल्म में किरदार है.
इस फिल्म में नक्सलियों द्वारा CRPF जवानों को मारने की दिल दहला देने वाली झलक है, इसके अलावा फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से JNU के छात्रों द्वारा देश के जवानों की मौत का जश्न मनाया जाता है. इंसानों को काटने के सीन से लेकर राष्ट्रगान गाने पर बच्चों को जलाए जाने, राजनीतिक हस्तियों की गोली मारकर हत्या करने और निर्दोष लोगों को फांसी पर लटकाए जाने के सीन्स तक ने इस फिल्म को जबरदस्त बना दिया है.
2007 से लेकर 2013 तक बस्तर में हुऐ घटनाओं का जिक्र
बात दें कि फिल्म में बस्तर के कई घटनाओं का जिक्र किया गया है जो 2007 से लेकर 2013 के बीच घटित हुई है. इसमें सबसे पहले 2010 में हुए 76 जवानों शहीद होने की कहानी है, इसके अलावा 2013 में घटित झिरम घटना का भी जिक्र है. फिल्म के एक सीन में देखा जा सकता है जिसमें नक्सली एक नेता को घेर कर दन-दनादन गोलियां चला रहे हैं.