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हथियार फेंक लिए सात फेरे लेकिन विस्फोट ने छीन ली खुशियां, बस्तर के जंगलों में गूंजती रहेगी शहीद सोमड़ू और जोगी की प्रेम कहानी

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शहीद DRG जवान सोमड़ू वेट्टी की प्रेम कहानी

Bijapur IED Blast: 6 जनवरी 2025 की दोपहर करीब 2 बजे नक्सलियों ने कायराना हरकत करते हुए बीजापुर में जवानों के वाहन को IED ब्लास्ट कर उड़ा दिया. इस विस्फोट में न सिर्फ 8 जवान और एक ड्राइवर शहीद हुए बल्कि कई ऐसी कहानी राख में दब गईं, जिन्हें अभी पूरा होना था. ऐसी ही एक कहानी है शहीद जवान सोमड़ू वेट्टी और जोगी की. दोनों माओवादी कैडर के थे. प्यार हुआ तो हथियार छोड़ आत्मसमर्पण कर दिया. खुशियों भरा जीवन शुरू ही हुआ था कि एक विस्फोट ने सब छीन लिया.

गोलियों की गूंज के बीच उठे प्रेम के मधुर सुर

बस्तर के घने जंगलों में किसी की गूंज सुनाई देती है तो वह है बंदूक और गोलियां. साजिशों की सरगर्मी और खूनी इरादों के बीच अगर कहीं हंसी-खुशी भरे जीवन के बीज फूटते हैं तो वह किसी चमत्कार से कम नहीं होता है. ऐसा ही चमत्कार तब हुआ जब माओवादी संगठन के कैडर से जुड़े सोमड़ू वेट्टी और जोगी को एक-दूसरे से प्रेम हो गया.

मौत के साए में मुलाकात

बस्तर के जंगलों के अंदर जहां कदम-कदम पर मौत का साया होता है, वहां माओवादी संगठन से जुड़े इन दोनों की मुलाकात हुई. जोगी की हंसी और सोमड़ू की संजीदगी के बीच अनकहा रिश्ता बन गया. दोनों की प्रेम कहानी शुरू ही हुई थी कि बंदूकों के बीच किसी ने धीरे से कह दिया- ‘संगठन से ऊपर कुछ नहीं है.’ इसके बाद भी दोनों नहीं माने.

लिए 7 फेरे और फेंक दिए हथियार

सोमड़ू और जोगी ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद एक दिन सात फेरे लिए और सात जन्मों तक एक-दूसरे का साथ निभाने का वचन लिया. नक्सली संगठन को दोनों का यह रिश्ता रास नहीं आया और फरमान सुनाया गया- ‘व्यक्तिगत जीवन संगठन की विचारधारा के खिलाफ है.’ दोनों को अलग करने लाख कोशिश की गई, जिसके बाद दोनों ने सबसे बड़ा कदम उठाते हुए आत्मसमर्पण कर दिया.

समाज की मुख्यधारा में जुड़े

सोमड़ू और जोगी आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ गए. बाद में सोमड़ू पुलिस में आरक्षक बन गया और जोगी ने एक गृहिणी का जीवन शुरू किया. दोनों नक्सलवाद के अंधेरे से निकलकर एक नई रोशनी देखने लगे.

विस्फोट ने सबकुछ बिखेरा

सोमड़ू और जोगी अपने खुशियों भरे संसार में आगे बढ़ ही रहे थे कि नक्सलियों ने एक विस्फोट कर सब छीन लिया. 6 जनवरी 2025 की दोपहर जब सोमड़ू अपने साथियों के साथ नक्सली ऑपरेशन से लौट रहा था, तब नक्सलियों ने वाहन पर IED ब्लास्ट कर दिया. इस विस्फोट में सोमड़ू समेत 8 जवान और एक ड्राइवर शहीद हो गए.

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स्तब्ध रह गई जोगी

जोगी तक जैसे ही विस्फोट की खबर पहुंची तो वह स्तब्ध रह गई. उसकी आंखों से आंसूओं की धारा बहने लगी, तो थम ही नहीं रही थी. वह शून्य में देख रही थी, जैसे उसके भीतर की सारी दुनिया उजड़ चुकी हो. लेकिन जोगी जानती है कि सोमड़ू की शहादत केवल एक मौत नहीं है. यह नक्सलवाद के खिलाफ उसके संघर्ष का अंतिम अध्याय था.

बस्तर के जंगलों में गूंजती रहेगी प्रेम कहानी

सोमड़ू चला गया लेकिन उसकी और जोगी की कहानी अमर है. वह न केवल जोगी के दिल में जिंदा है, बल्कि हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है जो हिंसा और घृणा के बीच प्रेम और शांति का सपना देखता है. बस्तर के जंगलों में यह प्रेम कहानी अधूरी होकर भी हमेशा गूंजती रहेगी. सोमड़ू की शहादत ने यह साबित किया कि प्रेम केवल जीने का नाम नहीं है, बल्कि सही मायनों में प्रेम वह है जो बलिदान में भी जीता है. जब कभी बस्तर के जंगलों में कोई चुपचाप प्रेम की बात करेगा तो सोमड़ू और जोगी की कहानी वहां गूंजेगी – एक प्रेम, जो अधूरा रहकर भी पूरा था.

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