Bilaspur: इंसान और जानवर की दोस्ती की कहानी तो सदियों से सुनते आ रहे होंगे, लेकिन एक इंसान और मगरमच्छ की दोस्ती की कहानी लोगों को रोमांचित कर देती है. सीताराम महाराज और मगरमच्छों की दोस्ती ऐसी कि बुलाने से मगरमच्छ दौड़े चले आते हैं, जो देखने पर मन को रोमांचित कर देता है. पहले सीताराम महाराज, मगरमच्छों के मुंह में हाथ भी डाल देते थे.
मगरमच्छ और इंसान में गजब की दोस्ती
छत्तीसगढ़(Chhattisgarh) के पहले क्रोकोडाइल पार्क की है. यह पार्क जांजगीर-चाम्पा जिले के अकलतरा क्षेत्र के कोटमीसोनार(kotmysonar) में स्थित है, जहां सीताराम महाराज और मगरमच्छों की दोस्ती सुर्खियों में है. सीताराम महाराज के बुलाने से मगरमच्छ दौड़े आते हैं. सीताराम महाराज ने मगरमच्छों का नाम भी रखा है, इसे देखकर लोग रोमांचित हो जाते हैं. सीताराम महाराज, मगरमच्छों को कल्लू, भुरूवा, सहित अनेक नाम से बुलाते हैं और मगरमच्छ दौड़े आते हैं. इसे देखकर पर्यटक खुश हो जाते हैं. इस तरह लोग, सीताराम महाराज और मगरमच्छों की दोस्ती की खूब चर्चा करते हैं. सीताराम महाराज और मगरमच्छों की दोस्ती ऐसी है कि मगरमच्छों के मुंह में सीताराम महाराज हाथ डाल देते थे. बहुत पहले मगरमच्छ ने कोई जानवर समझकर सीताराम महाराज के हाथ को काट लिया था, लेकिन महाराज का प्रेम मगरमच्छों के लिए कम नहीं हुआ है. मगरमच्छों को अपने बच्चों की तरह मानते हैं और देखभाल करते हैं. सीताराम महाराज की यह अंतिम इच्छा है कि उनके मरने के बाद उनकी लाश मगरमच्छों को खिला दिया जाए. इसके लिए उन्होंने सार्वजनिक घोषणा भी की है. क्रोकोडाइल पार्क के कुछ मगरमच्छों को रायपुर के जंगल सफारी में शिफ्ट कर दिया गया है, जहां उद्घाटन के वक्त सीताराम महाराज ने मगरमच्छों को बुलाया तो वहां मगरमच्छ बाहर आ गए थे. इस नजारे को देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और अन्य नेता सहित मौजूद अधिकारी आश्चर्यचकित हो गए थे और सभी ने सीताराम महाराज की पीठ थपथपाई थी.
ये भी पढ़ें- CG News: साय सरकार के एक साल पूरे, विजय पर्व के रूप में मनाएगी BJP, 13 से 25 दिसंबर तक होंगे कार्यक्रम
हरतरफ हो रही चर्चा
पर्यटक भी सीताराम महाराज(Sita Ram Maharaj) और मगरमच्छों की दोस्ती को देखकर हैरत में पड़ जाते हैं. पर्यटकों ने बताया कि पहले वे इस दोस्ती के बारे सुने थे, लेकिन जब महाराज ने मगरमच्छों को नाम से बुलाया तो मगरमच्छ दौड़े चले आए. इसे देखकर उन्हें बहुत खुशी भी हुई. उनका मानना है कि ऐसा दृश्य उन्होंने पहली बार देखा है. यहां आने वाले पर्यटक सीताराम महाराज के साथ सेल्फी भी खींचाते हैं.
देश का दूसरा सबसे बड़ा क्रोकोडायल पार्क
कोटमीसोनार का क्रोकोडायल पार्क, छग का एकमात्र पार्क है और यह क्रोकोडायल पार्क देश का दूसरा सबसे बड़ा पार्क है. छग सरकार ने 2006 में पार्क का निर्माण कराया था और यह पार्क 100 एकड़ में फैला हुआ है, जहां 3 सौ 90 से ज्यादा मगरमच्छ हैं. सबसे खास बात यह भी है कि यहां बड़ी संख्या में पर्यटकों की भीड़ रहती है. छग के अलावा दूसरे प्रदेशों के पर्यटक मनोरम नजारा और क्रोकोडायल देखने पहुंचते हैं.
कोटमीसोनार के सीताराम महाराज और मगरमच्छों की दोस्ती को कई दशक बीत गए हैं और बदलते वक्त के साथ दोनों में अपनापन बढ़ा भी है. यह सब क्रोकोडायल पार्क में आज भी देखा जा सकता है, जब सीताराम महाराज की एक आवाज पर कई मगरमच्छ दौड़े चले आते हैं. ये देखकर पर्यटकों को भी समझ आ जाता है कि सीताराम महाराज और मगरमच्छों की दोस्ती कितनी गहरी है. सीताराम महाराज ने भी प्रण किया है कि ये दोस्ती वे नहीं तोड़ेंगे और मौत के बाद मगरमच्छों के निवाले बनने में भी उन्हें कोई गुरेज नहीं है.