CG News: सरगुजा जिला स्थित अमेरा कोल माइंस दो महीने के भीतर बंद हो जाएगी क्योंकि अब यहां कोयला उत्पादन के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं हो पाया है. किसानों को मुआवजा और नौकरी भी नहीं मिली है. हालांकि एसईसीएल के अधिकारियों का कहना है कि नौकरी, मुआवजा के लिए जिला स्तरीय पुनर्वास व पुनर्स्थापन कमेटी की पहले मीटिंग होगी, उसके बाद मुआवजा और नौकरी पर निर्णय लिया जाएगा. जिला स्तरीय पुनर्वास व पुनर्स्थापन कमेटी के अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं और एसईसीएल ने कलेक्टर को इसके लिए कई बार पत्र लिखा है लेकिन अब तक कमेटी की बैठक नहीं हो सकी है.
कोल इंडिया द्वारा संचालित अमेरा ओपन कोल माइंस 151 हेक्टेयर जमीन में 2008-10 में शुरू हुई थी. इसके बाद 2016 से लेकर 2023 तक कोल माइंस बंद रहीं. 2023 के मध्य 15 हेक्टेयर जमीन पर इन माइंस को फिर से शुरू किया गया लेकिन अब अधिकृत क्षेत्र से कोयला निकाला जा चुका है ऐसे में कोल इंडिया के द्वारा अब परसोडी गांव में कोयला खनन के लिए 476 एकड़ जमीन अधिग्रहीत करने की तैयारी है जिसके लिए 40 करोड रुपए का मुआवजा निर्धारित किया गया है. वहीं 8.5 करोड रुपए किसानों को दिया जा चुका हैं.
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एसईसीएल का कहना है कि जिन किसानों की जमीन माइंस में चली जाएगी, उन्हें मुआवजे के साथ नौकरी भी मिलेगी. कोल इंडिया के प्रावधान के मुताबिक दो एकड़ जमीन पर एक नौकरी कोल इंडिया की ओर से दी जाएगी. इस तरह परसोड़ी गांव के 273 लोगों को नौकरी देने का लक्ष्य तय किया गया है वहीं दूसरे फेस में कटकोना गांव का 176 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित करने का प्लान है लेकिन परसोड़ी गांव में पहले माइंस शुरू करने की योजना बनाई गई है. कोल इंडिया के प्रावधान के मुताबिक किसानों को बंजर जमीन का 6 लाख रुपए प्रति एकड़ तो असिंचित जमीन का 8 लाख व सिंचित जमीन का 10 लाख रुपए प्रति एकड़ के दर पर मुआवजा दिया जाता है.
अमेरा कोल माइंस से प्रतिदिन 6000 टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है लेकिन इन दिनों मात्र 1000 टन कोयला उत्पादन किया जा रहा है जो आने वाले दिनों में और भी कम हो सकता है वहीं प्रशासन को प्रतिदिन कोयला उत्पादन पर 2 रुपए सीएसआर के तहत दिया जाता है. अब तक इस खदान से सीएसआर के तहत 27 करोड़ रुपए दिया जा चुके हैं. वहीं हर साल 8 करोड़ रुपये के करीब जिला खनिज न्यास मद में दिया जाता है तो करीब 22 करोड रुपए सरकार को रॉयल्टी प्राप्त होता है.
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अमेरा कोल माइंस के सब एरिया मैनेजर एमके चौधरी ने बताया कि एसईसीएल की तरफ से जिला स्तरीय पुनर्वास व पुनर्स्थापन कमेटी की बैठक के लिए कलेक्टर को अब तक 2 साल के भीतर 20 बार पत्र लिखा जा चुका है. कई बार कोल इंडिया के अधिकारी उनसे मुलाकात भी कर चुके हैं लेकिन अब तक कमेटी की बैठक नहीं होने के कारण जमीन अधिग्रहण की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पा रही है. इसके कारण 2 महीने बाद अमेरा कोल माइंस से कोयला का उत्पादन बंद होने की कगार पर है. अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इसे लेकर मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की है लेकिन इस पर पहल नहीं हो पा रही है.
बता दें कि परसोडी गांव के कई लोग कोल माइंस का विरोध भी कर रहे हैं वहीं जानकारों की माने तो स्थानीय लोगों का कहना है कि एसईसीएल के द्वारा अमेरा सहित आसपास के गांव में विकास के कार्य उस तरीके से नहीं किए गए जिसकी उम्मीद कोयला खदान खुलने से पहले लोगों को थी. वहीं एसईसीएल के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने प्रभावित गांवों में कई स्कूलों और स्टेडियमों का निर्माण कराया है तो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एमआरआई मशीन खरीदने के लिए 7 करोड रुपए भी दिए हैं जिससे संभाग के मरीजों का इलाज हो पाएगा.
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लेकिन इन माइंस की वजह से यहां कोल माफिया भी काफी बढ़ गए हैं. उच्च स्तरीय राजनीतिक संरक्षण प्राप्त कोल माफिया यहां काम कर रहे हैं. राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले माफिया यहां कोयला चोरी के धंधे में लगे हुए हैं. हर रोज यहां से कई ट्रक कोयला अवैध तरीके से चोरी कराया जा रहा है. इसकी जानकारी जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी है इसकी वजह से प्रशासन के अफ़सर भी कोल माइंस के एक्सटेंशन को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं. बताया जा रहा है कि स्थानीय विधायक भी कोल माइंस के एक्सटेंशन को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से कार्रवाई तेज करने का आग्रह कर चुके हैं ताकि कोल माइंस के अनवरत चलते रहने से विकास में रूकावट न आए.