CG News: छत्तीसगढ़ राज्य के अंतिम छोर पर शबरी नदी के तट पर बसा कोंटा और आस-पास के 11 गांव कई दशकों से भारी बरसात के दौरान बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं. कई-कई दिनों तक गांवों और नगर के निचले इलाके की बस्तियां डूब जाती हैं. अब बाढ़ के त्रासदी से जनता बेहद परेशान हैं. एक तरफ जहां देशभर में मानसून की एंट्री होने पर खुशी जताई जाती है वहीं प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे कोंटा समेत दर्जनों गांवों की चिंताएं बढ़ने लगती हैं. बाढ़ का खतरा केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश और ओडिशा को भी झेलना पड़ता है. ये पुरा बाढ़ गोदावरी नदी पर बने पोलावरम परियोजना यानी पोलावरम कॉपर डैम के बैक वॉटर से आने वाला खतरा यहां बाढ़ का भव्य रूप ले लेता हैं. सुकमा जिले के कोंटा विकासखण्ड के लगभग 20 हज़ार से ज़्यादा लोग इस बाढ़ से प्रभावित होते हैं.:
क्यों बन रहा पोलावरम परियोजना?
पोलावरम सिंचाई परियोजना एक बहुदेशीय परियोजना है जो विशाखापत्तनम, पूर्वी गोदावरी, पश्चिमी गोदावरी और कृष्णा जिलों के ऊंचे इलाकों में सिंचाई के लाभ प्रदान करने बनाई जा रही हैं. दो के बालों से लगभग 16 लाख हेक्टेयर कृषि जमीन सिंचित हो जाएगी, यानी लगभग पूरे आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से रायलसीमा तक पेयजल की समस्या खत्म हो जाएगी. 12 प्रसर टर्नल कैम्बियम से प्रति टर्नल 80 मेगावाट से 960 मेगावाट बिजली अन्य से सस्ते में मिलते रहेंगे और वहां के उद्योगों को जल और विद्युत आसामी से मिलेगा. कहने का तात्पर्य यह हैं की गोदावरी नदी पर बनने वाले पोलावरम परियोजना से लाभ तो आंध्र प्रदेश को मिलेगा लेकिन उसकी तबाही छत्तीसगढ़ को झेलनी पड़ेगी.
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इन गांवों पर बाढ़ का खतरा
कोंटा से 130 किमी नीचे की ओर गोदावरी नदी पर पापी कुंडलू क्षेत्र में पोलावरम परियोजना का निर्माण काफी तेजी से चल रहा और पूर्ण होने के कगार पर हैं. पोलावरम से छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में पड़ने वाले प्रभाव के अध्ययन रिपोर्ट में यह बात निकलकर सामने आई और डूबान प्रभावित कोंटा क्षेत्र में जल संसाधन विभाग ने मुनारा भी गाड़ दिया गया है. छत्तीसगढ़ शासन ने पोलावरम से संभावित नुकसान का आंकलन करने हाल ही रायपुर की एक निजी कंपनी नानक इंफास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड बिलासपुर से पौने तीन करोड़ रुपये खर्च कर सर्वेक्षण कराया है.
सर्वेक्षण रिपोर्ट राज्य शासन को भेज दी गई है, और कहा जा हैं कि कोंटा के 7 वार्ड समेत ढोंढरा, वेंकटापुरम, पंदीगुड़ा,आसिरगुडा, इंजरम, मुलाकिसोल, जग्गावराम, वंजमगुड़ा, मेट्टागुडा, पेद्दाकिसोली और कट्टमगुडा पूर्ण रूप से डूब जायेंगे. रिपोर्ट में 11 बसाहट क्षेत्र के लगभग 500 से ज्यादा मकान, सात ट्यूबवेल और लगभग 1 लाख़ पेड़ों की जलसमाधि की आशंका जताई गई है. इसमें अकेले 335 मकान कोंटा नगर पंचायत के अंतर्गत हैं. वेंकटापुरम के 20 और ढ़ोढरा के 40 मकान भी डूबेंगें इसके साथ ही सरकारी और निजी भूमि को मिलाकर इलाके की लगभग 1300 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन के डूबने की बात कही गई है.
कितने नदियों का पानी जाता हैं पोलावरम कॉपर डैम
मुख्य रूप से सहायक नदियां जो पोलावरम कापर डैम में जाकर पानी जमता हैं जिसने मंजीरा, प्राणहिता, इंद्रावती और शबरी नदी शामिल हैं. प्राणहिता नदी महाराष्ट्र के वर्धा से, पैनगंगा और वैनगंगा के संगम से बनती है. नदी के कुल औसत वार्षिक प्रवाह में से लगभग 40% प्राणहिता, 20% इंद्रावती, 10% सबरी और बाकी अन्य सहायक नदियों और गोदावरी द्वारा योगदान दिया जाता है. जब डैम पूर्ण रूप से इन नदियों के पानी और बरसात के पानी से भरता है तब बैक वाटर के पानी से कोंटा समेत कई गांव डूब जाते हैं.