CG News: सरगुजा जिले में जल संसाधन विभाग की लापरवाही की वजह से किसानों की खेतों को पानी नहीं मिल पा रहा है वहीं विभाग की जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह से बांध और नहरो में माफिया ने कब्जा कर लिया है. यहां अर्चना डेम व सकालो के डबरी डेम के साथ उसकी नहरों में माफिया ने कब्जा कर लिया है. नहरों में कब्जा करने के बाद उसे बेच दिया गया. जबकि हजारों एकड़ खेतों को सिंचित करने के लिए डेम का निर्माण किया गया लेकिन निर्माण के बाद नहर से किसानों को सिर्फ एक साल पानी मिला इसके बाद नहर से खेत में कभी पानी नहीं आया और अब नहर ही गायब हैं.
करोड़ों की बांध और नहर पर माफियाओं का कब्जा
जल संसाधन विभाग के द्वारा 20 साल पहले अंबिकापुर से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित किशनपुर में अर्चना बांध का निर्माण कराया गया और साथ ही साथ 10 किलोमीटर लंबी अलग-अलग नहरों का निर्माण भी किया गया ताकि आसपास के चार गांव से अधिक के किसानों के खेतों में सिंचाई के लिए पानी पहुंच सके और बरसात के साथ ही साथ रवि के मौसम में गेहूं व सब्जियों की खेती हो. इसमें सरकार के करीब 5 करोड़ रुपए खर्च हुआ, जब इसका निर्माण शुरू हुआ तब किसानों को उम्मीद था कि उनके खेत सिंचित हो जाएंगे और उनका आय भी बढ़ेगा लेकिन निर्माण पूरा होने के बाद सिर्फ एक बार नहर में पानी आया उसके बाद नहर में पानी आना बंद हो गया। स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत जल संसाधन विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों से कई बार की लेकिन सुनवाई नहीं हुई और खेतों में पानी नहीं पहुंच सका तो इसके बाद सुखी नहर पर माफियाओं की नजर पड़ी. माफिया ने नहर की जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया लेकिन इसके बाद भी जल संसाधन विभाग के जिम्मेदारों की नींद नहीं खुली.
नहर निर्माण के बाद सिर्फ कागजो में ही नहर का मरम्मत किया गया, जबकि नहर मरम्मत के नाम पर हर साल लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर काम ही नहीं किया जा रहा है यही वजह है कि नहर में पानी नहीं चल रहा है और जगह-जगह नहर टूट गया है नहर अनुपयोगी होता दिखाई दिया तो माफियाओं ने कब्जा किया वहीं कई किसानों ने खेती करनी शुरू कर दी, जबकि किसानों को जमीन का मुआवजा भी दिया गया था.
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गहरी नींद में सो रहे जिम्मेदार
वही जब इसकी जानकारी विस्तार न्यूज़ की टीम ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की दी तो विभाग के अधिकारियों ने इंजीनियर के साथ कर्मचारियों को मौके पर भेजा, मौके पर पहुंचे इंजीनियर और कर्मचारियों में भी कब्जा को देखा और कहा कि वाकई में यहां पर कब्जा हो रहा है लेकिन वे इसका जवाब नहीं दे सके कि आखिर एक तरफ नहर पर कब्जा होता रहा है तो जिम्मेदार आखिर गहरी नींद में कैसे सोते रहे.
किसानों के खेत तक नहीं पहुंचा रहा पानी
स्थानीय लोगों का कहना है कि बांध में नहर निर्माण के बाद कभी मरमत नहीं किया गया वहीं निर्माण भी बेहद घटिया तरीके से किया गया था इसकी वजह से नहर के कई फाल टूट गए, अधिकारियों ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया था और मरम्मत के लिए टूटे हुए निर्माण का फोटो भी क्लिक किया था लेकिन उसके बाद मौके मरम्मत नहीं हुआ और खेत में पानी नहीं पहुंच पाया और न ही नहर सुरक्षित रह पाई.
बहरहाल देखने वाली बात होगी कि आखिर जल संसाधन विभाग नहर में किए गए अतिक्रमण को हटाने के लिए किस तरीके की कार्रवाई करती है क्योंकि यहां पर कई माफिया ने कब्जा किया हुआ है और उनकी दबंगई के सामने विभाग के कर्मचारी खुद को बेबस पाते हैं। वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र के किसानों को बांध और नहर का फायदा मिल सके. इसके लिए इस बांध का तत्काल मरम्मत कराए जाने की जरूरत है ताकि किसानों के खेत में तक पानी पहुंच सके और जिस उद्देश्य से बांध के साथ नहर का निर्माण किया गया था वह पूरा भी हो सके.