– नितिन भांडेकर
CG News: छत्तीसगढ़ में कल फिर से उत्साह के साथ दीपोत्सव देखने मिलेगा क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार कल देऊउठनी (एकादशी ) मनाया जायेगा. अधिकांशतः इसे यहाँ छोटी दिवाली भी कहते हैं.
देवउठनी एकादशी पर होता है तुलसी विवाह
हिंदू धर्म के अनुसार सृष्टि के पालनहार श्रीहरि भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी पर चार महीने की अपनी योगनिद्रा से जागते हैं. भगवान विष्णु के जागने पर इस दिन तुलसी विवाह किया जाता है. भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप संग तुलसी विवाह विधि-विधान के साथ किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह करना बहुत ही शुभ और मंगलकारी माना जाता है. देवउठनी एकादशी पर सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप के साथ तुलसी जी का विवाह कराने पर सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
खैरागढ़ बाँके बिहारी मंदिर के पंडित कौशल किशोर तिवारी ने देउठनी एकादशी का शुभ मुहर्त कल रात 8 बजकर 5 मिनट में बताया है साथ ही उन्होंने पौराणिक मान्याताओं के अनुसार इस दिन तुलसी विवाह किये जाने की जानकारी दी.
गन्ने से सजा बाजार
प्रदेश में तुलसी पूजा कल मनाया जायेगा जिसके चलते देउठनी के एक दिन पहले ही खैरागढ़ जिले के ग्राम कटंगी खुर्द के गन्ने की खेती करने वाले किसान अपनी गन्ने की फसल काट कर बाजार में बेचने पहुंच चुके हैं. गन्ने के व्यापारी ने हमारे सवांददाता कों बताया की एक दिन में वो 20 से 25 हजार के गन्ने बिक्री कर लेते हैं. वहीं गन्ने की खरीदी करने पहुँचे खैरागढ़ के स्थानीय लोगों ने बताया की माँ तुलसी की पूजा होती है जिसमें मंडप तैयार किया जाता है जिसमें चार गन्ने का उपयोग किया जाता है. गन्ने का विशेष महत्व होता है साथ पीढ़ी कंद का भी भोग लगाया जाता है.