CG News: सरगुजा इलाके में इन दिनों मानसून की बारिश नहीं होने से किसान परेशान हैं. वहीं किसानों को नहरों से भी पानी नहीं मिल पा रहा है. इससे किसान चिंतित दिखाई दे रहे हैं, लेकिन जल संसाधन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से नहर की मरम्मत ठीक तरीके से नहीं की गई है. किसानों के खेतों तक नहर का पानी नहीं पहुंच पा रहा है और किसान धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं.
घुनघुट्टा डेम अंबिकापुर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जहां नहरों से बरसात के मौसम में किसानों को सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है, लेकिन इस साल किसानों को सबसे अधिक नहर के पानी की जरूरत पड़ रही है. क्योंकि अब तक ठीक से बारिश नहीं हुई है. ऐसे में किसान धान की रोपाई के लिए नहर के पानी पर निर्भर हो गए हैं, लेकिन खेतो तक पानी नही पहुंच पा रहा है.
जबकि अधिकारी दावा करते हैं कि उन्होंने बरसात से पहले नहर की मरम्मत कराई थी लेकिन अब नहरों के मरम्मत कार्य की पोल खुल गई है. जिन नहरों का मरम्मत हुआ है वहां की मिट्टी आकर नहर में गिर रही है तो दूसरी तरफ माइनर नहरों का किनारा टूट रहा है. इसकी वजह से पोड़ीखुर्द और उसके आसपास के कई गांव में किसानों को पानी नहीं मिल रहा है. किसानों का कहना है कि उनकी धान का नर्सरी तैयार है और बारिश नहीं होने के कारण वे नहर से खेतों को सिंचित कर रोपाई कर रहे हैं, लेकिन कई दिनों से नहर में पानी नहीं आ रहा है. वहीं नहर के अंतिम छोर के गांव में अब तक पानी नहीं पहुंचने से किसानों में गुस्सा है.
घुनघुट्टा डेम की नहरों के मरम्मत में हर साल करोडो रुपए खर्च किए जाते हैं लेकिन अधिकारियों के द्वारा निर्माण कार्यों में ईमानदारी नहीं बरती जाती है और मरम्मत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है. जिसके कारण कई गांव के किसान परेशान रहते हैं.
बता दें कि श्याम घुनघुट्टा जलाशय का निर्माण वर्ष 1975 में कराया गया था. घुनघुट्टा जलाशय से दो बड़ी नहरें निकलती हैं. राइट बैंक कैनाल से 5135 हेक्टेयर कृषि भूमि पर सिंचाई की सुविधा निर्धारित है और लेफ्ट बैक कैनाल से 3865 हेक्टेयर सिंचाई की क्षमता है. घुनघुट्टा बांध की नहरों से 62 गांव के किसानों के खेत सिंचित होते हैं. अभी पांच गांव के किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है.
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इस साल सरगुजा में औसत से 60 फ़ीसदी कम बारिश हुई है ऐसे में सरगुजा जिले के कई इलाकों में सूखे की स्थिति बनी हुई है. किसानों के खेत में दरार पड़ने लगी है वहीं धान की रोपाई भी पिछड़ने लगी है. पिछले दिनों कृषि मंत्री ने भी कहा था कि इंद्रदेव नाराज हो गए हैं, ऐसे में किसानों के पास सिंचाई की एकमात्र सुविधा है लेकिन देखने वाली बात होगी कि आखिर जिला प्रशासन के अधिकारी किसानों को सिंचाई के लिए किस तरह से व्यवस्था मुहैया करा पाते हैं. क्योंकि किसानों ने अपनी इस खेती में जमा पूंजी लगा रखी है तो सरगुजा के किसानों ने धान की खेती के लिए लोन ले रखा है ऐसे में उनके सामने बड़ा संकट है कि अगर धान की खेती ठीक तरीके से नहीं होती है तो वह कर्ज कैसे चुकाएंगे.
पोड़ी खुर्द निवासी किसान सेवराम का कहना है कि उन्होंने धान की खेती के लिए ₹12000 का बीज सहित ₹40000 का खाद खरीदा है और अब बारिश नहीं हो रही है तो नहर से भी पानी नहीं मिल रहा है ऐसे में उनके सामने संकट है कि आखिर वह खाद बीज का कर्ज कैसे पटाएंगे. बातचीत करते हुए वे यहां तक कह रहे हैं कि ऐसा लग रहा है की फांसी लगा लूं. वहीं इंदरपुर निवासी रोशन लकड़ा ने बताया कि नहर में कई दिनों से पानी नहीं आ रहा है जिसके कारण धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं. नहर में पानी लीकेज हो रहा है लेकिन उसकी मरम्मत नहीं कराई जा रही है. वे कहते हैं कि हर साल मरम्मत की जाती है लेकिन ठीक तरीके से काम नहीं होता है और हर साल उन्हें इसी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
जल संसाधन विभाग के एसडीओ अरुण मिश्रा का कहना है कि नहरों की मरम्मत करना शुरू करा दिया है ताकि किसानों को नहर से पानी मिल सके. नेहरों से पानी का लीकेज इसलिए हो रही है क्योंकि चूहा और कछुआ मेड को धीरे-धीरे खोखला कर दे रहे हैं और जब बारिश का मौसम शुरू होता है तब लीकेज बड़ा हो जाता है इसके बाद विभाग को मरम्मत करना पड़ता है.