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CG News: कांकेर के कई गांवों में अब तक नहीं पहुंची बिजली, अंधेरे में रहने को मजबूर ग्रामीण

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गांव में बिजली नहीं

CG News: छत्तीसगढ़ में सरकारे बदली, विभाग के अधिकारी बदले, नेता-मंत्री बदल गए सारे सिस्टम बदले परन्तु अंदरूनी इलाके के कई गांवों की हालत नही बदल सकी. इलाके के कई गांव आज भी लालटेन युग मे जीवन यापन करने को मजबूर है. कांकेर में शासन-प्रशासन भले ही अंदरूनी इलाके के आखिरी घर तक विकास पहुंचाने के लाख दावें करते हो लेकिन क्षेत्र के अंदरूनी इलाके तक पहुंचने से पहले वें तमाम दावे दम तोड़ती नजर आ रही है. इलाके के कई गांव में आज भी अंधेरा पसरा रहता है. पखांजूर इलाके के आधा दर्जन गांव ऐसे है, जहां सरकार बिजली नहीं पहुंच सकी है. पखांजूर इलाके के आधा दर्जन गाँव ऐसे है जहाँ के ग्रामीण अँधेरे में जीवन यापन करने को मजबूर है, क्योंकि शासन- प्रशासन के नुमाइंदे इन गांवों में आजतक बिजली पहुंचाने में असफल रहे है.

कांकेर के कई गांवों में अब तक नहीं पहुंची बिजली

गौरतलब ही की सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में गांव-गांव बिजली पहुंचाने के लिए राजीव गांधी विद्युतीकरण और दीनदयाल उपाध्याय, ग्रामीण ज्योति योजना जैसी कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं. मगर यहां सभी योजनाएं इन अंदरूनी गांव के लिए दिखावा बनी हुई हैं, क्योंकि इन योजनाओं के बाद भी गांव में लोगों को बिजली का इंतजार आज भी है. यहां के ग्रामीण सूर्य कि रौशनी में हि अपना सारा काम पूरा करना मुनासीफ समझते है और बिजली के अभाव में गांव के ग्रामीण सूर्य कि रौशनी में ही अपना सारा काम कर लेते है. जंगलों और पहाड़ों की गोद में बसे इन गांवों में शाम होते ही अंधेरा अपना आंचल फैला देती है. ये तमाम गांव चारो ओर से जंगलों से घिरा हुआ है. यही कारण है कि सूरज ढलते ही ग्रामीणों को जंगली जानवरों का भय सताने लगता है.

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अंधेरे में रहने को मजबूर ग्रामीण

गांव के ग्रामीणों ने बताया कि बिजली के अभाव में सारे उम्मीदो पर चंद्रग्रहण लग जाता है. ग्रामीणों के आवागमन के लिए पथरीली और पगडण्डी रास्ते है. आधुनिक के इस युग मे पूरे गांव में एक या दो व्यक्ति के पास ही मोबाइल है लेकिन वह भी संचार माध्यम से कोसो दूर…. गांव पहुंचने से पहले ही टावर का रेंज खत्म हो जाता है. बरसात में जंगली जीवजंतुओं का खतरा बना रहता है..बिजली के अभाव में बच्चे अंधेरे में पढ़ाई करने को मजबूर है. यहां की खेती सिर्फ बरसात के पानी पर निर्भर है. इलाके के अधिकांस गांव में विभाग ने बिजली पहंचा दी हैं. उसके बावजूद इन गांवों में बिजली का पहुंचना विभाग के लिए टेढ़ी खीर आखिरकार क्यों साबित हो रही है यह समझ से परे है..इन क्षेत्र के ग्रामीण आज भी अपने घरों में बिजली का बल्प जलने के इंतजार कर रहे है और कूलर, पंखा, फ्रिज आदि उपकरणों का लाभ लेने व अपने घरो को बल्प कि रौशनी से जगमग करने की आश आज भी अपने आंखों में संजोये बैठे है.

ग्रामीण कई बार मौखिक और लिखित शिकायत और मांग करने के साथ कई बार रैली निकाली और चक्काजाम तक किया और सरकार के नुमाइंदों से गुहार लगाई की उन्हें भी बिजली, पानी, सड़क जैसे मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाए. परन्तु आजतक न किसी जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की समस्या को समझा और न ही किसी नेता, मंत्री ने… ऐसा नही कि शासन को इन ग्रामीणों की सुध नहीं..विभाग ने कुछ गांवों में बिजली के खंबे जरूर लगा दिए और कहीं सोलर प्लेट लगाकर बल्प जरूर लगा दिए परन्तु उन बल्प में कभी रोशनी ही नही आई और न उन तार में कभी बिजली.. ग्रामीण चाहते है कि उनके गांवों में भी बिजली, पानी, जैसे तमाम मूलभूत सुविधाएं पहुंचाई जाए,ताकि अंधकार से मुक्ति मिले.

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