CG News: सरकार विकास के चाहे कितने भी बड़े-बड़े दावे क्यों न कर लें, मगर कहीं न कहीं कोई तस्वीर मिल ही जाती है जो एक अलग ही परिवेश बयां करती है. एक ऐसा ही तस्वीर है, जहां लोहे के बने घर के नीचे विद्यार्थी पिछले 20 सालों से पढ़ाई कर रहे है. जिसको देखकर हर कोई हैरत में पड़ जाएगा और पूछेगा कि क्या यह आजादी के 77 साल बाद वाला भारत है? सरकारी विद्यालय की तस्वीरें सरकार और प्रशासन की अनदेखी को बयां करने वाली हैं. छात्रों को बेंच-कुर्सी छोड़िए, दरी पट्टी भी नसीब नहीं हैं. आलिशान स्कूल भवन छोड़िए दीवारें तक इन बच्चों को नसीब नहीं हैं. मोहला मानपुर अम्बागढ़ चौकी जिले की यह तस्वीर चौंकाने वाली है, जहां सरकारी स्कूल के विद्यार्थी लोहे के भवन में पढ़ने को मजबूर हैं.
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लोहे के बने मकान में स्कूल, छात्रों परेशान
जिले के रामगढ़ ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम जंगलटोला जो इस युग में भी पाषाण काल की याद दिलाता है. शिक्षा व्यवस्था के लिए ये कहीं से भी अच्छे संकेत नहीं हैं. यहाँ शासकीय प्राथमिक विद्यालय लोहे के बने मकान में चल रहा है. यहां बच्चे जमीन पर बैठकर इस भवन में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. भरी गर्मी व बारिश के मौसम में बच्चों को बहुत सारी परेशानियां होती हैं. केंद्र व राज्य सरकार हर साल शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, ताकि स्कूलों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके. लेकिन जंगल टोला गांव में शासकीय प्राथमिक विद्यालय पिछले 20 वर्षों से लोहे के भवन में ही चल रहा है. विद्यालय में 16 बच्चे पढ़ाई करते हैं. बच्चे जमीन पर दरी बिछाकर बैठते हैं. साथ ही एक ही कमरे में पहली से पांचवीं तक की कक्षाएं संचालित होती हैं.