Vistaar NEWS

CG News: 23 जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी… कैग रिपोर्ट ने खोली स्वास्थ्य विभाग की पोल

CG News

CG News

CG News: छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज स्वास्थ विभाग से जुड़ी कैग रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. मार्च 2022 को समाप्त वर्ष तक के लिए तैयार ऑडिर रिपोर्ट ने स्वास्थ विभाग में गंभीर खामियों को उजागर किया है. रिपोर्ट बताती है कि स्वास्थ विभाग में स्वीकृत पदों की तुलना में अधिकारी कर्मचारी की भर्ती में बहुत बड़ा अंतर है. 23 जिला अस्पतालों में 33 प्रतिशत विशेषज्ञ डॉक्टर की कमी है. पैरामेडिकल स्टाफ 13 प्रतिशत तक कम हैं. सीएचसी की हालत और खराब हैं. यहां 72 प्रतिशत स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी हैं. 32 प्रतिशत नर्स और 36 प्रतिशत पैरामेडिकल स्टाफ की कमी हैं. अफसर की लापरवाही के कारण 50 करोड़ के मेडिकल उपकरण अनुपयोगी हो गए.

राज्य के कई सरकारी मेडकिल कॉलेजों में एक भी स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं हैं, जिसके चलते आठ आठ साल से वो विभाग भी शुरू नहीं हो पाया है. जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में कैंसर यूनिट नहीं शुरू हो सके. उसी तरह राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं होने के चलते हृदयरोग विज्ञान, वृक्क और तंत्रिका विज्ञान विभाग का ओपीडी नहीं शुरू हो सका.

यह भी पढ़ें- Chhattisgarh: बिलासपुर में करंट से झुलसे युवक की टूटी कमर, डायल 112 के पुलिस कर्मियों ने की मदद

सीएजी रिपोर्ट में सीजीएमएससी की गंभीर खामियों पर भी सवाल उठाए गए हैं. 2016 से 2022 के बीच, सीजीएमएससी ने 3753 करोड़ रुपये की दवा, उपकरण और अन्य समान खरीदे हैं. लेकिन इसमें भारी अनियमितताएँ की गई हैं. मेडिकल सामानों की सेंट्रल एजेंसी होने के बावजूद, 27 से 56 फीसदी खरीदी लोकल पर्जेच के माध्यम से करनी पड़ी, क्योंकि क्योंकि जरूरत के अनुसार क्रय नियमावली तैयार नहीं की जा सकी. 278 निविदाएं CGMSC की ओर से निकाली गई, लेकिन इनमें से 165 टेंडर दो दो साल तक फाइनल नहीं किए जा सके. इससे वक्त पर सप्लाई नहीं हुआ, और महंगे दाम पर लोकल पर्चेज करना पड़ा.

अस्पतालों में मशीनों की जरुरत कितनी है, इसे ऑपरेट कैसे किया जाएगा, इसका परीक्षण किए बिना उपकरण खरीदे गए. ऐसे 50 करोड़ के उपकरण बेकार पड़े हैं. कैग रिपोर्ट के अनुसार सीजीएमएससी ने ब्लैकलिस्टेड कंपनियों से करीब 24 करोड़ की दवाएं खरीद लीं.

जिन कंपनियों ने घटिया दवा की सप्लाई की, उससे क्वालिटी वाली दवा तक नहीं मंगवा सकी. ऐसी कंपनियों पर ना तो जुर्माना लगाया गया, ना ही डैमेज शुल्क लिया गया. कोविड काल में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए, लिक्विड टैंक खरीदे गए, लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं हुआ.

यह भी पढ़ें- Chhattisgarh: मौसम के बदलते ही मौसमी बीमारियों का कहर शुरू, दुर्ग में लगातार बढ़ रहे मरीज

Exit mobile version