CG News: देश भर में आज “फ्रेंडशिप डे” यानी कि मित्रता दिवस मनाया जा रहा है. लेकिन छत्तीसगढ़ में दोस्ती की अपनी एक अलग ही परंपरा है. यहाँ दोस्ती का मतलब मितान, महाप्रसाद, तुलसीदल, गंगाजल, गजामूंग, भोजली सहित अन्य है. जिसके अपने एक अलग-अलग रूप हैं. यह परंपरा कोई नई नहीं हैं. छत्तीसगढ़ में यह परंपरा वर्षो से निभाई जा रही हैं.
कहा जाता है कि दोस्ती एक ऐसा रूप है, जो एक दूसरे को नजदीक लाता है और एक-दूसरे का साथ निभाता है. एक दोस्त दूसरे दोस्त के सुख-दुख में साथ खड़ा रहता है. आधुनिकता के इस युग में एक-दूसरे को फ्रेंडशिप बैंड बांधकर बधाई देने तक ही सीमित है, लेकिन छत्तीसगढ़ में मित्रता की अलग ही परिभाषा बनी हुई हैं. यहाँ कोई भी किसी से भी मितान, महाप्रसाद, तुलसीदल, गंगाजल बद सकते है. छत्तीसगढ़ में बदना याने की दोत्ती स्वीकार करना एवं तय करना होता है.छत्तीसगढ़ में इस परंपरा के तहत एक दूसरे का नाम लेकर नहीं पुकारा जाता. भल्कि मितान, महाप्रसाद, गंगाजल, तुलसीदल व अन्य नामों से संबोधित किया जाता है. एक परिवार से दूसरे परिवार का ऐसा संबंध बन जाता है कि सुख दुख सहित अन्य सभी कार्यो में एक दूसरे को पूछ कर प्रगाढ़ संबंध निभाये जाते है. जिन्हें एक सगे रिस्तेदारों से भी ज्यादा सम्मान दिया जाता है.
महिला ज्योति तिवारी, मंजू ठाकुर ने विस्तार न्यूज से खास बातचीत में बताया कि उनकी मित्रता को 16 से 17 वर्ष हो चुके है. उनकी सास एक दूसरे के बीच एक गहन मित्रता नजर आई जिसके बाद भागवत स्थल पर ही उन्होंने एक दूसरे से तुलसीदल ग्रहण कर मित्रता स्वीकार की. आज भी दोनों परिवार एक दूसरे के सुख-दुख में साथ निभा रहे है. अन्नपूर्णा यादव ने बताया कि उनके दादा ससुर ने महाप्रसाद बद कर मित्रता स्वीकार की थी. आज चौथी पीढ़ी में भी इस परंपरा सांस्कृति को निभाई जा रही है.
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