CG News: 12 साल पहले जगरगुंडा गांव में ग्रामीण बैंक हुआ करता था. उस समय यहां नक्सलियों का बोलबाला था. लूट पाट तो नक्सलियों के लिए आम बात थी. ऐसे ही एक घटना जगरगुंडा गांव में नक्सलियों द्वारा की गई, जिसमें बैक को भी लूटने का प्रयास किया गया. लेकिन उस दिन नक्सली तिजोरी नहीं खोल पाए. लूट के बाद बैंक कर्मचारी गांव आए और तिजोरी को खोला. वारदात के 12 साल बाद भी तिजोरी गांव में पड़ा हुआ है.
गांव का इतिहास काफी पुराना
तीन जिलों का सेंटर प्वाइंट जगरगुंडा गांव का इतिहास काफी पुराना है. एक समय में यहां वनोपज का बहुत बड़ा बाजार था. उस समय यहां से राज परिवहन की बस चलती थी. जगरगुंडा गांव में शासकीय कार्यालय हुआ करता था. यहां पर एक ग्रामीण बैंक था, आस पास के गांव वाले इसी बैंक के ग्राहक थे. जगरगुड़ा के ग्रामीणों की माने तो 2002 में नक्सलियों ने गांव में हमला किया और बैक को लूटने का प्रयास किया.
आज भी गांव में पड़ा है तिजोरी
लेकिन हैरानी की बात ये कि नक्सलियों से बैंक का तिजोरी नहीं खुल पाया. वहीं कुछ दिनों के बाद जब बैंक के कर्मचारी जगरगुंडा गांव आए और उस तिजोरी को खोला गया. बैंक कर्मचारी तिजोरी से सारा माल अपने साथ ले गए थे. लेकि आज भी वह तिजोरी गांव के बीचो-बीच पड़ी हुई है और उस घटना की याद ताजा कर रही है. तिजोरी काफी मजबूत और भारी है जिस उठाना काफी मुश्किल है. अब ग्रामीण तिजोरी से अपने पालतू जानवर बांध रहे हैं.